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जंगल की मजेदार सीखभरी कहानी - शेर की दम हुई गायब- एक समय की बात है, घने जंगल में शेरू नाम का एक शेर रहता था। शेरू जंगल का राजा था और उसकी मजबूत दुम उसकी पहचान थी। एक दिन, शेरू अपने दोस्तों के साथ जंगल में खेल रहा था। अचानक, खेलते-खेलते उसकी दुम कहीं फंस गई और टूट कर गिर गई। शेरू घबरा गया और उसे लगा कि अब वो दूसरों के सामने कैसे जाएगा। बिना दुम के तो उसकी रुतबा ही चली जाएगी!
शेरू ने अपनी दुम वापस पाने की ठानी और उसकी तलाश में निकल पड़ा। सबसे पहले वो अपनी दोस्त, मिन्नी बंदरिया के पास पहुंचा। उसने उदास होकर मिन्नी से कहा, "मिन्नी, मेरी दुम खो गई है! बिना दुम के मैं अधूरा लग रहा हूँ। क्या तुमने मेरी दुम देखी है?"
मिन्नी ने हंसते हुए कहा, "अरे शेरू भाई, दुम खो गई तो क्या हुआ? असली ताकत तो तुम्हारे दिल में है, दुम में नहीं। फिर भी, मैं तुम्हारी मदद करूंगी। चलो, साथ में ढूंढते हैं।"
फिर शेरू और मिन्नी मिलकर अपनी अगली दोस्त, मोरनी रानी के पास गए। शेरू ने मोरनी रानी से पूछा, "रानी बहन, क्या तुमने मेरी दुम देखी है? बिना दुम के तो मुझे अजीब लग रहा है।"
रानी ने अपने पंख फैलाते हुए कहा, "शेरू, खूबसूरती पंखों में नहीं, दिल में होती है। लेकिन मैं तुम्हारी मदद करूंगी। तुम्हारी दुम ढूंढने में मुझे खुशी होगी।"
शेरू को थोड़ा हौसला मिला और अब वो अपने अन्य दोस्तों के साथ मिलकर जंगल के हर कोने में दुम ढूंढने लगा। उसकी यात्रा में वो कई जानवरों से मिला – हाथी मोती, खरगोश झुनझुन और ऊंट भोलू। सभी ने उसे यही कहा कि उसकी असली पहचान उसकी दुम से नहीं, उसके दिल और उसके अच्छे स्वभाव से है।
आखिरकार, थक-हार कर शेरू ने जंगल के सबसे समझदार जानवर, उल्लू दादा के पास जाने का निर्णय लिया। उल्लू दादा हमेशा शांत और धैर्य से बात करते थे और सबकी समस्याओं का हल जानते थे।
उल्लू दादा ने शेरू को देखा और मुस्कुराते हुए पूछा, "क्या बात है, शेरू? क्यों इतने उदास हो?"
शेरू ने कहा, "उल्लू दादा, मेरी दुम खो गई है। बिना दुम के मुझे लगता है कि अब मैं जंगल का राजा नहीं रह सकता।"
उल्लू दादा ने हंसते हुए कहा, "शेरू, राजा होने के लिए दुम की नहीं, बल्कि दिल और समझदारी की जरूरत होती है। तुम अपने दोस्तों की मदद से अपनी दुम ढूंढने में लगे हुए हो, इसका मतलब है कि तुम्हारे पास वो सच्चा दिल है जो सभी का ध्यान रखता है।"
शेरू ने सोच में पड़ते हुए कहा, "तो क्या मुझे अपनी दुम की जरूरत नहीं है?"
उल्लू दादा ने जवाब दिया, "दुम एक शरीर का हिस्सा है, लेकिन सच्चा राजा वही होता है जो दिल से राजा हो। दोस्ती, मदद और अच्छाई ही असली ताकत होती है।"
शेरू की आंखों में चमक आ गई। उसे समझ में आ गया कि उसकी असली पहचान उसकी दुम से नहीं, बल्कि उसके गुणों से है। उसने अपने सभी दोस्तों का धन्यवाद किया और अपनी खोई दुम को भूल कर खुश रहने लगा।
सीख:
कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि असली ताकत बाहरी चीजों में नहीं, बल्कि हमारे अंदर के गुणों में होती है। शरीर के किसी हिस्से से नहीं, बल्कि हमारे अच्छे स्वभाव और मदद के भाव से हमारी असली पहचान बनती है। हमें हमेशा अपनी अच्छाई पर ध्यान देना चाहिए, न कि बाहरी दिखावे पर।