मजेदार कहानी : चतुर पुरोहित हरिद्वारी लाल Fun Stories | Moral Stories हरिद्वारी लाल गाँव के प्रमुख पुरोहित थे, जो स्थानीय मंदिर की देखभाल भी करते थे। मंदिर ही उनका निवास स्थान था, और वहाँ चढ़ावे की आमदनी से उनका जीवन सुचारू रूप से चल रहा था। By Lotpot 28 Aug 2024 in Fun Stories Moral Stories New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 मजेदार कहानी : चतुर पुरोहित हरिद्वारी लाल- हरिद्वारी लाल गाँव के प्रमुख पुरोहित थे, जो स्थानीय मंदिर की देखभाल भी करते थे। मंदिर ही उनका निवास स्थान था, और वहाँ चढ़ावे की आमदनी से उनका जीवन सुचारू रूप से चल रहा था। उन्होंने मंदिर में अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित की थीं, जिससे सभी भक्तों की आस्था बँटी हुई थी। विद्यार्थी सरस्वती की पूजा करते, व्यापारी लक्ष्मी जी के आगे सिर झुकाते, और युवा हनुमान जी की आराधना करते थे। महिलाओं के लिए संतोषी माँ और माँ अम्बे की मूर्तियाँ विशेष रूप से रखी गई थीं, जिससे सप्ताह के हर दिन मंदिर में चढ़ावा आता रहता था। (Clever priest Haridwari Lal) पंडित जी संस्कृत के कुछ श्लोक याद किए हुए थे, जिन्हें सुनाकर वे गाँव वालों को धार्मिकता का आभास कराते। गाँव में संस्कृत का ज्ञान किसी को न था, इसलिए पंडित जी का वचन ही सत्य माना जाता। जब भी कोई अनहोनी घटना घटती, पंडित जी कोई न कोई धार्मिक उपाय बता देते, और सभी बिना सवाल किए उसका पालन करते। एक दिन गाँव के बच्चे एक बीमार गधे को भगाने में लगे हुए थे। दुर्भाग्यवश, गधा घायल होकर मर गया। यह खबर जब पंडित जी तक पहुँची, तो उन्होंने गाँव वालों को इकट्ठा करके बताया कि इस पाप का प्रायश्चित करना अनिवार्य है। उन्होंने घोषणा की कि जिन बच्चों ने गधे को भगाया, उनके पिताओं को सोने का गधा बनवाकर मंदिर में दान करना होगा, अन्यथा उनके परिवारों पर विपत्ति आ सकती है। तभी एक बालक ने कहा, "पंडित जी, आपका बेटा संतोष भी हमारे साथ था।" यह सुनकर पंडित जी असमंजस में पड़ गए, परंतु उन्होंने तुरंत चतुराई से जवाब दिया, "शास्त्रों में लिखा है कि जहां पूत संतोष हो, वहाँ गधा मरे, तो दोष नहीं लगता।" गाँव वाले यह सुनकर प्रसन्न हो गए और पंडित जी ने भी चैन की साँस ली। मजेदार कहानी से सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी बात पर अंधविश्वास करने से पहले उसका तार्किक और न्यायपूर्ण विश्लेषण करना चाहिए। धार्मिकता और ज्ञान का सही उपयोग तभी होता है जब वह सभी के लिए समान रूप से लागू हो। केवल चतुराई से काम नहीं चलता, हमें अपने कर्मों का भी ध्यान रखना चाहिए और अन्याय नहीं करना चाहिए। यह भी पढ़ें:- सीख देती मजेदार कहानी: राजा और मधुमक्खी मजेदार हिंदी कहानी: आलसी राजू मजेदार हिंदी कहानी: घमण्डी राजा Fun Story: घमंडी ज़मींदार #best hindi funny story. #Mazedar Hindi Kahani #best hindi fun stories You May Also like Read the Next Article