बाल कहानी : नये साल की कसम
बाल कहानी : (Hindi Kids Story) नये साल की कसम : लोमड़ मामा डींग हाँकने में सबसे आगे था। कहीं कोई बात निकलती तो वह कहता। इसमें बड़ी बात क्या है? यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है। कभी कहता, मैंने दुश्मनों के दाँत खट्टे कर दिये।
बाल कहानी : (Hindi Kids Story) नये साल की कसम : लोमड़ मामा डींग हाँकने में सबसे आगे था। कहीं कोई बात निकलती तो वह कहता। इसमें बड़ी बात क्या है? यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है। कभी कहता, मैंने दुश्मनों के दाँत खट्टे कर दिये।
Moral Story | शिक्षाप्रद कहानी : किस्मत का चक्कर : राहुल का दिमाग पढ़ाई में ठीक था लेकिन वह मेहनत से ज्यादा अपनी किस्मत पर भरोसा करता था। जब भी उसे कोई समझाने की कोशिश करता। तो वह कहता था, अरे अगर मेरी किस्मत में पास होने लिखा होगा तो मैं ऐसे ही पास हो जाऊँगा और अगर मेरी किस्मत में फेल होना लिखा है तो चाहें मैं कितनी भी मेहनत क्यों न करूँ, मुझे दुनिया की कोई ताकत पास नहीं कर सकती।
बाल कहानी : (Hindi Kids Story) सुबह का भूला- सोनू आठवीं कक्षा में पढ़ता था। पढ़ाई लिखाई और खेलकूद दोनों में ही वह काफ़ी अच्छा था। देखने भालने में
प्रेरणादायक बाल कहानी (Inspirational Kids Story) : सेवा का व्रत- प्राचीन काल में गंगा नदी के किनारे एक मुनि का आश्रम था। मुनि का नाम
एक समय की बात है एक चालाक राजा था जिसका दिल और दिमाग दुनिया के बाकी देशों को हासिल करने, लोगों को डराने में लगा रहता था। उसने दूसरे देशों को आग और तलवार से नष्ट किया था और उसके सैनिकों ने खेतों में जाकर किसानों की झोपड़ियों को आग लगा दिया था।
वायलिन वाला लँगड़ा : प्रेमा और पिंटू दोनों समझदार भाई-बहन थे। दोनों एक-दूसरे के मददगार तो थे ही, आपस में एक-दूसरे को प्यार भी खूब करते थे। दोनों को ही शाम को घूमने का शौंक था। रेलवे स्टेशन के समीप मकान होने से ये शाम को स्टेशन की ओर घूमने निकल जाते। वहां यात्रियों की वेशभूषा, बातचीत आदि को ध्यान से देखते सुनते थे।
सावन का महीना था, पूर्णिमा से दो दिन पहले ही रीटा राखियाँ लेकर अपने गाँव चली गई। शंभू भईया गाँव में ही रहते थे। डाॅक्टरी पढ़कर लौटे थे तो शहर में नौकरी लगी थी पर वह गए नहीं। उनका कहना था कि पढ़ लिखकर सभी युवक यदि गाँव छोड़कर शहर में बस जायेंगे तो गाँव का उत्थान कैसे होगा।
लोमड़ मामा डींग हाँकने में सबसे आगे था। कहीं कोई बात निकलती तो वह कहता। इसमें बड़ी बात क्या है? यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है। कभी कहता, मैंने दुश्मनों के दाँत खट्टे कर दिये। तो कभी बोलता, डाकुओं से ऐसी मुठभेड़ हुई कि वे दुम दबाकर भाग खड़े हुए। कभी शेर को नीचा दिखाने की बात बताता तो कभी साँप को टुकड़े-टुकड़े करने की कहानी सुनाता। एक दिन लोमड़ मामा ‘खरगोश बस्ती’ में पहुँच कर अपनी डींग हाँकने लगा। उसकी डीगं सुनकर सब तंग आ चुके थे। तब खनकू और मनकू नामक खरगोशों ने सोचा कि अब लोमड़ मामा की पोल खोल देने में ही सबका भला है।