बाल कहानी : छोटी बुद्धि का कमाल

बाल कहानी : छोटी बुद्धि का कमाल (Lotpot Kids Story): टीकू खरगोश अपनी बिल के पास बैठा सामने कुछ दूरी पर अपने दो बच्चों चीटू और नीटू को खेलता हुआ देख रहा था।

By Lotpot
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बाल कहानी : छोटी बुद्धि का कमाल (Lotpot Kids Story)

बाल कहानी : छोटी बुद्धि का कमाल (Lotpot Kids Story): टीकू खरगोश अपनी बिल के पास बैठा सामने कुछ दूरी पर अपने दो बच्चों चीटू और नीटू को खेलता हुआ देख रहा था।

उसकी पत्नी अन्दर आराम कर रही थी। वह बच्चों का खेल देखने के लिए कई बार उसे बुला चुका था पर हर बार वह टाल जाती थी।

नन्हें-नन्हें बच्चे चीटू और नीटू मस्त खेल रहे थे। वे एक दूसरे के पीछे भागते, पकड़ते, पूँछ खींचते। कभी भागकर किसी झाड़ी में छुप जाते, वे एकदम सुधबुध भूल अपने खेल में मस्त थे।

अचानक एक भेड़िया उधर आ निकला। टीकू की नज़र उस पर पड़ते ही वह जोर से चीखा-बच्चों भागो।

बाल कहानी : छोटी बुद्धि का कमाल (Lotpot Kids Story)

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स्वयं तो वह तेजी से बिल में घुस गया। लेकिन बच्चे जब तक सचेत होते और समझते कि क्या बात है। तब तक भेड़िया उनके ठीक सामने आ गया।

दोनों की तो जान ही सूख गई। भेड़िये ने अपनी जुबान लपलपाई। वह सोच रहा था। वहा, आज तो खरगोश का नर्म नर्म गोश्त खाने को मिलेगा। बहुत दिन हुआ नर्म मजे़दार गोश्त खाने को नहीं मिला और आज मिला भी तो एक नहीं दो-दो। अब मैं इन्हें स्वाद लेकर खाऊँगा। यह सोचकर ही भेड़िये के मुँह में पानी आ रहा था।

चीटू और नीटू सहमे से खड़े एक दूसरे की तरफ देख रहे थे। वह भाग भी नहीं सकते थे। वे समझ रहे थे भागने की कोशिश करने पर भेड़िया एक ही छलांग में उन्हें दबोच लेगा। मौत एकदम सामने खड़ी थी।

भेड़िया घूरकर उन दोनों को देख रहा था। बचने का कोई रास्ता न देखकर नीटू ने चीटू को आँखों ही आँखों में कोई इशारा किया। और धीरे-धीरे भेड़िये की तरफ बढ़ा।

नीटू, चीटू धीरे से फुसफुसाया।

चिन्ता न करो। नीटू ने कहा।

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भेड़िये को आश्चर्य हुआ कि खरगोश का बच्चा अपने आप मौत के मुँह में चला आ रहा है। नीटू के नज़दीक आते ही भेड़िये ने उसे पकड़ने के लिए अपना पंजा आगे बढ़ाया तब तक नीटू ने धड़कते हुए दिल से चट से कहा। चाचा जी प्रणाम।

हैरानी से भेड़िये का मुँह खुला रह गया और बढ़ा हुआ पंजा जहाँ का तहाँ रूक गया।

चाचा जी, आप इतने दिन कहाँ रहे? नीटू ने अपनी बात जारी रखी। भेड़िये की आँखे आश्चर्य से फैल गई। इसको मुझसे डर नहीं लगता। जो इस तरह बातें कर रहा हैं।

आइये आप भी हमारे साथ खेलिए।

हाँ, हाँ जरूर खेलूंगा।

लेकिन आप पिताजी से मिले?

नहीं तो?

अभी मिलाता हूँ। यहीं तो थे कहाँ गये?

भेड़िया मन ही मन बहुत खुश हुआ कि एक और आ रहा हैं। तीन तीन हो जायेंगे। मेरे लिए दो दिन का पूरा भोजन। भेड़िये ने प्रेम दिखाते हुए कहा। हाँ, हाँ बुलाओ उनसे भी मिल तुम लोगों उनकेे साथ खेलूंगा।

अभी बुलाता हूँ। नीटू ने कहा फिर चीटू से बोला। चीटू ओ चीटू, देख तो पिताजी कहाँ गये? कह दो चाचा जी आये हैं मिलने। जल्दी बुला ला।

इतना कहकर नीटू ने चीटू को इशारा किया और वह लपक कर बिल में घुस गया। नीटू ने जोर से कहा ‘जल्दी आना’।

जल्दी आऊँगा। चीटू की आवाज बिल के अन्दर से आई।

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नीटू भेड़िये से इधर उधर की बातें करता रहा। काफी देर तक इंतजार करने पर भी जब चीटू नहीं आया तो नीटू ने कहा। क्या बात है? चीटू बहुत देर कर रहा हैं मैं बुलाऊँ उसे?

बुलाओ, बहुत देर हो गई। भेड़िये ने बेेसब्री से कहा।

बिल के पास जाकर नीटू ने आवाज लगाई-चीटू!  ओ चीटू

तुम बाहर क्यों नहीं आते? चाचाजी कब तक खड़े रहेगें? पिताजी को लेकर आओ।

नीटू, मैं पिताजी को समझाकर कर हार गया वे नहीं आते तुम ही आकर मनाओ।

बताओ न, चाचा जी बुला रहे हैं।

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वे नहीं मानते।

अच्छा मैं आकर देखता हूँ। कहकर नीटू ने भेड़िये से कहा। आप दो मिनट इंतजार करें। मैं अभी पिताजी को मनाकर लाता हूँ।

हाँ, हाँ जाओ। लेकिन जरा जल्दी आना।

बस अभी गया, अभी आया। कहता हुआ नीटू भी एक ही छलांग में बिल के अन्दर घुस गया।

भेड़िया मन ही मन बहुत खुश था कि अब तीनों एक साथ बाहर आयेंगे। तभी नीटू ने अन्दर से झांकते हुए कहा। चाचा जी अब आप जाइये हम में से कोई बाहर आने वाला नहीं हैं।

भेड़िये का मुँह लटक गया और अफसोस करता अपने रास्ते चल पड़ा।

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