/lotpot/media/post_banners/q4YfwW6uci0WhElHu11W.jpg)
Kids Jungle Stories
बाल कहानी - (Lotpot Hindi Kids Stories) पिंटू ने शैतानों को पकड़ा : काशीपुर के जंगल में सभी तरह के जानवर रहते थे। जंगल में जानवरों की छोटी छोटी बस्तियाँ बनी हुई थी। हाथियों की बस्ती जंगल के आखिरी किनारे पर थी। उनकी बस्ती के आसपास दूर दूर तक घास उगी हुई थी। पेड़ों पर सभी तरह के फल लगे हुए थे। सभी हाथी मजे से हरी घास और पेड़ों से खूब फल खाते थे। लेकिन पानी के लिए हाथियों को बहुत परेशान होना पड़ता था। जंगल से बाहर बहुत दूर एक नदी बहती थी।
पिंटू खरगोश ने दिया सुझाव
सभी हाथी एकत्र होकर उस नदी पर पानी पीने जाते थे। गर्मी के मौसम में हाथियों को कई बार नदी पर जाना पड़ता था।
बार बार नदी पर जाने में हाथियों के बच्चों को बहुत पेरशानी होती थी। एक दिन सब हाथी पानी पीने नदी पर जा रहे थे। रास्ते में पिंटू खरगोश बैठा जामुन खा रहा था।
उसने हाथियों के मुखिया को नमस्कार करके कहा। दादा बार बार नदी पर जाने में परेशानी तो बहुत होती होगी। दादा अगर सब मिल कर जंगल में ही एक तालाब बना लें तो किसी को नदी पर जाना ही न पड़े।
तुम कहते तो ठीक हो। लेकिन बेटे हमारी बस्ती के आस पास तो इतनी पथरीली जमीन है कि तालाब बन ही नहीं सकता। मुखिया हाथी ने कहा।
दादा, आप ठीक कहते हैं। मेरे दादा जी ने भी यही कहा था। मैं जंगल में एक जगह देख आया हूँ जहाँ पथरीली जमीन नहीं है। चारों तरफ बहुत सी झाड़ियाँ हैं। उन झाड़ियों के बीच मैदान में तालाब बन सकता है। पिंटू खरगोश ने कहा।
दूसरे दिन पिंटू मुखिया दादा को तालाब बनाने की जगह ले गया। मुखिया को वह जंगल बहुत पसंद आया। सब हाथियों ने मिलकर तालाब के लिए गड्ढा खोदना शुरू कर दिया।
यहाँ एक कहानी और है पढ़ने के लिए बाल कहानी: जादुई पत्थर
तालाब का पूरा हुआ
दस दिन में बड़ा तालाब बन गया। तालाब में नीचे से बहुत मीठा और ठंडा पानी निकला। पहले सब हाथियों और उनके बच्चों ने पेट भर पानी पीया। फिर सब उस तालाब में घुस कर नहाए। नहाने से तालाब के नीचे की मिट्टी पानी में घुल गई तो पानी गंदा हो गया। नहाकर सब हाथी अपनी बस्ती में लौट आए।
/lotpot/media/post_attachments/TmdS9JUIe5L3KezzDHqZ.jpg)
सब हाथी बहुत खुश थे। अब उन्हें पानी के लिए नदी पर नहीं जाना पड़ता था। कुछ दिन ऐसे ही बीत गए। एक दिन सुबह सब हाथी नदी पर पहुचें तो बहुत हैरान रह गए।
तालाब का पानी गंदा हो रहा था। तालाब में बड़े बड़े पत्थर पड़े हुए थे। किसी ने काँटों वाली झड़ियाँ भी तालाब में डाल रखी थी। पानी पीने के लिए सब हाथियों को ठहरना पड़ा। जब तालाब की मिट्टी नीचे बैठ गई तो उन्होंने पानी पीया। फिर उन्होंने तालाब की सफाई की।
दूसरे दिन भी ऐसा ही हुआ। तालाब में बड़े बड़े पत्थर पड़े थे। काँटों वाली झड़ियाँ भी भरी हुई थीं। तालाब का पानी भी गंदा किया हुआ था। हाथियों ने तालाब की सफाई की। पानी पीया और नहा कर घरों को लौट गए।
अगले दिन भी ऐसा ही हुआ तो सब हाथियों को गुस्सा आ गया। उन्होंने तालाब गंदा करने वाले को पकड़ कर खूब पिटाई करने का फैसला किया। लेकिन तालाब गंदा करने वाले को कैसे पकड़ा जाए?
पिंटू ने खरगोश बनाया प्लान
रास्ते में पिंटू खरगोश आता दिखाई दिया। मुखिया हाथी ने पिंटू को सारी कहानी सुनाई। पूरी कहानी सुनकर पिंटू बोला। उस शैतान को पकड़ना कोई मुश्किल नहीं। लेकिन मेरे विचार से यह काम एक जानवर का नहीं। अवश्य ही बहुत से जानवर मिल कर ऐसा करते होंगे। मैं कल रात को झाड़ियों के पीछे छिप कर बैठूँगा। सूरज निकलने से पहले तालाब गंदा करने आएगे तो मैं आप को बता दूँगा।
/lotpot/media/post_attachments/1K1a0SX2zYGPXPSr95Tg.jpg)
उस रात पिंटू खरगोश झाड़ियों में छिप कर बैठ गया। दूसरे दिन सूरज निकलने से पहले ही वहाँ पर बहुत सारे बंदर आए। पहले उन्होंने तालाब का पानी पीया। फिर खूब उछल कूद कर नहाए।
वहाँ से जाने से पहले बंदरों ने बड़े बड़े पत्थर धकेल कर तालाब में डाले। काँटों वाली बहुत सी झाड़ियाँ तालाब में डाल कर मजे से चले गए। उनके जाने के बाद पिंटू खरगोश दौड़ता हुआ मुखिया के पास पहुँचा। मुखिया को उसने सारी बातें बताई।
मुखिया ने हाथियों को बुलाकर बंदरों की बस्ती में जाकर, उन्हें खूब पीटने के लिए कहा। तभी पिटू बोला। नहीं दादा। अभी बंदरों को कुछ मत कहिए। आज रात को कुछ हाथियों को झाड़ियों के पीछे छिपा कर बैठा दीजिए। सुबह जब बंदर आकर तालाब गंदा करें तो उन्हें रंगे हाथों पकड़ कर खूब पिटाई करें।
हाँ, हाँ यह बात ठीक है। आज रात को कुछ हाथी वहाँ छिप कर बैठें। पिंटू बेटे, बंदरों को ऐसा सबक सिखाऊँगा कि, फिर कभी वे ऐसी शरारत नहीं करेंगे। मुखिया ने कहा।
आखिर वो शैतान पकड़े गए
उस रात को पाँच छः हाथी झाड़ियों के पीछे छिप कर बैठ गए। सुबह बंदरों ने आकर तालाब का पानी गंदा करने के लिए पत्थर डाले तो हाथियों ने बंदरों को पकड़ लिया। अचानक हाथियों को देखकर बंदर घबरा गए। थोड़ी देर में मुखिया दूसरे हाथियों के साथ वहाँ पहुँच गया। बंदरों की इतनी पिटाई हुई कि उनका मुँह लाल हो गया। सब बंदरों ने माफी माँगी तो मुखिया ने उन्हें छोड़ दिया।
और ये कहानी भी पढ़ें : बाल कहानी : हार जीत