नटखट गधा और चमत्कारी चश्मा: एक अनोखी जंगल की कहानी
जंगल में एक नटखट गधा अपनी शरारतों के लिए मशहूर था। उसकी हरकतें जानवरों को परेशान कर देती थीं। एक दिन उसे एक चमत्कारी चश्मा मिलता है, जो उसे हर चीज़ का असली रूप दिखाता है।
जंगल में एक नटखट गधा अपनी शरारतों के लिए मशहूर था। उसकी हरकतें जानवरों को परेशान कर देती थीं। एक दिन उसे एक चमत्कारी चश्मा मिलता है, जो उसे हर चीज़ का असली रूप दिखाता है।
एक घना जंगल था, जहाँ अलग-अलग तरह के जानवर रहते थे। उसी जंगल में मोनू नाम का एक चालाक बंदर भी रहता था। मोनू अपनी शरारतों और चतुराई के लिए पूरे जंगल में मशहूर था।
नए साल की पहली किरण जैसे ही आसमान में टिमटिमाने लगी, गुलमोहर के पेड़ पर सोया किटू बंदर तुरंत जाग गया। उछलकर जोर से चिल्लाया, "जंगल के सभी प्राणियों की ओर से, सूरज दादा, मैं तुम्हें बधाई देता हूं।"
चंपकपुर जंगल में जानवरों की मस्ती का कोई जवाब नहीं था। यहां के जानवर हंसी-खुशी अपना जीवन बिताते थे। जंगल के दो सबसे मजेदार साथी थे - मोंटी बंदर और भोलू गधा।
बहुत समय पहले, एक घना जंगल था जिसे सभी जानवर 'मित्रवन' कहते थे। इस जंगल में हर जानवर खुशी-खुशी रहता था, क्योंकि वहाँ के राजा शेरसिंह ने सभी के बीच सच्ची दोस्ती और सहयोग का नियम बनाया था।
Web Stories | Moral Stories चंपकवन में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सभी जानवरों का 'संपन्न मेला' लगने जा रहा था। 'संपन्न मेला' इसलिए आयोजित किया जाता था ताकि
चंपकवन के मेले में कोयल ने अपने गाने से सबका दिल जीता लेकिन मादा कौआ का अपमान किया। कौआ ने उसे उसके अंडे छोड़ने की सच्चाई बताई, जिसे सुन कोयल को अपनी गलती का अहसास हुआ। कोयल ने माफी मांगी और त्याग का महत्व समझा। कहानी सिखाती है, सम्मान और एकता जरूरी हैं।