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Jungle Story : हिम्मत से बना रास्ता- दो गिलहरियाँ थीं, सिल्लू और गिल्लू। दोनों बहुत शरारती और चतुर थीं। अन्य गिलहरियों की तरह इन्हें भी चने और मक्का खाना बहुत पसंद था। उनका घर एक कुटिया के नीचे था। जब भी उन्हें लगता कि उनके खाने का सामान कम हो रहा है, वे पास के बगीचे में जाकर वहाँ के स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ खोजने निकल पड़तीं। कभी-कभी लोग उन्हें सेब, रोटी, और ब्रेड के टुकड़े दे देते थे, जो वे खुशी-खुशी ले आतीं।
एक दिन, सिल्लू और गिल्लू रात के समय बगीचे के रोशनदान से अंदर घुस गईं। उन्होंने देखा कि वहाँ खूब सारे फल और रोटियाँ रखी हुई थीं। दोनों ने अपनी चपलता से अपनी पूँछ के सहारे अंदर घुसने का रास्ता निकाला। सिल्लू ने सबसे पहले फल उठाया और गिल्लू से कहा, "हम यहाँ से कुछ भी बाहर नहीं ले जा सकते, इसलिए जितना खाना है, यहीं खा लो।" गिल्लू ने उसे जवाब दिया, "चलो, कोशिश करते हैं।" लेकिन वह सफल नहीं हो पाईं।
कई बार बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन असफल रहीं। अंततः सिल्लू और गिल्लू ने अपनी असफलता को स्वीकार कर लिया और सोचने लगीं, "अब हम क्या करें?" वे गहरे कुएं में फंस चुकी थीं।
अब दोनों अपनी जान बचाने के लिए दही से तैर रही थीं। मक्खन की एक मोटी परत ने उन्हें घेर लिया था, और वे बुरी तरह थक चुकी थीं। सिल्लू ने मिचलाते हुए कहा, "मैं अब और नहीं तैर सकती।" गिल्लू ने उसे हिम्मत दी, "हिम्मत मत हारो, सिल्लू! अगर हम कोशिश करें, तो शायद हमें बचने का कोई रास्ता मिल जाए।"
सिल्लू की हिम्मत बंधी, और दोनों ने और तेजी से तैरना शुरू कर दिया। अचानक, उन्हें महसूस हुआ कि उनके पैरों के नीचे कुछ ठोस है। दरअसल, उनके गोल-गोल घूमने से दही में से मक्खन निकल आया था, और अब उनके पैर मक्खन पर टिक गए थे। सिल्लू खुशी से चिल्लाई, "गिल्लू, ये तो चमत्कार हो गया! अब हम यहाँ से बाहर निकल सकते हैं।"
दोनों ने मक्खन पर चढ़कर जोर लगाया और बाहर छलांग लगाई। सुरक्षित बाहर आकर सिल्लू ने कहा, "हम अब कभी चोरी नहीं करेंगे। जो मिलेगा, उसी से संतुष्ट रहेंगे। आज हमारी हिम्मत से ही हमारी जान बच पाई है।"
सिल्लू और गिल्लू ने सबक सीखा और फिर कभी उस खतरनाक जगह पर नहीं गईं।
सीख:
हिम्मत से ही रास्ता मिलता है। कभी हार नहीं माननी चाहिए, चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो।