बच्चों को नैतिकता की शिक्षा देती कहानी बंजर पेड़
Hindi Kids Story बंजर पेड़: एक छोटे बालक को आम का पेड़ बहुत पसंद था। जब भी फुर्सत मिलती वह तुरन्त आम के पेड़ के पास पहुंच जाता। पेड़ के ऊपर चढ़ना, आम खाना और खेलते हुए थक जाने पर आम की छाया में ही सो जाना।
Hindi Kids Story बंजर पेड़: एक छोटे बालक को आम का पेड़ बहुत पसंद था। जब भी फुर्सत मिलती वह तुरन्त आम के पेड़ के पास पहुंच जाता। पेड़ के ऊपर चढ़ना, आम खाना और खेलते हुए थक जाने पर आम की छाया में ही सो जाना।
एक बार स्कूल का एक अध्यापक अपने शिष्यों को सूरजमुखी के बीज देकर उसका पौधा उगाने और उसकी देखभाल करने के लिए कहते है। सभी शिष्यों को यह कार्य ज्यादा पसंद नहीं आता लेकिन इनमे से एक शिष्य को ये कार्य बहुत बहुत प्यारा लगता है और वह बड़ी उत्सुकता से इन बीजो को बोता है और कई दिनों तक इनकी देखभाल करता है।
आधी रात का समय था। छत्रपति शिवाजी गहरी नींद में सो रहे थे। तभी पहरेदारों की नजरें बचाकर बारह-तेरह साल का एक किशोर महाराज के शयन-कक्ष में घुस आया। इधर- उधर देखकर झटपट उसने अपनी कमर में खोंसी कटार निकाल ली और सो रहे शिवाजी पर अभी वह वार करने ही जा रहा था। कि किसी ने पीछे से आकर उसे मजबूती से पकड़ लिया।
गर्मी के दिन थे। गंगा नदी के घाट-घाट पर भीड़ रहती थी। स्नान करने वालों का तांता लगा रहता था। भीड़ ही भीड़! शोर ही शोर! जिधर देखो, उधर चिल्लपों-चीख पुकार!! स्नानार्थी आधी रात तक भी सिमटने का नाम नहीं लेते थे।
मित्र की पहचान: बरसात का मौसम था आकाश में काले बादल छाये थे। ठंडी ठंडी पुरवाई चल रही थी। पीलू बया का घोंसला तैयार होने में देर थी। उसने अपने मित्र चुग्गा चिड़ा को आवाज दी।
बाल कहानी (Hindi Kids Stories) : भीम की परीक्षा: भीम सेन अपने युग का सबसे बलवान योद्धा तो था ही पर उसे अपने अत्यन्त बलशाली होने का बहुत अभिमान हो गया था। वह जहां भी बैठता अपने बल तथा पराक्रम का बखान करने लगता। यही नहीं वह अपने अत्यन्त बलशाली होने का प्रदर्शन करने के लिए अनेक निरीह जंगली जानवरों को मार देता। पेड़ पौधों को उखाड़ कर फेंक देता।
कमल पाँचवीं कक्षा का छात्र था वह अपनी कक्षा के सभी छात्रों से वह उम्र में काफी बड़ा था कि वह हर कक्षा में कई वर्ष लगाता था इसका कारण यह था उम्र ज्यादा होने के कारण वह अपनी कक्षा के छात्रों से दोस्ती भी न कर पाता था।
बाल कहानी (Hindi Kids Stories) : आलस का फल: कानन वन में खरगोशों का एक झुंड रहता था। वन का वह भाग जहाँ खरगोश रहते बड़ा हरा भरा था। सब खरगोश को मेहनत पसन्द थी। सबके अपने अपने खेत थे वे दिन भर मेहनत करते व रात को चैन से सोते।
वैसे आलोक रहता तो था शहर में। अपने माता-पिता के पास, लेकिन आजकल वह अपने नाना जी के गाँव में गर्मियों की छुट्टियाँ बिताने आया था। पढ़ने-लिखने में तेज, आलोक साहसिक कार्यो में भी बच्चों का अगुआ था। आलोक भूत-प्रेतों और अंधविश्वासों को जरा भी न मानता था जबकि उसके नाना जी भूत-प्रेतों और अंधविश्वासों को मानने लगे थे। बस आलोक को यही बात खटकती रहती कि उसके नाना जी जो भूत-प्रेतों का कभी न मानते थे अब क्यों भूत-प्रेतों में विश्वास करने लगे थे?