Travel Guide : दिल्ली का जंतर मंतर: खगोलीय विज्ञान का गजब अजूबा

 दिल्ली में स्थित जंतर मंतर, खगोल विज्ञान का एक ऐसा ऐतिहासिक केंद्र है, जो सदियों पुराना है। इसे 1724 में महाराजा जय सिंह द्वितीय ने खगोलीय गणनाओं और शोध के लिए बनवाया था।

By Lotpot
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Travel Guide Delhi Jantar Mantar A wonderful wonder of astronomical science
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Travel Guide : दिल्ली में स्थित जंतर मंतर, खगोल विज्ञान का एक ऐसा ऐतिहासिक केंद्र है, जो सदियों पुराना है। इसे 1724 में महाराजा जय सिंह द्वितीय ने खगोलीय गणनाओं और शोध के लिए बनवाया था। इस अद्भुत संरचना का मुख्य उद्देश्य ग्रहों, तारों और समय के बारे में जानकारी जुटाना था। आइए, जंतर मंतर के इतिहास, खगोलीय उपकरणों और इसके महत्व के बारे में विस्तार से जानें।


जंतर मंतर का निर्माण और इतिहास

Travel Guide Delhi Jantar Mantar A wonderful wonder of astronomical science

महाराजा जय सिंह द्वितीय, जो खगोल विज्ञान में गहरी रुचि रखते थे, ने दिल्ली सहित भारत के पांच स्थानों पर जंतर मंतर का निर्माण करवाया। "जंतर मंतर" का अर्थ है "यंत्र और मंत्र," जो खगोलीय उपकरणों और उनके उपयोग का प्रतीक है।

यह पूरी तरह से बाहरी संरचना है, जिसमें पत्थर, प्लास्टर, और चूना का उपयोग किया गया है। यहां मौजूद उपकरणों का उपयोग सूर्य, ग्रहों, और तारों की स्थिति जानने के लिए किया जाता था। जंतर मंतर की संरचनाएं उस समय के विज्ञान और वास्तुकला की अद्भुत मिसाल हैं।

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खगोलीय उपकरण और उनकी उपयोगिता

जंतर मंतर में कुल 13 उपकरण हैं, जिनका उपयोग खगोलीय गणनाओं के लिए होता था। इनमें से प्रमुख उपकरण हैं:

  1. सम्राट यंत्र

    • यह एक विशाल त्रिकोणीय आकार की घड़ी है।
    • समय को घंटों, मिनटों और सेकंड्स में मापने के लिए इस्तेमाल की जाती है।
  2. राम यंत्र

    • दो बेलनाकार संरचनाएं हैं, जो तारों की स्थिति मापने के लिए काम आती हैं।
  3. जयप्रकाश यंत्र

    • इसका उपयोग सूर्य और तारों की स्थिति को समझने के लिए किया जाता है।
    • इसे खुले गोलार्द्ध और अर्धगोलाकार संरचना में बनाया गया है।
  4. मिश्र यंत्र

    • यह यंत्र पांच अलग-अलग खगोलीय गणनाओं के लिए बनाया गया है, जैसे- दोपहर का समय और सबसे लंबे व छोटे दिन की गणना।

आज का जंतर मंतर: संरक्षित धरोहर

जंतर मंतर अब खगोल विज्ञान के लिए उपयोग नहीं होता, क्योंकि इसके आसपास ऊंची इमारतें बन गई हैं, जिससे सूर्य की रोशनी उपकरणों पर सही तरह से नहीं पड़ती। फिर भी, इसे भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है।

यही नहीं, इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। यह संरचना न केवल भारत के खगोलीय विज्ञान का प्रतीक है, बल्कि इसकी वास्तुकला आज भी लोगों को आकर्षित करती है।


बच्चों के लिए खास जानकारी

  1. जंतर मंतर में एक विशाल धूपघड़ी है, जिसे देखकर समय मापा जा सकता है।
  2. यह स्थान खगोलीय विज्ञान और गणित में रुचि रखने वाले बच्चों के लिए बहुत रोचक है।
  3. जंतर मंतर की संरचना भारतीय विज्ञान और वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है।

जंतर मंतर की यात्रा की तैयारी

  • समय: सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक।
  • टिकट: भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए मामूली शुल्क।
  • सर्वोत्तम समय: सुबह या शाम, जब तापमान कम हो।
  • पहनावा: हल्के कपड़े और आरामदायक जूते पहनें।

FAQ: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रश्न 1: जंतर मंतर का निर्माण कब और किसने किया?
उत्तर: जंतर मंतर का निर्माण 1724 में महाराजा जय सिंह द्वितीय ने किया।

प्रश्न 2: यहां कौन-कौन से उपकरण मौजूद हैं?
उत्तर: जंतर मंतर में सम्राट यंत्र, राम यंत्र, जयप्रकाश यंत्र, और मिश्र यंत्र जैसे 13 उपकरण हैं।

प्रश्न 3: क्या बच्चे जंतर मंतर जा सकते हैं?
उत्तर: हां, यह स्थान बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक और रोचक है।

प्रश्न 4: क्या जंतर मंतर में फोटोग्राफी की अनुमति है?
उत्तर: हां, लेकिन इसके लिए एक मामूली शुल्क देना होता है।

प्रश्न 5: जंतर मंतर किस उद्देश्य से बनाया गया था?
उत्तर: इसे ग्रहों और तारों की स्थिति और समय मापने के लिए बनाया गया था।


जंतर मंतर भारतीय खगोल विज्ञान का एक शानदार उदाहरण है। यहां आकर आप न केवल भारतीय विज्ञान और वास्तुकला को समझ पाएंगे, बल्कि एक ऐतिहासिक यात्रा का अनुभव भी करेंगे। बच्चों के साथ यह स्थान अवश्य घूमें और उन्हें खगोल विज्ञान की रोचक जानकारी दें।

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