Fun Story : मंझले नवाब की मज़ेदार कहानी

Fun Stories - बग्गन मियां कहने को तो खुद को नवाबी खानदान का बताते थे, पर वास्तव में हालत ऐसी न थी। घर में चाहे पतली, मूंग की दाल पी हो, पर बाहर निकल कर ऐसी डकार मारते जैसे पूरा बकरा डकार कर आ रहे हों।

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Fun Story Interesting story of the middle Nawab
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Fun Story : बग्गन मियां कहने को तो खुद को नवाबी खानदान का बताते थे, पर वास्तव में हालत ऐसी न थी। घर में चाहे पतली, मूंग की दाल पी हो, पर बाहर निकल कर ऐसी डकार मारते जैसे पूरा बकरा डकार कर आ रहे हों। फिर भी किसी तरह ऊपरी चमक-दमक बनाए हुए थे। खंडहर-नुमा हवेली में लम्बे-चौड़े परिवार के अलावा ढेर सारी तीतर, बटेर, मुर्गे आदि थे।

एक सुबह उनकी हवेली से रोने-पीटने की आवाज सुनकर मैं भी वहाँ पहुँचा। वहां का नजारा ही कुछ और था। बुग्गन मियां एक बंधी हुई पोटली को देखकर दहाड़ें मार-मार कर रोते जा रहे थे और पास रखी बाल्टी में अधन्नी लगातार आंसू निचोड़कर रूमाल उन्हें देता जा रहा था। एक के बाद एक बाल्टी तेजी से खाली होती जा रही थी।

Fun Story Interesting story of the middle Nawab

लगता था कि उन्हें कोई भारी सदमा पहुंचा था। सभी लोग खामोश थे। थोड़ी देर बाद जब लोगों ने माजरा जानना चाहा तो बुग्गन मियां ने रुंधे गले से बताया कि मंझले नवाब नहीं रहे। उन्होंने कहा कि परसों उन्हें संदेश मिला था कि कानपुर में लॉर्ड टेम्पलटन डी'मार फोटू की छठी रानी के पांचवें शहजादे ने उन्हें कल सुबह की चाय का न्योता दिया था। बुग्गन मियां ने यह न्योता कुबूल कर लिया और अपने साईस बनने मियां को हुकुम दिया कि उनकी शाही बग्घी को चमका कर ठीक कर दिया जाए और घोड़े की मालिश कर दी जाए। बनने मियां ठहरे एक नम्बर के नशेड़ी। अगली सुबह बनने मियां ने आकर बताया कि हजूर बग्घी तैयार है। बुग्गन मियां बड़े रोब-दाब के साथ उसमें बैठे और बग्घी चल पड़ी।

 

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बुग्गन मियां ने आगे बताया कि, "अरे जनाब क्या रफ्तार थी। देखते ही देखते वह कैसरबाग छूटा, फिर चार बाग आया। उस बाग को पार किया तो न जाने कब गंगा नदी पार हुई और ठीक आठ बजे उनकी बग्घी शहजादे के महल में दाखिल हो चुकी थी। लेकिन जैसे ही बग्घी रोकने के लिए लगाम खींची, एक तेज चीख गूंजी और सारी जमीन लाल हो गई।"

बुग्गन मियां ने बताया कि बनने मियां ने नशे में घोड़े के बजाय उनके सबसे प्यारे मुर्गे, मंझले नवाब को जोत दिया था। बेचारे मंझले नवाब भी इतने 'फरमाबरदार' निकले कि उफ तक न की और बुग्गन मियां को मंजिल पर पहुंचा कर ही शहीद हुए। फिर एक दहाड़ मारकर उन्होंने भारी दिल से रूमाल खोलते हुए कहा, "अब तो यादगार के तौर पर ये लहुलुहान जिस्म और पर ही बचे हैं।"

सब लोग यह सुनकर सिर धुन रहे थे कि मंझले नवाब उनके कोई खास रिश्तेदार हैं जिनकी मौत पर आंसुओं का दरिया बहाया जा रहा है। इधर अधन्नी दौड़ कर बाल्टी खाली करने में लगा था और उधर लोग खिसकना शुरू हो गए थे।

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