चीकू और सेब - एक दिन एक बाग में चीकू और सेब आपस में बहस कर रहे थे। दोनों अपनी-अपनी सुंदरता और गुणों को लेकर एक-दूसरे से श्रेष्ठ साबित करने में जुटे थे। चीख ने अपनी चमकदार त्वचा और मीठे रस का गुणगान किया, तो सेब ने अपनी चमक और सेहत के लिए उपयोगी गुणों को श्रेष्ठ बताया। दोनों के बीच की बहस इस कदर बढ़ गई कि बाग के अन्य फल भी इस झगड़े को देखने के लिए इकट्ठा हो गए। फलों के बीच यह चर्चा फैल गई, और हर कोई अपनी राय देने लगा। कोई चीकू का पक्ष ले रहा था तो कोई सेब का। लेकिन इस बहस का कोई निष्कर्ष नहीं निकल रहा था। तभी बगीचे के कोने में एक बूढ़ा पेड़ यह सब सुन रहा था। उसने दोनों को शांत करने के लिए पास बुलाया और बड़े ही शांत स्वर में कहा, "तुम दोनों इस बात पर क्यों बहस कर रहे हो कि कौन अधिक सुंदर है? तुम दोनों के अपने-अपने गुण हैं। चीकू, तुम्हारा रस प्यास बुझाने में मदद करता है, और तुम्हारा रंग हर किसी को आकर्षित करता है। वहीं, सेब, तुम्हारी मिठास और स्वास्थ्यवर्धक गुण तुम्हें विशेष बनाते हैं।" बूढ़ा पेड़ अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोला, "इस बहस का कोई अंत नहीं है, क्योंकि हर फल अपनी जगह पर अनमोल है। यदि तुम दोनों अपने मतभेद भूलकर मिलकर रहोगे, तो तुम्हारी खूबसूरती और गुणों की पहचान और बढ़ जाएगी। हाथ मिलाओ और इस झगड़े को यहीं खत्म करो।" चीकू और सेब ने बूढ़े पेड़ की बात समझी और एक-दूसरे से माफी मांगकर हाथ मिला लिया। बगीचे के सभी फलों ने उनकी समझदारी की सराहना की। नैतिक शिक्षा: झगड़े से कुछ भी हासिल नहीं होता। समझदारी से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है। मिलजुलकर रहना ही जीवन का असली आनंद है। और पढ़ें : चालाक चिंटू ने मानी ग़लती | हिंदी कहानी चेहरे को ठंड क्यों नहीं लगती? Fun Story : मोहित का चतुराई भरा प्लान आनंदपुर का साहसी हीरो