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कहानियाँ बच्चों को न केवल हँसाती हैं, बल्कि उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाती हैं। मियां नसीर की खीर की कहानी एक ऐसी हिंदी हास्य कहानी है, जो मियां नसीर नाम के एक सादा लेकिन मजेदार व्यक्ति की भूलों और उसकी अनजाने में की गई चतुराई को दर्शाती है। यह बच्चों की नैतिक कहानी हमें सिखाती है कि सच्चाई और भोलापन कभी-कभी अनजाने में भी बड़ी समस्याओं को हल कर सकता है। आइए, इस प्रेरक हिंदी कहानी को पढ़ें और जानें कि कैसे मियां नसीर की भूल ने चोरों को पकड़वा दिया।
कहानी की शुरुआत
पुराने समय की बात है, मेरठ के एक छोटे से गाँव में मियां नसीर अपनी माँ के साथ रहता था। नसीर का स्वभाव बड़ा भोला था, और वह अक्सर ऐसी बातें करता जो सुनने वालों को हँसी भी छुड़ा देतीं और हैरानी भी। उसकी माँ उसकी इन हरकतों से तंग आ चुकी थीं।
एक दिन नसीर ने अपनी माँ से पूछा, “अम्मी, लोग मरते कैसे हैं? मरना कैसा होता है?”
माँ ने सोचा, इस भोले को कैसे समझाऊँ? उन्होंने हँसते हुए कहा, “बेटा, मरना बहुत आसान है। बस आँखें बंद करो, और हो गया!”
नसीर ने मासूमियत से कहा, “अच्छा? तो मैं भी मरकर देखता हूँ!”
माँ ने हँसकर टाल दिया, लेकिन नसीर का दिमाग तो अब मरने की बात पर अटक गया था। वह गाँव के बाहर एक सुनसान जगह पर गया, एक गड्ढा खोदा, और उसमें आँखें बंद करके लेट गया। “बस, अब मैं मर गया!” उसने मन ही मन सोचा।
चोरों का आना
रात का समय था। चाँदनी रात में जंगल शांत था, और नसीर अपने गड्ढे में “मरे हुए” की तरह लेटा था। तभी उस रास्ते से दो चोर गुजर रहे थे। वे किसी बड़े घर में चोरी की योजना बना रहे थे।
पहला चोर बोला, “यार, अगर हमारे साथ एक तीसरा साथी होता, तो कितना मज़ा आता! एक सामने निगरानी करता, एक पीछे, और तीसरा आराम से चोरी करता!”
दूसरा चोर हँसा, “हाँ, लेकिन ऐसा भरोसेमंद साथी मिले कहाँ?”
नसीर, जो गड्ढे में सब सुन रहा था, अचानक बोल पड़ा, “अरे भाइयों, मैं तो मर चुका हूँ, वरना तुम्हारी मदद कर देता!”
चोर चौंक गए। “ये क्या? गड्ढे में मरा हुआ आदमी बोल रहा है?” पहला चोर डरते हुए बोला।
दूसरे चोर ने हिम्मत जुटाकर कहा, “अरे भाई, जरा बाहर निकलो। मरने की इतनी जल्दी क्या है? थोड़ी देर हमारी मदद कर दो, फिर मर लेना!”
नसीर को ठंड और भूख सता रही थी। उसने सोचा, “चलो, इनकी मदद कर देता हूँ। वैसे भी मरना तो आसान है!” वह गड्ढे से बाहर निकला और चोरों के साथ चल पड़ा।
चोरी का प्लान और खीर की चाह
तीनों ने मिलकर योजना बनाई। पहला चोर बोला, “नसीर, तू घर के अंदर जाकर चोरी कर। मैं सामने निगरानी करूँगा, और ये पीछे खड़ा रहेगा।”
“ठीक है,” नसीर ने मासूमियत से कहा। लेकिन उसका पेट भूख से गुर्र-गुर्र कर रहा था। वह घर के अंदर गया, लेकिन चोरी करने के बजाय रसोई में कुछ खाने की तलाश करने लगा।
रसोई में उसे दूध, चावल, और चीनी मिल गए। “अरे वाह! इससे तो खीर बन सकती है!” नसीर ने खुशी से कहा। उसने चूल्हा जलाया और खीर बनाने लगा।
उसी रसोई में एक बूढ़ी दादी कोने में ठंड से सिकुड़कर सो रही थी। जैसे ही चूल्हे की गर्मी उसे लगी, उसे राहत महसूस हुई। उसने नींद में अपने हाथ-पैर फैलाए।
नसीर ने देखा और सोचा, “अरे, ये दादी खीर माँग रही है!” वह बोला, “दादी, चुप रहो! मैं इतनी सारी खीर बना रहा हूँ, तुझे भी दूँगा। थोड़ा सब्र कर!”
लेकिन दादी को गर्मी और बढ़ी, तो उसने और ज्यादा हाथ-पैर फैलाए। नसीर को लगा कि दादी और जल्दी खीर माँग रही है। उसने झुंझलाकर गरम-गरम खीर का कटोरा दादी के हाथ पर रख दिया।
“अरे, ये क्या!” दादी दर्द से चीखती हुई उठ बैठी। “कौन है ये? चोर! चोर!”
उसकी चीख सुनकर घरवाले जाग गए। नसीर पकड़ा गया। उसने मासूमियत से कहा, “अरे, मुझे क्यों पकड़ रहे हो? मैं तो भूखा था, खीर बना रहा था! असली चोर तो बाहर खड़े हैं!”
घरवालों ने बाहर जाकर दोनों चोरों को भी पकड़ लिया। इस तरह, नसीर की भूल ने चोरों को पकड़वा दिया।
गाँव में चर्चा
अगले दिन गाँव में यह बात फैल गई। लोग हँस-हँसकर कहने लगे, “मियां नसीर ने तो कमाल कर दिया! खीर बनाने के चक्कर में चोर पकड़वा दिए!”
नसीर की माँ ने उसे डाँटते हुए कहा, “तू और तेरी बेवकूफी! लेकिन इस बार तेरी भूल काम आ गई।”
नसीर ने हँसते हुए कहा, “अम्मी, मैं तो बस खीर खाना चाहता था! अब तो गाँव वाले मुझे चतुर कह रहे हैं!”
कहानी से सीख
“सच्चाई और भोलापन कभी-कभी अनजाने में भी बड़ी समस्याओं को हल कर सकता है। अपनी गलतियों से डरने की बजाय, उनसे सीखें और आगे बढ़ें।”
Moral in English: “Truth and innocence can sometimes solve big problems unintentionally. Instead of fearing mistakes, learn from them and move forward.”
माता-पिता के लिए सुझाव
माता-पिता को अपने बच्चों को ऐसी पंचतंत्र कहानियाँ सुनानी चाहिए, जो हास्य के साथ-साथ नैतिक मूल्य सिखाएँ। ये कहानियाँ बच्चों में सच्चाई, आत्मविश्वास, और गलतियों से सीखने की भावना विकसित करती हैं। बच्चों के साथ कहानी पर चर्चा करें और उन्हें सिखाएँ कि कैसे भोलापन और सच्चाई भी ताकत हो सकती है।
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