Motivational Story: परमात्मा और किसान
एक बार एक किसान परमात्मा से बड़ा नाराज हो गया। कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी ओले पड़ जाये। हर बार कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल खराब हो जाये।
एक बार एक किसान परमात्मा से बड़ा नाराज हो गया। कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी ओले पड़ जाये। हर बार कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल खराब हो जाये।
एक पिता अपनी चार वर्षीय बेटी मिनी से बहुत प्रेम करता था। ऑफिस से लौटते वक्त वह रोज़ उसके लिए तरह-तरह के खिलौने और खाने-पीने की चीजें लाता था। बेटी भी अपने पिता से बहुत लगाव रखती थी।
एक छोटा लड़का अपने स्कूल की मैगजीन बेच रहा था और एक ऐसे घर पर पहुंचा जो बहुत पुराना और जर्जर था। इस घर में एक वृद्ध व्यक्ति रहता था जो न तो बाहर आता था और न ही पड़ोसियों से या आने-जाने वालों से कोई संबंध रखता था।
एक जाने-माने व्यक्ति ने अपने हाथ में पांच सौ का नोट लहराते हुए अपनी बात शुरू की। उसने सामने बैठे सैकड़ों लोगों से पूछा, "ये पांच सौ का नोट कौन लेना चाहता है?" एक साथ कई हाथ उस नोट को लेने के लिए उठे।
एक विशेषज्ञ ‘समय प्रबंधन’ छात्रों को सम्बोधित कर रहा था। इस दौरान उसने छात्रों के सामने एक ऐसा उदाहरण रखा जो उन्हें सदैव याद रहा। उसके सभी छात्र सर्वोत्तम श्रेणी के थे जिनके सामने वह खड़ा था।
बनारस में एक बड़े धनवान सेठ रहते थे। वह विष्णु भगवान के परम भक्त थे और हमेशा सच बोला करते थे। एक बार जब भगवान सेठ जी की प्रशंसा कर रहे थे तभी माँ लक्ष्मी ने कहा, ”स्वामी, आप इस सेठ की इतनी प्रशंसा किया करते हैं।
किसी गांव में राम नाम का एक नवयुवक रहता था। वह बहुत मेहनती था, पर हमेशा अपने मन में एक शंका लिए रहता कि वो अपने कार्यक्षेत्र में सफल होगा या नहीं। कभी-कभी वो इसी शंका के कारण आवेश में आ जाता।