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एक उदास गांव
Fun Story एक उदास गांव:- एक समय की बात है जब भारत के एक गांव का नाम उदास था। वह डल नदी के पास स्थ्ति था। उदास गांव के रहने वाले लोग कभी भी हंसते नहीं थे। इस गांव के बच्चे भी कभी नहीं हंसे थे। बच्चे सिर्फ स्कूल जाते थे और स्कूल खत्म होने के बाद गृहकार्य करते थे और कक्षा के इम्तिहान की तैयारी करते थे। अगर बच्चे शाम को किसी से मिलते थे, तो वह भी खेलते नहीं थे। बच्चे एक दूसरे से आंख चुराते थे ताकि वह किसी दूसरे बच्चे को इम्तिहान में आने वाले महत्वपूर्ण प्रश्न न बता सकें। उनको सिर्फ नंबर से मतलब होता था। बच्चों को नहीं पता था कि हंसते कैसे हैं, उन्हें किसी के साथ मज़ाक करना भी नहीं आता था। इस गांव की ज़िंदगी बहुत उदास और मायूस थी। (Fun Stories | Stories)
एक दिन, गांव में एक मेहमान आई- एक दादी माँ, जिनके बाल सफेद थे और चेहरे पर हंसी। उनकी हंसी उनकी आंखों में चमक बनकर नज़र आती थी। वह अपनी पोती एकता से मिलने पहली बार गांव आई थीं। अपने पहले दिन में उन्होंने महसूस किया कि इस गांव में कुछ समस्या है। जब उन्होंने हंसकर लोगों से बात करनी चाही तो किसी ने भी उन्हें हंसकर जवाब नहीं दिया। यहाँ तक कि उनकी खुद की पोती एकता भी नहीं हंसी। जब दादी ने हंसकर एकता से कहा कि उन्होंने एकता के लिए उसका पसंदीदा गाजर का हलवा बनाया है, तो सोचो एकता ने क्या जवाब दिया होगा? एकता ने कहा, ‘इतिहास की अध्यापिका एक उत्तर के लिए तीन नंबर काट लेंगी। भगवान जाने इतने सालों में उन्होंने कितने नंबर काटे होंगे। अब तक तो उनके पास नंबरों का ट्रंक भर गया होगा। लेकिन मुझे हैरानी होती है कि वह इतने नंबरों का क्या करेंगी? काश मैं उनका ट्रंक छीन लूं, इससे सारे नंबर मेरे हो जाएंगे।’ एकता ने दादी मां के हाथ का बनाया गाजर का हलवा नहीं खाया। दादी बहुत हैरान हुई। कैसे कोई हर समय सिर्फ नंबरों की बात कर सकता है? (Fun Stories | Stories)
लेकिन दिन ब दिन दादी ने सिर्फ एकता से ही नहीं बल्कि सभी बच्चों के मुंह से सिर्फ नंबरों की बात ही सुनी। यही नहीं एकता के दोस्तों के अलावा सभी के माता पिता भी सिर्फ बच्चों के नंबरों के बारे में बात करते थे। माता पिता हमेशा अपने बच्चों को अच्छे नंबर लाने के लिए दबाव डालते रहते थे। जहाँ दूसरे शहरों में माता पिता मंदिर जाकर प्रार्थना करते हैं, वहीं इस शहर के लोग सिर्फ मार्केट बाज़ार जाते थे, यहाँ एक ऐसी दुकान थी जहाँ पर पेन मिलते थे जिससे छुपकर संदेश लिखे जाते थे। माता पिता यह पेन अपने बच्चों के लिए खरीदते थे, ताकि वह अपनी जांघों पर प्रश्न के उत्तर लिख सकें। इसे वह इम्तिहानों के लिए तैयारी का नाम देते थे।
माता पिता को यह नहीं पता होता था कि दुकानदार ने अपनी दुकान में इंफ्रारेड डिटेक्टर लगाए हुए थे जिससे सारे छुपे हुए संदेशों का पता चल जाता था। इस वजह से बच्चे पकड़े जाते थे और उनके माता पिता को मजबूरन वापस बाज़ार जाकर पेन बदलकर अच्छे सीक्रेट संदेश वाले पेन खरीदने पड़ते थे। (Fun Stories | Stories)
जब दादी माँ ने यह सब देखा तो उन्होंने फैसला किया वह बोरिंग गांव के बच्चों को सबक सिखाएंगी ताकि बच्चे हर दम नंबरों की चिंता करना छोड़ दें और वह पढ़ाई से थोड़ा समय निकालकर हंसा करें और साथ में खेला करें। इसी तरह से गांव को बचाया जा सकता था।
दादी माँ ने अपना छुपा हुआ हथियार अजमाने का फैसला किया। किसी को नहीं पता था कि दादी माँ...
दादी माँ ने अपना छुपा हुआ हथियार अजमाने का फैसला किया। किसी को नहीं पता था कि दादी माँ हंसी की देवी की सहेली थीं। उनका नाम हंसया था। और देवी हंसया का काम सभी मनुष्यों को समय समय पर हंसाना था। वह मनुष्यों को चुटकुले सुनाकर हंसाती थी। हंसया देवी को इतने चुटकुले पता थे, जितने आसमान में तारे भी नहीं थे। (Fun Stories | Stories)
एक दिन दादी माँ करीब 24 घंटों तक हंसती रहीं और उनके दांत हंसते हंसते बाहर गिर गए। यह देखकर पूरा गांव उनके साथ हंसने लगा। उस दिन के बाद से उस गांव का कोई इंसान भी बीमार नहीं पड़ा था। हंसया ने दादी माँ को एक छोटा बर्तन दिया और कहा कि अगर वह कभी भी हंसया को अपनी मदद के लिए याद करेंगी तो उन्हें इस बर्तन में से थोड़ी सी क्रीम निकालकर उस मनुष्य के शरीर पर मलनी होगी जिसे वह हंसाना चाहती हो, इस तरह से वह इंसान हंसने लग जाएगा। ना सिर्फ वह मनुष्य हंसने लग जाएगा बल्कि वह जिस किसी इंसान को छुएगा, वह भी हंसने लगेगा और ऐसे जो इंसान उसके संपर्क में आएगा वह हंसता रहेगा। दादी माँ ने वह क्रीम एकता को लगाने के बारे में सोचा।
अगली सुबह, जब एकता स्कूल जाने के लिए तैयार हुई तो दादी माँ ने उसे एक गिलास दूध दिया। जैसे ही उन्होंने उसे दूध का गिलास दिया, दादी ने अपना क्रीम वाला हाथ एकता के मुँह पर लगाया। इसके बाद कुछ हुआ जैसे उसे बिजली का करंट लगा हो। एकता हंसने लगी। अपने गले से इस तरह की अजीब आवाज़ सुनकर वह हैरान हो गई। फिर वह शीशे के सामने गई और अपने आपको देखने लगी और हंसती गई। यह देखकर दादी को संतुष्टी मिली। (Fun Stories | Stories)
दोपहर तक स्कूल के सभी बच्चे हंसने लगे। जब कभी वह नंबरों के बारे में सुनते या बोलते, वह सब हंसने लग जाते। जब कभी बच्चे छुपे हुए संदेशों के बारे में सोचते तो वह हंसने लग जाते। और जब कोई अध्यापक के नंबरों के खजाने के बारे में बोलता था, तो वह एक दूसरे को हंसकर यह कहते थे कि अध्यापक नंबरों को कैसे छुपाकर रख सकता है? और फिर कुछ चमत्कार हुआ। जो बच्चे कभी भी सही सवाल हल नहीं करते थे, उस दिन उन्होंने किसी सवाल को गलत नहीं किया। जब उन बच्चों को दो और दो को जमा करने के लिए कहा गया तो वह पार्क में जाकर दो गुलाब और दो चंपा के फूलों को छूकर बोला कि यह चार होते हैं। इस प्रश्न का सवाल उसने हंसते हुए दिया। शाम तक सभी बच्चों के माता पिता भी हंसने लगे। अगली सुबह गांव के रेडियो स्टेशन में ऐलान हुआ कि गांव में किसी प्रकार की अजीब सी आवाज़ सभी के मुँह से सुनाई दे रही है।
किसी को नहीं पता था कि जिस मनुष्य ने वह खबर रेडियो पर दी थी, थोड़ी देर बाद वह खुद भी हंसने लगेगा। दादी मां का काम हो गया था और वह अपने गांव वापिस चली गई। उस दिन के बाद उस बोरिंग गांव के बच्चे हंसने लगे और उस गांव के लोगों ने इसके बाद कोई दुख नहीं देखा। (Fun Stories | Stories)
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