मोटू पतलू और मुफ्त के खरबूजे

गर्मी का दिन था शाम हो चुकी थी मोटू और पतलू डॉ. झटका के घर के गार्डन में बैठे बातें कर रहे थे। तभी घसीटा खरबूजे लेकर वहां आता है और बोलता है कि लो दोस्तो, मैं गर्मियों की सौगात ले आया हूं।

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मोटू पतलू और मुफ्त के खरबूजे

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मोटू पतलू और मुफ्त के खरबूजे:- गर्मी का दिन था शाम हो चुकी थी मोटू और पतलू डॉ. झटका के घर के गार्डन में बैठे बातें कर रहे थे। तभी घसीटा खरबूजे लेकर वहां आता है और बोलता है कि लो दोस्तो, मैं गर्मियों की सौगात ले आया हूं। खरबूजे देखकर मोटू खुश हो जाता है और डॉ. झटका बोलता है कि गर्मियों में इसे खाने से प्यास और भूख दोनों मिट जाती है। सबकी बातें सुनकर घसीटा उनको बताता है कि एक खास जगह से लाया हूं इन्हें, पूरे इलाके में इससे मीठे खरबूजे और कहीं-नहीं पाये जाते। अभी सब बातें ही कर रहे थे कि डॉ. झटका सभी के लिए खरबूजे काट कर ले आता है और बोलता है कि लो, मैंने काट दिये हैं, अब सभी पेट भरके खाओ। खरबूजे बहुत ही मीठे थे पतलू उन्हें खाकर बोलता है कि भाई ये तो शहद से भी मीठे हैं। मोटू खरबूजे खाकर बहुत खुश होता है और घसीटा से बोलता है कि घसीटे, इतने से हमारा क्या बनेगा जा और लेकर आ। मोटू की बात से सहमत होकर पतलू बोलता है कि हाँ और ले आ नहीं तो हमें जगह बता दे चलकर ले आते हैं हम। पतलू की बात सुनकर घसीटा बोलता है कि अरे नहीं पहले ही इन्हें बहुत मुश्किल से लेकर आया हूँ। घसीटा की बात सुनकर मोटू नाराज़ हो जाता है और बोलता है कि साफ़-साफ़ क्यों नहीं कहता कि हमें जगह नहीं बताना चाहता। 

आगे क्या हुआ जानने के लिए पोस्ट को पूरा दखें, पढ़ें और हँसते हँसते लोटपोट हो जाएँ:-

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