मौत से बड़ा भय: एक तिब्बती कथा
एक घने जंगल में, दो उल्लू एक पुराने पेड़ की मोटी डाल पर आ बैठे। दोनों उल्लू अपने-अपने शिकार को पकड़े हुए थे। पहले उल्लू के मुँह में एक फुफकारता हुआ साँप था, जो उसके सुबह के नाश्ते के लिए लाया गया था।
एक घने जंगल में, दो उल्लू एक पुराने पेड़ की मोटी डाल पर आ बैठे। दोनों उल्लू अपने-अपने शिकार को पकड़े हुए थे। पहले उल्लू के मुँह में एक फुफकारता हुआ साँप था, जो उसके सुबह के नाश्ते के लिए लाया गया था।
जंगल का एक कोना हमेशा शांत रहता था। यहां ऊँचे-ऊँचे पेड़, मीठे झरने, और पक्षियों की चहचहाहट का साम्राज्य था। इसी जंगल में एक छोटी सी चींटी रहती थी, जिसका नाम मिठू था।
ज्ञान का बंटवारा - किसी जमाने में जंगल के जानवर बेहद भोले-भाले और अज्ञानी थे। उन्हें न तो सही तरीके से अपना पेट भरने की समझ थी और न ही मुसीबत में अपनी जान बचाने की कला। शिकारियों के जाल में फंसकर वे अपनी जान गंवा बैठते थे।
जंगल में टिंकू नाम का एक शरारती खरगोश रहता था। टिंकू हमेशा अपनी शरारतों के लिए मशहूर था और नन्हे जानवरों को तंग करना उसकी आदत बन चुकी थी। एक दिन टिंकू ने मुर्गी के छोटे बच्चे को आवाज लगाई
एक बार की बात है, हरे-भरे जंगल में एक छोटा सा खरगोश, जिसका नाम चीकू था, अपने माता-पिता के साथ रहता था। चीकू बहुत आलसी था। वह हमेशा अपनी मम्मी-पापा के कहने पर भी काम करने से कतराता। हर बार मम्मी उसे समझातीं,
नए साल की पहली किरण जैसे ही आसमान में टिमटिमाने लगी, गुलमोहर के पेड़ पर सोया किटू बंदर तुरंत जाग गया। उछलकर जोर से चिल्लाया, "जंगल के सभी प्राणियों की ओर से, सूरज दादा, मैं तुम्हें बधाई देता हूं।"
बहुत समय पहले, एक घना जंगल था जिसे सभी जानवर 'मित्रवन' कहते थे। इस जंगल में हर जानवर खुशी-खुशी रहता था, क्योंकि वहाँ के राजा शेरसिंह ने सभी के बीच सच्ची दोस्ती और सहयोग का नियम बनाया था।
Web Stories | Moral Stories चंपकवन में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सभी जानवरों का 'संपन्न मेला' लगने जा रहा था। 'संपन्न मेला' इसलिए आयोजित किया जाता था ताकि