लोटपोट की शिक्षा देती कहानी : महान संगीतकार:- एक महान संगीतकार था। उसने अपनी पूरी ज़िंदगी जंगल के पास एक गांव में अकेले गुजार दी। बहुत बूढ़ा होने के बाद उसने सोचा, ‘अब क्योंकि मैं बहुत बूढ़ा हो गया हूं, मुझे खुद के लिए एक साथी ढूंढना चाहिए।’ इसके बाद उसने अपनी सारंगी उठाई और सुंदर संगीत बजाना शुरू कर दिया। उस संगीत से एक भेड़िया काफी आकर्षित हुआ और वह दोनों हाथ जोड़कर संगीतकार के सामने आया और कहने लगा, ‘मुझे आपसे संगीत सीखना है।’ फिर संगीतकार ने भेड़िए से कहा, ‘क्या तुम वह सब करोगे जो मैं तुम्हें करने के लिए कहूंगा?’ भेड़िये ने उत्तर दिया, ‘सर, आप मेरे गुरू होंगे और मैं आपकी इज्ज़त एक छात्र जैसी करूंगा।’ इसके बाद संगीतकार और भेड़िये ने साथ काम करना शुरू किया। वह एक छोटे गड्ढे के पास गए। संगीतकार ने भेड़िये से कहा, ‘इस गड्ढे में कूद जाओ। भेड़िया कूद गया। फिर संगीतकार ने भेड़िये से कहा कि वह वहां रुककर उसकी प्रतीक्षा करे।
फिर संगीतकार वहां से आगे निकल गया और फिर से उसने अपनी सारंगी बजानी शुरू की। इस बार उसके संगीत से लोमड़ी आकर्षित हो गई। उसने संगीतकार से कहा, ‘मुझे आपसे संगीत सीखना है।’ फिर संगीतकार ने लोमड़ी से पूछा, ‘क्या तुम वह सब करोगी जो मैं तुम्हें करने के लिए कहूंगा?’ लोमड़ी ने उत्तर दिया, ‘सर, आप मेरे गुरू होंगे और मैं आपकी इज्ज़त एक छात्र जैसी करूंगी।’ संगीतकार लोमड़ी को कुछ दूर लेकर गया। उसने पेड़ की एक डाली को नीचे किया और लोमड़ी से उसका उल्टा पांव दिखाने के लिए कहा। उसने उसके उल्टे पांव को पेड़ की डाली से बांध दिया और डाली को छोड़ दिया जिस वजह से लोमड़ी हवा में लटक गई। फिर संगीतकार ने उससे कहा कि तुम यहां रहो और मेरी प्रतीक्षा करो।’
फिर संगीतकार कुछ आगे गया और उसने फिर से सारंगी से संगीत बजाना शुरू किया। इस बार एक खरगोश दौड़ता हुआ आया। उसने संगीतकार से कहा, ‘मुझे आपसे संगीत सीखना है।’ संगीतकार ने खरगोश से कहा, ‘क्या तुम वह सब करोगे जो मैं तुम्हें करने के लिए कहूंगा?’ खरगोश ने जवाब दिया, ‘‘सर, आप मेरे गुरू होंगे और मैं आपकी इज्ज़त एक छात्र जैसी करूंगा।’ संगीतकार खरगोश को कुछ दूर लेकर गया और उसकी गर्दन को उसने एक रस्सी से बांधा और रस्सी को दूसरे छोर एक मज़बूत पेड़ के साथ बांध दिया। फिर उसने खरगोश से कहा कि वह पेड़ के चक्कर लगाए। खरगोश ने उसकी बात मान ली। वह पेड़ के साथ चिपक गया। फिर संगीतकार ने खरगोश से कहा, ‘तुम यहां रुककर मेरी प्रतिक्षा करो।’
अब तक भेड़िया मिट्टी पर छलांग लगाकर और उसे खुरचते हुए गड्ढे से बाहर आ चुका था। वह संगीतकार से बदला लेना चाहता था। वह संगीतकार को ढूंढने के लिए आगे बढ़ा। रास्ते में उसे पेड़ पर लोमड़ी लटकी हुई मिली। लोमड़ी ने उससे गुजारिश की, ‘भैया भेड़िये, उस संगीतकार ने मुझे भी धोखा दिया है। कृपया करके मुझे आज़ाद कर दो।’ भेड़िये ने लोमड़ी की रस्सी काटी और उसे आज़ाद कर दिया। अब भेड़िया और लोमड़ी संगीतकार को पकड़ने के लिए भागने लगे। रास्ते में उन्होंने देखा कि खरगोश भी पेड़ के साथ बंधा हुआ है। खरगोश ने बताया, ‘भैया भेड़िया और बहन लोमड़ी, उस संगीतकार ने मुझे भी धोखा दिया। कृपया मेरी मदद करो।’ लोमड़ी ने खरगोश की रस्सी काटी और अब भेड़िया, लोमड़ी और खरगोश संगीतकार को ढूंढने लगे।
इस दौरान संगीतकार जंगल पार कर चुका था। उसने फिर से अपनी सारंगी बजानी शुरू की। इस बार एक मजबूत लकड़हारा अपनी कुल्हाड़ी के साथ संगीतकार के पास आया। उसने संगीतकार से कहा, ‘सर, क्या आप मुझे संगीत सिखाएंगे? अगर आप मुझे संगीत सिखाएंगे तो मैं आपका मित्र बन जाऊंगा और आपके साथ रहूंगा।’ संगीतकार मान गया। उसके बाद संगीतकार को अपने लिए दोस्त के रूप में साथी मिल गया और उसने लकड़हारे को संगीत सिखाना शुरू कर दिया।
उपदेश:- मुसीबत में होश नहीं खोने चाहिए, संगीतकार ने अक्ल से काम लेते हुए, भेडिये, लोमड़ी और खरगोश से लड़ने की बजाये उन्हे उलझा दिया और अपना बचाव कर लिया।
Moral Story: शिक्षा देती बाल कहानी : लालच का फल