दिखावे का असली सच :- एक समय की बात है, एक राजा था जो अपने दरबार में एक बुद्धिमान मंत्री पर बहुत भरोसा करता था। मंत्री की सलाह से राजा के कई बड़े निर्णय सफल हुए थे। लेकिन मंत्री के बेटे की आदतों को लेकर दरबारियों और स्वयं राजा को बड़ी चिंता थी। दरबार में अक्सर मंत्री के बेटे का मजाक उड़ाया जाता था। एक दिन राजा ने मंत्री को दरबार में बुलाया और कहा,
"तुम्हारे जैसा बुद्धिमान इंसान इस राज्य में नहीं है, लेकिन तुम्हारा बेटा तो पूरा मूर्ख है! जब भी मैं उससे पूछता हूं कि सोने और चांदी में से कौन अधिक कीमती है, वह हमेशा चांदी कहता है। यह सुनकर मैं तो हंसता हूं, लेकिन सोचता हूं कि तुम्हारे जैसे व्यक्ति का बेटा इतना अनाड़ी कैसे हो सकता है?"
मंत्री इस बात से परेशान हुआ, लेकिन उसने राजा से विनम्रता से कहा,
"महाराज, मुझे अपने बेटे से बात करने का मौका दीजिए। मैं जल्द ही इस गुत्थी को सुलझा लूंगा।"
बेटे का जवाब
मंत्री ने घर लौटते ही अपने बेटे को बुलाया और पूछा, "बेटा, मुझे सच बताओ। जब राजा तुमसे पूछते हैं कि सोने और चांदी में से क्या ज्यादा कीमती है, तो तुम हमेशा चांदी क्यों चुनते हो? तुम तो जानते हो कि सोना अधिक मूल्यवान होता है।"
बेटे ने शरारती मुस्कान के साथ जवाब दिया, "पिताजी, अगर मैं सोना चुन लूं, तो राजा मुझसे पूछना ही बंद कर देंगे। लेकिन जब मैं चांदी चुनता हूं, तो राजा खुश होकर मुझे बार-बार बुलाते हैं और हर बार चांदी का सिक्का देते हैं। अब सोचिए, मैं चांदी के सिक्कों से अपनी गुल्लक भर रहा हूं। अगर मैं एक बार सोना उठा लूं, तो मेरे चांदी के सिक्के बंद हो जाएंगे। मैं तो यही सोचता हूं कि ‘जो मिल रहा है, उसे लेते रहो’।"
राजा को सच्चाई बताई गई
अगले दिन मंत्री अपने बेटे के साथ दरबार पहुंचा। उसने राजा से कहा,
"महाराज, मेरा बेटा मूर्ख नहीं है, बल्कि बहुत चतुर है। उसने अपनी चतुराई से हर दिन आपसे चांदी का सिक्का लेना सीख लिया है। उसने समझ लिया है कि कभी-कभी जानबूझकर कम महत्व की चीज उठाने से लगातार लाभ मिलता है।"
राजा ने यह सुनकर हंसते हुए कहा,
"तो इसका मतलब मेरा मजाक उड़ाने वाला वास्तव में मुझसे ही सीख रहा है। यह लड़का तो बड़ा ही चतुर निकला!"
मंत्री का सबक
मंत्री ने राजा को कहा,
"महाराज, यह दिखाता है कि जीवन में हर व्यक्ति को अपनी परिस्थितियों के अनुसार समझदारी से काम लेना चाहिए। हर बार बड़े पुरस्कार के पीछे दौड़ने से बेहतर है कि जो आसानी से मिल सकता है, उसे पाने की कला सीखी जाए।"
राजा ने मंत्री के बेटे की तारीफ की और कहा,
"तुम्हारा बेटा तो बहुत समझदार है। अब मैं उसे मूर्ख नहीं, बल्कि अपने दरबार का चतुर बालक कहूंगा।"
सीख:
यह कहानी हमें सिखाती है कि दिखावे के चक्कर में न पड़कर समझदारी से काम लेना चाहिए। सही अवसर और सही रणनीति से आप लंबे समय तक लाभ उठा सकते हैं। दिखावा अक्सर बेवकूफी की निशानी होती है, लेकिन चतुराई हर परिस्थिति में जीत दिलाती है।
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