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मिन्नी और अप्रैल फूल
Minni E-Comics मिन्नी और अप्रैल फूल:- एक अप्रैल का दिन था, सभी बच्चे अपने दोस्तों को अप्रैल फूल बनाने का कोई न कोई तरीका ढूंढ रहे थे। मिन्नी सुबह सुबह बाहर निकली और अभी वो कुछ दूर ही गयी थी की तभी उसे इक्की दिखाई दी। उसने इक्की से पुछा, अरे इक्की इतनी सुबह सुबह साइकिल लेकर कहाँ जा रही हो? (Minni | Comics) इक्की ने मिन्नी को बताया की आज पहली अप्रैल है और कोई मुझे अप्रैल फूल न बना दे इससे बचने के लिए मैं शहर से बाहर झील के किनारे जा रही हूँ। शुद्ध वातावरण में पूरा दिन गुजारुंगी और कोई बेवकूफ भी नहीं बना पाएगा। इक्की की बात सुन कर मिन्नी इक्की को समझाती है की आज का दिन हँसी मज़ाक का होता है इसलिए हमे ये दिन दोस्तों के साथ हँसी मज़ाक करते हुए गुज़ारना चाहिए। हाँ, कोई अगर इस दिन को गलत तरीके से मना रहा है, किसी को नुक्सान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है तो ये ठीक नहीं है। (Minni | Comics) अभी इक्की और मिन्नी बातें ही कर रहे थे की तभी गीतू वहाँ आ जाती है और इक्की से बोलती है की इक्की तुम आगे जा रही हो तो इस रास्ते से मत जाना, इस रास्ते पर आगे कांच पड़े हुए हैं तुम्हारी साइकिल पंक्चर हो जाएगी। गीतू के समझाने के बावजूद इक्की नहीं मानी उसको लगा की ये गीतू की उसे अप्रैल फूल बनाने की कोई नयी तरकीब है। फिर इक्की ने बोला की मैं तो इसी रास्ते से जाउंगी और इक्की साइकिल लेकर उसी रास्ते पर आगे बढ़ जाती है। अभी इक्की थोड़ी दूर ही गयी थी कि तभी इक्की की साइकिल पंक्चर हो जाती है। मिन्नी यह अब देख रही थी वो झट से इक्की के पास आती है और बोलती है की तुझे गीतू ने पहले ही मना किया था पर तूने उसकी एक न सुनी। अब इक्की परेशान हो जाती है और बोलती है की मुझे ये साइकिल यहीं छोड़कर पैदल ही झील तक जाना होगा। (Minni | Comics)
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