बाल कहानी : नये साल की कसम

लोमड़ मामा डींग हाँकने में सबसे आगे था। कहीं कोई बात निकलती तो वह कहता। इसमें बड़ी बात क्या है? यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है। कभी कहता, मैंने दुश्मनों के दाँत खट्टे कर दिये। तो कभी बोलता, डाकुओं से ऐसी मुठभेड़ हुई कि वे दुम दबाकर भाग खड़े हुए। कभी शेर को नीचा दिखाने की बात बताता तो कभी साँप को टुकड़े-टुकड़े करने की कहानी सुनाता। एक दिन लोमड़ मामा ‘खरगोश बस्ती’ में पहुँच कर अपनी डींग हाँकने लगा। उसकी डीगं सुनकर सब तंग आ चुके थे। तब खनकू और मनकू नामक खरगोशों ने सोचा कि अब लोमड़ मामा की पोल खोल देने में ही सबका भला है।

By Lotpot
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Kid Story Naye Saal Ki Kasam in Hindi

बाल कहानी : नये साल की कसम- लोमड़ मामा डींग हाँकने में सबसे आगे था। कहीं कोई बात निकलती तो वह कहता। इसमें बड़ी बात क्या है? यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है। कभी कहता, मैंने दुश्मनों के दाँत खट्टे कर दिये। तो कभी बोलता, डाकुओं से ऐसी मुठभेड़ हुई कि वे दुम दबाकर भाग खड़े हुए। कभी शेर को नीचा दिखाने की बात बताता तो कभी साँप को टुकड़े-टुकड़े करने की कहानी सुनाता।

लोमड़ मामा की पोल खोलने की सोची

एक दिन लोमड़ मामा ‘खरगोश बस्ती’ में पहुँच कर अपनी डींग हाँकने लगा। उसकी डीगं सुनकर सब तंग आ चुके थे। तब खनकू और मनकू नामक खरगोशों ने सोचा कि अब लोमड़ मामा की पोल खोल देने में ही सबका भला है।

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उन्होंने उसे निमंत्रण देते हुए कहा, कल हम खरगोश बस्ती में ‘नये साल का जश्न’ मना रहे हैं। इस अवसर पर आप अवश्य पधारें। दूसरे दिन, नये साल की पहली तारीख को लोमड़ बस्ती में पहुँचा तो उसे बड़े सम्मान के साथ एक सुदंर गलीचे पर बिठाया गया। इस व्यवहार से वह बड़ा प्रसन्न हुआ। तब अकस्मात ही खनकू और मनकू जोेर से चिल्ला उठे, ‘भगो, साँप आया!’ लोमड़ मामा की आँखें फटी की फटी रह गई।

जब उसने देखा कि एक भयानक साँप अपना फन फैलाए उसके सामने खड़ा है। आतंक के मारे वह चीख भी न सका और न ही अपने स्थान से हिल सका। उसकी तो सिट्टी-पिट्टी गुल हो गई। वह आँख मूंदकर कहने लगा, हे भगवान! मुझे इस भयानक साँप से बचा लोे!

लोमड़ मामा ने आदत नहीं छोड़ी 

तब पीछे से खनकू खरगोश ने कहा, क्यों लोमड़ मामा! अपने तो कई भयानक साँपों के टुकड़े-टुकड़े कर डाले हैं। आज भी वह करिश्मा दिखा कर, इस काले साँप से हमें बचा लो! तब मनकू ने आगे बढ़कर साँप को उठा लिया उसे लोमड़ मामा जोर से उछलता हुआ चीख पड़ा। वह भय के मारे बेहोश होने ही वाला था कि खनकू ने उसके कान में कहा, डरने की कोई बात नहीं, मामा यह तो नकली साँप है।

इस घटना के बाद भी उसने अपनी आदत नहीं छोड़ी अवसर मिलते ही वह डीगं हाँकने लग जाता था। एक दिन वह खनकू और मनकू से मिलने गया तो उनके घर के बाहर ही उसे एक काला साँप फन फैलाये दिखाई दिया।

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उसे देख कर पहले तो वह ठिठक गया, लेकिन फिर उसने सोचा कि खनकू और मनकू ने उससे दुबारा शरारत करने के लिए यह नकली साँप रख दिया होगा। यह सोच कर लोमड़ मामा ने उस साँप को अपने हाथों में उठा लिया और घर के भीतर घुस कर खनकू और मनकू से कहने लगा, यह देखो, तुम्हारे लिए साँप पकड़ कर लाया हूँ। कहो तो इसके टुकड़े-टुकड़े करके दिखा दूँ।

लोमड़ मामा ने खा ली कसम 

खनकू और मनकू ने साँप को ध्यान से देखा और फिर वे चीख पड़े, अरे मामा, यह तो असली साँप है। नकली साँप तो हमारे पास है। वह देखिए, सामने दीवार पर टंगा हुआ है।

यह बात सुनते ही लोमड़ मामा ही हवा ही खिसक गई। उसने तुरंत ही उस भयानक साँप को दूर पटक दिया। वह लहराता हुआ चूहे के एक बिल में घुस गया। खनकू और मनकू ने बड़ी फुर्ती के साथ उस बिल को बाहर से बंद कर दिया ताकि वह किसी को नुकसान न पहुँचा सके। उसके बाद लोमड़ मामा ने सचमुच की कसम खाई कि वइ इस नये साल से कभी डींग नहीं हाँकेगा।

सभी ने लोमड़ मामा की ‘नये साल की कसम’ का हार्दिक स्वागत किया और यह आशा प्रकट की वे अपनी कसम कभी नहीं तोड़ेंगे।

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