बच्चों की नैतिक कहानी: गणित का जादू
घंटी बजी, छठी कक्षा में गणित के अध्यापक महोदय ने प्रवेश किया। उसके हाथ में छमाही परीक्षा की उत्तर-पुस्तिका थी। ज्यों ही वह कक्षा में घुसे, सभी छात्र उठ खड़े हुए। फिर उसके संकेत पर यथास्थान बैठ गये।
घंटी बजी, छठी कक्षा में गणित के अध्यापक महोदय ने प्रवेश किया। उसके हाथ में छमाही परीक्षा की उत्तर-पुस्तिका थी। ज्यों ही वह कक्षा में घुसे, सभी छात्र उठ खड़े हुए। फिर उसके संकेत पर यथास्थान बैठ गये।
बच्चों हमारी जिन्दगी में आशीर्वाद बहुत कीमती होता है। इसमें आशीष देने वालों का ढ़ेरों प्यार छिपा होता है। इसी संदर्भ में एक कहानी है कि एक बार एक गुरू घूमते-घूमते गांव पहुंचे तो लोगों ने ढेरों स्वागत किया।
एक महर्षि थे। उनकी काफी ख्याति थी। कृष्णा नदी के किनारे उनका आश्रम था, जहां कई शिष्य रहकर विद्याध्ययन करते थे। एक दिन महर्षि ने अपने एक शिष्य से कहा, निकट के गांव में जाकर जरूरत की सारी चीजें खरीद लाओ।
कितनी बार कहा है कि केले खाकर छिलके सड़क पर न फेंका कर पर तू है कि एक कान से सुनी और दूसरी कान से निकाल दी। मां ने नीटू को डांटते हुए कहा। अव्वल दर्जे का शरारती नीटू केले खाकर छिलके खिड़की से सड़क पर फेंक रहा था।