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मैं किसी काम का नहीं
Motu Patlu E-Comics मैं किसी काम का नहीं:- एक दिन मोटू बाजार से घर लौट रहा था, तभी रास्ते में कुछ बच्चे उसकी नक़ल करने लगते हैं। यह देखकर मोटू उदास हो जाता है उसको लगता है की वे बच्चे उसका मज़ाक उड़ा रहे हैं। यही सोचते सोचते वो घर की तरफ चलता है। लेकिन रास्ते में उसके मन में और भी विचार आने लगते हैं। (Motu Patlu | Comics) मोटू सोचने लगता है की मेरा जीवन बेकार है अपने बढे वज़न के कारण मैं कोई काम भी ठीक से नहीं कर पाता हूँ, सब मेरा मज़ाक उड़ाते हैं और बच्चे मेरी नक़ल करते हैं। ऐसी ज़िन्दगी से मैं तंग आ गया हूँ। यह सब सोचते सोचते मोटू घर पहुँच जाता है और सोफे पर बैठ जाता है। तभी पतलू वहां आता है और मोटू से पूछता है की भाई मोटू क्या हो गया तुम्हे इतना बुझे बुझे क्यों लग रहे हो? (Motu Patlu | Comics) मोटू बोलता है की मेरे जीवन का उद्देश्य ही बुझ गया है मेरी कोई कदर नहीं है, मैं नाकाम हो गया हूँ। मेरा शरीर इतना मोटा है की मैं इस दुनिया पर बोझ हो गया हूँ, मेरा जीना बेकार है। मोटू की बातें सुनकर पतलू बोलता है की ओए मोटू यार ऐसी बहकी बहकी बातें मत कर मेरा दिल घबरा रहा है। मोटू बोलता है की मैं और जीना नहीं चाहता इतने मोटे शरीर के साथ जीना बहुत मुश्किल है। मोटू की बातें सुनकर पतलू घबरा जाता है उसको लगता है की कहीं मोटू कुछ कर न ले पतलू उसको समझाने की कोशिश करता है और बोलता है की ठण्डे दिमाग से सोच मोटू तू सबका अजीज़ है। (Motu Patlu | Comics)
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