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सांस्कृतिक विरासत से घिरा शहर पटियाला
Travel सांस्कृतिक विरासत से घिरा शहर पटियाला:- पंजाब राज्य का चौथा सबसे बड़ा शहर, पटियाला स्वर्ण भूमि के दक्षिण-पूर्व में बसा है। पटियाला की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जड़ें मजबूत हैं, जो पंजाब की मूल परंपराओं की खोज के लिए एक पसंदीदा स्थान होने के साथ-साथ वास्तुशिल्प चमत्कारों और सांस्कृतिक विरासत से घिरा हुआ है। (Travel)
पटियाला भारत के पंजाब प्रांत का एक नगर है। पटियाला की अपनी एक अलग संस्कृति है जो यहां के लोगों की विशेषता को दर्शाती है। यहां के वास्तुशिल्प में राजपूत शैली का पुट दिखाई पड़ता है लेकिन यह शैली स्थानीय परंपराओं में ढलकर एक नया रूप ले चुकी है। पटियाला का किला मुबारक परिसर सुंदरता की खान है।
किला मुबारक परिसर:-
10 एकड़ क्षेत्र में फैला किला मुबारक परिसर शहर के बीचों बीच स्थित है। किला मुख्य महल, गेस्टहाउस और दरबार हाॅल इस परिसर के प्रमुख भाग हैं। इस परिसर के बाहर दर्शनी गेट, शिव मंदिर और दुकानें हैं। किला के वास्तुशिल्प पर उत्तर मुगल कालीन और राजस्थानी शिल्प का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। मुख्य महल को देखकर लगता है कि जैसे महलों का एक झुंड हो। (Travel)
रंग महल और शीश महल:-
इन दोनों महलों को बड़ी संख्या में भित्तिचित्रों से सजाया गया है, जिन्हें महाराजा नरेंद्र सिंह की देखरेख में बनवाया गया था। किला मुबारक के अंदर बने इन महलों में 16 रंगे हुए और कांच से सजाए गए चेंबर हैं। (Travel)
काली मंदिर:-
जब महाराजा भुपिंदर सिंह ने मंदिर बनाने का निश्चय किया तो उन्होंने मां काली की प्रतिमा बंगाल से पटियाला मंगवाई। यह विशाल परिसर हिंदु तथा सिक्ख श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस परिसर के बीच में काली मंदिर से भी पुराना राजेश्वरी मंदिर स्थित है। (Travel)
गुरूद्वारा दुख निवारण साहिब:-
लेहल के गांव वासियों ने यह जमीन गुरूद्वारा बनाने के लिए दान की थी। माना जाता है कि गुरू तेग बहादुर इस जगह आए थे। जनश्रुति के अनुसार जो व्यक्ति गुरूद्वारे में प्रार्थना करता है, उसे कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए गुरूद्वारे का नाम दुख निवारण पड़ा। (Travel)
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