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Travel: सालासर के बजरंगबली

राजस्थान के काण-कण में भक्ति भाव की अनूठी मिसाल देखने को मिलती है। भगवान भी भक्तों के होकर विभिन्न रूपों में विभिन्न स्थानों पर अपना चमत्कार और साक्षात्कार दोनों ही दिखाते रहते हैं।

By Lotpot
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Salasar bajarangbali

सालासर के बजरंगबली

Travel सालासर के बजरंगबली:- राजस्थान के काण-कण में भक्ति भाव की अनूठी मिसाल देखने को मिलती है। भगवान भी भक्तों के होकर विभिन्न रूपों में विभिन्न स्थानों पर अपना चमत्कार और साक्षात्कार दोनों ही दिखाते रहते हैं। इसी क्रम में राजस्थान के चूरू जिले में सालासर कस्बा है वहां पर रामभक्त हनुमानजी विराजमान हैं और भक्तों में सालासर के बालाजी नाम से विख्यात हैं। सालासर में हनुमान जी के प्रादुर्भाव का भी बड़ा ही रोचक प्रसंग है। (Travel)

एक कथा के अनुसार राजस्थान के नागौर जिले में एक छोटे से गांव असावता में संवत 1811 में एक किसान अपने खेत में हल चला रहा था। खेत में जुताई करते समय उसका हल अचानक रूक गया। किसान हनुमान भक्त था वह बोला बजरंगबली यह क्या हुआ। संयोग से उस दिन शनिवार था। उसने हल को आगे निकालने के लिए खूब जोर लगाया। बैलों को भी ललकारा, मगर हल आगे बढ़ा ही नहीं। आखिर वह किसान हल को रोककर खुद ही उस स्थान को देख मिट्टी हटाने लगा। किसान ने देखा एक बड़ी सी पत्थर की शिला फंसी हुई है। मिट्टी की खुदाई की गई। खुदाई में मिट्टी और बालू रेत से ढकी हनुमानजी की प्रतिमा निकली। इतने में ही किसान की पत्नी भी वहां खाना लेकर पहुँच गई। पति के साथ वह भी सहयोग करने लगी। दोनों ने मिलकर उस प्रतिमा को साफ किया। घटना की जानकारी गांव के लोगों को लगी। कहते हैं कि उस रात असावता के ज़मींदार को स्वप्न में हनुमानजी दिखे और कह रहे थे कि मझे असावता से ले जाकर सालासर में स्थापित करो। उसी रात सालासर के हनुमान भक्त मोहनदासजी को भी हनुमानजी ने स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि मैं असावता में हूँ मुझे सालासर लाकर स्थापित करो। कुछ समय बाद मोहनदास जी ने असावता के ज़मींदार को अपने स्वप्न के बारे में जानकारी दी। स्वप्न के बारे में सुनकर ज़मींदार एकदम सन्न रह गया और कहा कि मुझे भी कुछ इसी तरह का स्वप्न आया था। (Travel)

ज़मींदार ने स्वप्न को हनुमानजी की आज्ञा मानकर मूर्ति को सालासर में स्थापित करवा दिया। धीरे-धीरे यह छोटा सा कस्बा सालासर धाम के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं एवं मंदिर परिसर में सेवारत लोगों से मिली जानकारी के अनुसार भक्त मोहनदास महाराज से वचनबद्ध होने के कारण अंजनीनंदन भगवान यहां प्रत्यक्ष रूप से निवास कर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। (Travel)

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Salasar Hanumanji

अंजनीनंदन की प्रेरणा से ही असावता में जमीन से निकली मूर्ति सालासर बैलगाड़ी द्वारा पहुंचाई गई...

अंजनीनंदन की प्रेरणा से ही असावता में जमीन से निकली मूर्ति सालासर बैलगाड़ी द्वारा पहुंचाई गई। अठारह सौ ग्यारह सम्वत में श्रावण शुक्ल नवमी शनिवार के दिन मूर्ति को यहां विधि-विधान से स्थापित किया गया। कुछ वर्षों बाद मंदिर की सेवा पूजा-अर्चना का समस्त भार उदयराम को सौंप कर मोहनदास जी महाराज ने जीवित समाधि ले ली। इसके बाद मंदिर में अनवरत सेवा पूजा चलती रही है। (Travel)

सीकर के राजा कल्याणसिंह की भी हनुमानजी के प्रति अटूट भक्ति थी उन्होंने राजघराने से मां अंजनी माता की मूर्ति मंगवाई और ज्येष्ठ पंचमी सोमवार सम्वत् 2020 शुभ समय में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई। मां अंजनी भी अपने पुत्र की भांति अष्ट सिद्धि नव निधि की दाता हैं। विशेष रूप से बालकों व स्त्रियों के कष्ट निवारण में मैया का विशेष आशीर्वाद है। मंदिर परिसर में ही हनुमान भक्त मोहनदास और उनकी बहन कानी दादी की समाधि है। (Travel)

crowd at salasar Hanumanji

यहां मोहनदासजी के जलाए गए अग्निकुंड की धूनी आज भी जल रही है। भक्त इन अग्नि कुंड की भभूति अपने साथ ले जाते हैं। लोगों को विश्वास है कि भभूति से सारे कष्टों का निवारण हो जाता है। पिछले 20-22 वर्षों से रामायण के अखंड पाठ भी चल रहे हैं। चैत्र पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा को यहां मेले का आयोजन होता है जिसमें हज़ारों की संख्या में भक्त भाग लेते हैं। सालासर धाम जयपुर से बीकानेर जाने वाले राष्ट्रीय राज मार्ग पर चूरू जिले में स्थित है। इस मंदिर में हनुमानजी के दर्शनों के लिए प्रति दिन हज़ारों की संख्या में देशी-विदेशी भक्त कतारबद्ध खड़े रहते हैं। कभी-कभी घंटों इंतजार के बाद दर्शन कर अपने को कृतार्थ करते हैं। (Travel)

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