जंगल की कहानी : हंस चला जंगल के स्कूल
जंगल के पास एक बड़ा सा तालाब था, जिसमें रहता था हंसराज। हंसराज एक मोटा-तगड़ा, आलसी और बेहद मस्तीखोर हंस था। वह दिनभर पानी में तैरता, मछलियां खाता और अपनी टोली के साथ गप्पें मारता।
जंगल के पास एक बड़ा सा तालाब था, जिसमें रहता था हंसराज। हंसराज एक मोटा-तगड़ा, आलसी और बेहद मस्तीखोर हंस था। वह दिनभर पानी में तैरता, मछलियां खाता और अपनी टोली के साथ गप्पें मारता।
एक बार की बात है, जंगल के एक हिस्से में भूखा भालू टहल रहा था। उसका पेट भूख से मरोड़ खा रहा था और उसे कुछ खाने की तलाश थी। तभी उसने दूर से एक लोमड़ी को देखा, जो बड़े मजे से मांस खा रही थी।
एक समय की बात है, एक घने जंगल में एक बुद्धिमान कबूतर रहता था, जिसका नाम था मीशू। मीशू के पास एक खूबसूरत पेड़ था, जिसमें वह अपने परिवार के साथ रहता था।
एक घने वन में एक हरीश नामक हिरण और कालू कौआ दोनों रहते थे, दोनों में गहरी दोस्ती थी कालू कौआ सुबह उठकर ऊंचा उड़ता और हरी भरी घास का पता लगाता।
चुनमुन चूहा बहुत ही पेटू था। उसे हर समय सिर्फ खाने की ही फिक्र लगी रहती थी। खाने की लालच में कभी-कभी तो वह अपने पड़ोसियों के घरों में भी घुस जाता था और जो भी खाना उसे नजर आता, वह फौरन चट कर जाता।
एक था सियार। बेहद कामचोर और आलसी। दिन भर अपनी मांद में पड़ा रहता था। उसकी पत्नी भी उससे परेशान थी। बच्चों के लिए खाना उसे ही लाना पड़ता था। लेकिन ऐसे कितने दिनों तक चलता।
कछुआ सोच रहा था जाड़ा बीतने को है, कुछ दिनों मे पानी की कमी हो जायेगी। बहुत दिन हुए कहीं सैर सपाटा भी नसीब नहीं हुआ। चलों कहीं यात्रा पर निकल जाएँ। तुरंत उसने, उत्तर की ओर पर्वतों की तलहटी में जाने का कार्यक्रम बना डाला।