चीटू की जादुई पेंसिल और उसकी गड़बड़ चित्रकारी चीटू एक नटखट और शरारती लड़का था। उसकी पेंटिंग क्लास में हमेशा सबको हंसी आती थी क्योंकि वह हर बार कुछ न कुछ गड़बड़ कर देता था। एक दिन, चीटू को एक पुरानी स्टेशनरी की दुकान में एक चमचमाती जादुई पेंसिल मिली। By Lotpot 14 Nov 2024 in Fun Stories Moral Stories New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 चीटू की जादुई पेंसिल और उसकी गड़बड़ चित्रकारी चीटू एक नटखट और शरारती लड़का था। उसकी पेंटिंग क्लास में हमेशा सबको हंसी आती थी क्योंकि वह हर बार कुछ न कुछ गड़बड़ कर देता था। एक दिन, चीटू को एक पुरानी स्टेशनरी की दुकान में एक चमचमाती जादुई पेंसिल मिली। पेंसिल पर लिखा था, "जो तुम बनाओगे, वो असलियत में आ जाएगा!" चीटू ने सोचा, “अरे वाह! अब तो मैं दुनिया का सबसे बड़ा चित्रकार बन जाऊंगा।” पहली गड़बड़: उड़ता हुआ चप्पल चीटू ने पेंसिल से सबसे पहले एक चप्पल का चित्र बनाया, लेकिन यह चप्पल ज़मीन पर नहीं रही, बल्कि हवा में उड़ने लगी। चीटू के पापा कमरे में आए और वह चप्पल उनके सिर पर गिर पड़ी। पापा चौंक गए और बोले, “अरे! चप्पल उड़ कैसे रही है?” चीटू ने मुस्कुराते हुए कहा, “पापा, शायद यह जादुई चप्पल है!” पापा को समझ नहीं आया और वे हैरान रह गए। चीटू हंस-हंस कर लोटपोट हो गया। दूसरी गड़बड़: बिस्किट का कुत्ता चीटू को भूख लगी थी, तो उसने पेंसिल से बिस्किट का चित्र बनाया। बिस्किट असली हो गया और वह खुश होकर खाने ही वाला था कि तभी एक कुत्ता प्रकट हुआ और बिस्किट को उठा कर भाग गया। चीटू ने सोचा, “ये क्या हुआ! बिस्किट तो मेरे लिए था।” कुत्ता दूर से हंसते हुए भौंकने लगा, मानो कह रहा हो, "धन्यवाद चीटू, स्वादिष्ट बिस्किट के लिए!” तीसरी गड़बड़: मम्मी की जादुई चाय चीटू की मम्मी ने कहा, “चीटू, मुझे एक कप चाय बना दो।” लेकिन चीटू तो आलसी था, उसने पेंसिल से एक चाय का कप बना दिया। कप अचानक उबलने लगा और चाय हर तरफ फैल गई। मम्मी चीखते हुए बोलीं, “अरे, ये क्या हो रहा है?” चीटू ने झट से कहा, “मम्मी, यह तो जादुई चाय है, जो खुद ही तैयार हो जाती है!” मम्मी नाराज होकर बोलीं, “चीटू, मुझे तुम्हारी ये जादुई शरारतें बिल्कुल पसंद नहीं!” अंतिम गड़बड़: क्लासरूम का हंगामा अगले दिन, चीटू अपनी जादुई पेंसिल स्कूल ले गया। उसकी दोस्त पिंकी ने कहा, “चीटू, मेरे लिए एक सुन्दर तितली बनाओ।” चीटू ने फटाफट तितली का चित्र बनाया, लेकिन तितली असली बन गई और पूरे क्लासरूम में उड़ने लगी। बच्चे तितली को पकड़ने की कोशिश करने लगे, और क्लासरूम में हंगामा मच गया। टीचर ने गुस्से से पूछा, “ये सब क्या हो रहा है?” चीटू ने मासूमियत से कहा, “टीचर जी, ये तो तितली ने खुद ही शरारत कर दी।” टीचर ने चीटू की पेंसिल देखी और समझ गई कि यह कोई साधारण पेंसिल नहीं है। उन्होंने चीटू से पेंसिल ली और कहा, “चीटू, इस जादुई पेंसिल का इस्तेमाल तुमने शरारत करने के लिए किया है। अब इसे कुछ अच्छा बनाने में लगाओ।” अच्छाई की जीत चीटू ने सोचा कि अब वह अपनी जादुई पेंसिल से कुछ अच्छा बनाएगा। उसने एक सुंदर पेड़ का चित्र बनाया, और पेड़ असली हो गया। उस पेड़ पर कई रंग-बिरंगी चिड़ियाएं आकर बैठ गईं। बच्चों ने तालियाँ बजाईं और चीटू को कहा, “तुमने इस बार बहुत अच्छा काम किया।” कहानी का सबक चीटू ने सीखा कि जादू का इस्तेमाल सिर्फ शरारत करने के लिए नहीं, बल्कि दूसरों की मदद और खुशी लाने के लिए भी किया जा सकता है। अब चीटू अपनी जादुई पेंसिल से मजेदार और सुंदर चित्र बनाता है, जिससे सभी खुश हो जाते हैं। #Animated story in hindi #best hindi comedy story #best hindi funny story. #best hindi jungle story #bachon ki motivational story #bachon ki hindi motivational story #bachon ki moral story #bachon ki hindi moral story You May Also like Read the Next Article