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लद्दाख के माउंटेन मैन ने असम्भव को सम्भव बनाया
Positive News लद्दाख के माउंटेन मैन ने असम्भव को सम्भव बनाया:- बिहार के माउंटेन मैन दशरथ मांझी को कौन नहीं पहचानता है जिन्होंने अपनी जिद और बाइस साल की कड़ी मेहनत से छेनी हथौड़े का इस्तेमाल करते हुए एक पहाड़ को काटकर रास्ता बनाया था। अब ऐसा ही कुछ कमाल लद्दाख के रहने वाले 79 वर्ष के लामा त्सुल्ट्रिम छोंजोर ने कर दिखाया। (Positive News)
जंस्कार घाटी में सभी लोग उन्हें 'मेमे छोंजोर के नाम से जानते हैं। जिसका मतलब है दादाजी छोंजोर। इस शख्श ने बचपन से यह देखा कि आजादी के बाद, जहाँ देश की तमाम सड़के एक दूसरे से जुड़ गईं लेकिन जंस्कार घाटी किसी भी सड़क से जुड़ नहीं पाई, जिसके कारण लोगों को दुर्गम पहाड़ो पर यात्रा करके घरेलू सामान लाना पड़ता था । जब वर्ष 2000 में बोर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) ने हिमाचल प्रदेश के कल्लुम डिस्ट्रिक के साथ जंस्कार स्थित पदुम को जोड़ने का प्रोजेक्ट तैयार किया तो त्सुलटिम छोंजोर के साथ पूरा गांव बहुत खुश हुआ परंतु दुर्भाग्य से काम को इसलिए रोक देना पड़ा क्योंकि बीच में एक 38 किलोमीटर बड़ी पहाड़ी, रास्ता रोके खड़ी थी। 2014 तक जब रोड नहीं बनी तो त्सुल्ट्रिम छोंजोर ने ठान लिया कि वे उस पहाड़ी को अपने औजारों से काट कर खुद रास्ता बनाएंगे ताकि प्रशासन अपना काम पूरा कर सके। (Positive News)
तो एक दिन उस बुजुर्ग ने अपनी सारी जमीन जायदाद बेचकर 57 लाख रुपये इकट्ठा किए...
तो एक दिन उस बुजुर्ग ने अपनी सारी जमीन जायदाद बेचकर 57 लाख रुपये इकट्ठा किए जिससे उन्होंने कई तरह की मशीन, वाहन खरीदे और कुछ मजदूरों के साथ उस 38 किलोमीटर की पहाड़ी को तोड़ने के लिए कमर कस कर जुट गए। उनकी मेहनत, लगन और परोपकार की भावना को देखते हुए लोकल एडमिनिस्ट्रेशन ने भी मदद की । कुछ लोगों ने उन्हें अपने घोड़े दिए और इस तरह से त्सुल्ट्रिम छोंजोर ने आखिर वो पहाड़ी काटकर रास्ता बना ही लिया। (Positive News)
अब लोग आराम से शॉर्ट कट के द्वारा हिमाचल प्रदेश तक जाने लगे। त्सुलटिम छोंजोर के इस अथक प्रयास को देखते हुए BRO ने हिमाचल प्रदेश के दारचा से पदुम को जोड़ते हुए 140 किलोमीटर पक्की सड़क बना दी । अब पदुम से वो रास्ता लेह के नीमू गाँव तक जाता है और उसे चौड़ा भी किया गया। ये सब सम्भव हो पाया सिर्फ 79 वर्षीय त्सुल्ट्रिम छोंजोर के कारण जिन्होंने अपना सब कुछ बेचकर माइनस 30 डिग्री टेंपरेचर में सालों तक मेहनत करके, पहाड़ी को काटकर सड़क बनाया। त्सुल्ट्रिम छोंजोर के इस सफल प्रयास का सम्मान करते हुए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। (Positive News)
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