गड्ढा खोदोगे तो गिरोगे - एक शिक्षाप्रद जंगल की कहानी
एक गहरे कुएं में गंगाधर नाम का एक मेंढ़क अपने परिवार के साथ रहता था। उसके परिवार में कुल 12 सदस्य थे, और वह परिवार का मुखिया था। गंगाधर का जीवन संघर्षों से भरा था
एक गहरे कुएं में गंगाधर नाम का एक मेंढ़क अपने परिवार के साथ रहता था। उसके परिवार में कुल 12 सदस्य थे, और वह परिवार का मुखिया था। गंगाधर का जीवन संघर्षों से भरा था
एक घना जंगल था, जहाँ तरह-तरह के जानवर रहते थे। उन्हीं में दो बिल्लियाँ, मीना और टीना, बहुत अच्छी दोस्त थीं। दोनों साथ में खेलतीं, दौड़तीं और एक-दूसरे के साथ अपनी छोटी-छोटी खुशियाँ बांटती थीं।
घने जंगल में एक बड़ा सा बरगद का पेड़ था। उसी के पास एक आलसी भालू भोलू रहता था। भोलू को सोना और आराम करना बहुत पसंद था। वह खाने के लिए भी ज्यादा मेहनत नहीं करता था
काली मक्खी अन्य सभी मक्खियों से मोटी और तगड़ी थी। ताकत में भी वह सभी से बढ़कर थी। यही कारण था कि वह अपने दल की रानी थी। रानी होने के नाते वह अपने कर्त्तव्य का पालन पूरी तरह करती।
एक घने जंगल में सभी जानवर खुशी-खुशी रहते थे। वहां शेर, हाथी, हिरण, बंदर, और खरगोश जैसे अनेक जानवर थे। जंगल में हर साल एक बड़ा खेल प्रतियोगिता होती थी, जिसमें सभी जानवर भाग लेते थे।
एक वक्त की बात है एक बूढ़ा गधा जो अपने मालिक का सामान ढोता था। एक रात उसे अपनी मर्जी से घूमने का मौका मिला और वो निकल पड़ा। उसे रास्ते में एक सियार मिला और वे दोनों खाने की तलाश में निकल पड़े।
बहुत समय पहले की बात है। एक हरे-भरे जंगल में नागराज नामक एक सर्प रहता था। नागराज बहुत शक्तिशाली और बुद्धिमान था। उसने अपनी सुरक्षा के लिए जंगल के एक कोने में एक पहाड़ी के नीचे गहरा बिल बना रखा था।