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जंगल कहानी - समझदार भेड़ :- भेड़िया कई दिनों से बीमार था। इस कारण वह शिकार करने में असमर्थ था। जब वह कई दिनों से भूखा हो गया, तो भूख सहन न होने के कारण वह शिकार की तलाश में निकल पड़ा। कुछ दूर चलने पर उसने नदी किनारे एक भेड़ को पानी पीते देखा। उसे देखकर उसके मुंह में पानी आ गया। (Jungle Story - Wise Sheep)
भेड़िया सोचने लगा, "अगर यह भेड़ मेरा भोजन बन जाए, तो मेरी कई दिनों की भूख मिट जाएगी। लेकिन मैं बीमार हूं, इसे पकड़ने की ताकत नहीं है।" तभी भेड़िया को एक चालाकी भरी योजना सूझी।
भेड़ के पास जाकर वह दयनीय स्वर में बोला, "सुनो, भेड़ भाई! मैं कई दिनों से बीमार हूं। इस कारण बहुत कमजोर हो गया हूं। क्या तुम मेरे लिए नदी से पानी ला सकती हो? तुम्हारी बड़ी मेहरबानी होगी। मेरी तबीयत आज बहुत ज्यादा खराब है। पानी पीकर मैं भोजन की तलाश में जाने लायक हो जाऊंगा।"
भेड़ ने भेड़िया की बात सुनी और उसे दया आ गई। वह सोचने लगी, "यह बेचारा बीमार है और मेरी मदद मांग रहा है। मुझे इसे पानी लाकर देना चाहिए।" भेड़ नदी की ओर मुड़ी और पानी भरने लगी। लेकिन जैसे ही उसने झुककर पानी लेने की कोशिश की, उसे एक ख्याल आया, "कहीं यह भेड़िया चालाकी से मुझे अपने जाल में फंसाने की कोशिश तो नहीं कर रहा?"
भेड़ ने समझदारी से काम लिया और पानी लेकर आने का नाटक करते हुए कुछ दूरी पर ही रुक गई। उसने भेड़िया से कहा, "भेड़िया भाई, अगर तुम्हें सच में भूख लगी है, तो मैं तुम्हारे लिए जंगल से कुछ घास लेकर आती हूं। घास खाकर तुम्हारी कमजोरी थोड़ी ठीक हो जाएगी। तब तुम अपना शिकार खुद कर सकोगे।"
भेड़िया भड़क गया और गुस्से में बोला, "तुम्हें लगता है कि मैं घास खाने वाला जानवर हूं? मैं तो मांस खाता हूं! यह सब मुझे बेवकूफ बनाने की चाल है।"
भेड़ को अब पूरा यकीन हो गया कि भेड़िया उसे खाने की योजना बना रहा था। उसने तुरंत नदी के दूसरी ओर भागकर खुद को सुरक्षित कर लिया। भेड़िया भेड़ को भागते देख और भी क्रोधित हुआ, लेकिन कमजोरी के कारण वह उसका पीछा नहीं कर पाया।
कहानी से सीख:
चालाक और स्वार्थी लोगों की बातों में आकर अपनी समझदारी नहीं खोनी चाहिए। सतर्कता और बुद्धिमानी ही हमें किसी भी खतरे से बचा सकती है।
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