बाल कहानी : जादुई बोने और मोची

बाल कहानी : जादुई बोने और मोची :- एक मोची था, जो दिन रात पूरी ईमानदारी के साथ काम करता था। वह मोची बहुत मेहनती था। लेकिन इतनी मेहनत करने के बाद भी वह ज़्यादा पैसे नहीं कमा पाता था। उसके पास जूतों की जोड़ी बनाने के लिए बहुत कम चमड़ा था। इसके अलावा उसके पास और कुछ नहीं था।

By Lotpot
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बाल कहानी : जादुई बोने और मोची :- एक मोची था, जो दिन रात पूरी ईमानदारी के साथ काम करता था। वह मोची बहुत मेहनती था। लेकिन इतनी मेहनत करने के बाद भी वह ज़्यादा पैसे नहीं कमा पाता था। उसके पास जूतों की जोड़ी बनाने के लिए बहुत कम चमड़ा था। इसके अलावा उसके पास और कुछ नहीं था।

उसने एक रात जूतें बनाने के लिए चमड़ा काटा और वह अगले दिन जूते बनाने के लिए उस चमड़े को अपने कारखाने में छोड़ गया। उसका मन सच्चा था। इतनी परेशानी होने के बावजूद भी वह आराम से अपनी सारी परेशानियों को पीछे छोड़कर सोने चला गया। जब सुबह हुई तो मोची काम करने के लिए अपने कारखाने में गया ताकि रात को काटे हुए चमड़े के टुकड़े से वह जूते बना सके। जब वह अपने कारखाने पहुंचा, तो उसने देखा कि उसके टेबल पर जूते तैयार पड़े थे। मोची को समझ नहीं आया कि जूते देखकर वह क्या कहे। उसने जूतों को देखा। जूतों में एक भी खराब टांका नहीं लगा था और पूरे जूते एकदम साफ और सही ढंग से बनाए गए थे। जूते देखने में बहुत अच्छे लग रहे थे।

उसी दिन उस मोची के पास एक ग्राहक आया। उसे वह जूते बहुत पसंद आए। उस ग्राहक ने मोची को उस जूते के लिए ढेरो रूपये दिए। उस पैसे से मोची ने दो जोड़ी जूते बनाने के लिए चमड़ा खरीदा। शाम को उसने जूतों के लिए चमड़ा काटा और फिर वह सोने चला गया। वह जल्दी सो गया ताकि सुबह उठकर वह काम कर सके। लेकिन जब वह सुबह उठा तो उसे अपने जूते फिर से तैयार मिले। फिर उसकी दुकान पर ग्राहक आए और उन्होंने जूतों के लिए उसे अच्छी कीमत दी। फिर मोची ने चार जोड़ी जूते बनाने के लिए चमड़ा खरीदा। उसने फिर रात को चमड़ा काटा और पहले की तरह उसे जूते बने हुए मिले।

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यह सिलसिला कुछ दिनों तक चलता रहा। कुछ ही दिनों में मोची अमीर हो गया।

क्रिसमस की एक शाम मोची अपनी पत्नी के साथ आग के सामने बैठा था। वह दोनों बाते कर रहे थे। मोची ने अपनी बेटी को कहा, ‘आज रात मैं बैठकर देखना चाहता हूँ कि कौन आकर मेरा काम करके जाता है।’ मोची की पत्नी को उसकी यह बात अच्छी लगी। वह दोनों कमरे के कोने में लगे पर्दे के पीछे छुप गए। वह दोनों इंतज़ार करने लगे कि कौन आकर उनके जूते बनाकर जाता है।

आधी रात हो गई। तब दो बोने उनके घर आए। वह दोनों बोने जूते वाले की मेज़ पर बैठे। उन दोनों ने कटा हुआ चमड़ा लिया और अपनी छोटी छोटी उंगलियों से उस चमड़े की सिलाई करने लगे। वह जल्दी जल्दी काम करने लगे और थोड़े ही समय में उन्होंने जूते तैयार कर दिए। उनके काम को देखकर मोची हैरान रह गया और उन्हें देखता रहा। देखते ही देखते दोनों बोनों ने जूते तैयार कर दिए और उन्हें मेज़ पर रख दिया। जूते बनाने के बाद वह झट से गायब हो गए।

अगले दिन मोची की पत्नी ने उससे कहा, ‘यह छोटे बोनों ने हमें अमीर बना दिया है। हमें उनका शुक्रिया करना चाहिए और अगर हम उनके लिए कुछ अच्छा कर सकते है, तो हमें ज़रूर करना चाहिए। मुझे उन्हें इस तरह काम करते देख बहुत दुख हुआ, मैं उन्हें कुछ पहनने के लिए भी नहीं दे सकी। इतनी ठंड में वह छोटे कपड़ों में आकर हमारा काम करते रहे और मैं उन्हें कुछ पहनने के लिए भी नहीं दे सकी। मुझे लगता है कि मैं इनके लिए कमीज़, कोट और पैंट बनाती हूँ। और आप उन दोनों के लिए एक जोड़ी जूते बनाओ।’

मोची को अपनी पत्नी का सुझाव बहुत पसंद आया। एक शाम जब सभी चीज़े तैयार थी, तो मोची और उसकी पत्नी ने सभी चीज़े मेज़ पर सजा दी। उस दिन मोची ने कटे हुए चमड़े की जगह बोनों के लिए बनाए गए कपड़ों को मेज़ पर रखा।

आधी रात को दोनों बोने नाचते, गाते कारखाने में आए। वह दोनों हमेशा की तरह अपना काम करने के लिए मेज़ पर बैठ गए। लेकिन जब उन्होंने मेज़ पर पड़े कपड़ों को देखा, वह दोनों हंसने लगे और खुश हो गए। फिर उन बोनों ने वह कपड़े पहन लिए और वह नाचने लगे। इससे पहले वह इतने खुश कभी नहीं हुए थे। वह नाचते हुए दरवाज़े से बाहर गए और हमेशा के लिए गायब हो गए।

इसके बाद मोची और उसकी पत्नी ने उन जादुई बोनो को कभी नहीं देखा। लेकिन इसके बाद उन्हें कभी कोई तकलीफ नहीं हुई और उनका कारोबार अच्छा चलता गया।

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