मज़ेदार कहानी : घमंडी खींचू खटमल और मेहनती चींटी

खींचू खटमल और रिंकी चींटी में बहुत अच्छी दोस्ती थी। दोनों एक साधारण से घर में रहते थे। खींचू खटमल बूढ़े मकान मालिक की चारपाई में रहता था, जबकि रिंकी चींटी उसी कमरे में एक छोटे से बिल में रहती थी।

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Mazedar Kahani Ghamandi Khatmal aur Mehanti Chinti : खींचू खटमल और रिंकी चींटी में बहुत अच्छी दोस्ती थी। दोनों एक साधारण से घर में रहते थे। खींचू खटमल बूढ़े मकान मालिक की चारपाई में रहता था, जबकि रिंकी चींटी उसी कमरे में एक छोटे से बिल में रहती थी।

दोस्तों का रोज़ का रूटीन

रिंकी चींटी दिनभर अपने खाने की तलाश में रहती थी और शाम को अपने बिल में लौट आती थी। वहीं दूसरी ओर, खींचू खटमल दिनभर बूढ़े की चारपाई में आराम करता और शाम को नीचे उतरकर रिंकी से गप्पे लड़ाता था। वे दोनों इतने मग्न हो जाते कि कब रात हो जाती, उन्हें पता ही नहीं चलता।

घमंड और मजाक

एक दिन बातों-बातों में खींचू खटमल ने रिंकी चींटी का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। उसने कहा, "तुम्हारा जन्म तो व्यर्थ ही है, रिंकी।" रिंकी ने हैरानी से पूछा, "वह कैसे?"
खींचू व्यंग्य करते हुए बोला, "तुम दिनभर खाने की तलाश में भटकती रहती हो, तब जाकर कुछ मिलता है। मुझे देखो, मैं सारा दिन सोता हूँ और रात को खाना अपने आप मेरे पास आता है। बूढ़े का खून कितना मीठा होता है, मेरा जन्म तो सफल है।"

रिंकी की चुनौती

रिंकी चींटी ने कहा, "तुम्हें इस तरह खून पीना अच्छा लगता है? मुझे तो बूढ़े पर दया आती है। वह बेचारा तुम्हें मार नहीं सकता क्योंकि वह बूढ़ा है।"
खींचू खटमल ने गर्व से कहा, "बूढ़ा हो या जवान, मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। मेरा जन्म ही मनुष्यों का खून पीने के लिए हुआ है।"
रिंकी ने चुनौती देते हुए कहा, "अगर हिम्मत है, तो इस बूढ़े के बेटे की चारपाई में सोकर दिखाओ और उसका खून पीओ, तब तुम्हें बहादुर मानूंगी।"
खींचू खटमल को चुनौती स्वीकार करते हुए जोश आ गया और उसने उसी समय ठान लिया कि वह आज ही उसका खून पीकर दिखाएगा।

चुनौती का परिणाम

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रात होते ही खींचू खटमल मकान मालिक के जवान बेटे की चारपाई में जा घुसा, जबकि रिंकी चींटी नीचे खड़ी होकर देख रही थी। जवान बेटा चारपाई पर लेटते ही सो गया। खींचू खटमल ने तुरंत खून चूसना शुरू किया। लड़का एक झटके से उठ खड़ा हुआ और डंडा उठाकर जोर-जोर से चारपाई पर मारने लगा। खींचू खटमल डर के मारे चारपाई से कूद पड़ा, लेकिन लड़के ने उसे देख लिया।

उसने डंडा उठाकर खींचू की खोपड़ी पर दे मारा। बेचारे खींचू खटमल का कचूमर निकल गया और वह चूं तक नहीं कर सका। यह देखकर रिंकी चींटी को बहुत दुःख हुआ। वह अपने बिल की ओर लौटते हुए सोच रही थी, "अगर खींचू में घमंड नहीं होता, तो शायद उसका ऐसा हाल नहीं होता।"

कहानी से सीख

घमंड कभी किसी का भला नहीं करता। जो व्यक्ति अपने घमंड में चूर होता है, उसे एक दिन अवश्य ही नुकसान उठाना पड़ता है।