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सम्राट पेटू नंद
Fun Story सम्राट पेटू नंद:- वैसे तो इस दुनिया में लोग जिंदा रहने के लिए खाना खाते हैं, परंतु कुछ लोग ऐसे भी पाये जाते हैं जो खाने के लिए जिंदा रहते हैं। ऐसे लोगों में से एक हमारे सहपाठी पेटूनंद जी थे। (Fun Stories | Stories)
बात तब की है जब हम मेरठ में रहते थे। मैं छठी कक्षा में पढ़ता था और पेटूनंद जो मेरी ही कक्षा में पढ़ते थे। बड़ा ही मजेदार व्यक्तित्व था उनका, एकदम ड्रम जैसा गोल धड़, ऊपर अंडाकार खोपड़ी, मुंडा हुआ सिर और उस पर चुपड़ा कड़वा तेल।
वैसे तो उनका नाम दीपक सारस्वत था परंतु अधिक पेट पूजा करने की नीति के कारण उन्हें बाल पार्टी ने सम्राट पेटूनंद की उपाधि से सम्मानित किया था। उनकी पेटू पन की हरकतें अब भी याद आकर गुदगदा जाती हैं। (Fun Stories | Stories)
एक बार की बात है हमने पिकनिक पर जाने का कार्यकम बनाया, सभी विद्यार्थियों से पाँच-पाँच सौ रुपये इक्ट्ठे करने थे। धन इकट्ठा करने का काम हमारे कक्षा अध्यापक महोदय को सौंपा गया था।
वे सभी विद्यार्थियों से पैसे इक्ट्टे कर रहे थे। जब पेटूनंद जी की बारी आयी तो उन्होंने 2000 रुपये का नोट गरु जी की और बढ़ा दिया। (Fun Stories | Stories)
गुरु जी ने अपने नाक पर टिके चश्मे से घूर कर देखते हुए पूछा, ‘तुम्हारे साथ तीन और सदस्य भी जाएंगे क्या?’
पेटूनंद जी बड़ी अदा से लजा कर बोले, ‘गुरु जी, मैं स्वयं ही ‘फोर इन वन’ हूँ...
पेटूनंद जी बड़ी अदा से लजा कर बोले, ‘गुरु जी, मैं स्वयं ही ‘फोर इन वन’ हूँ।’ कमरे को गुंजा देने वाला ठहाका लगा। खैर, पिकनिक वाला दिन भी आया। रंगबिरंगे कपड़ों से लदकर सभी विद्यार्थी मौजमस्ती में चले। (Fun Stories | Stories)
पेटूनंद जी भी खूब सजधज के आये थे। हल्के नीले रंग की उनकी कमीज़ पर से अभी मिल की मुहर भी नहीं उतरी थी। जो गवाही दे रही थी, कि एकदम नई सिलाई हुई कमीज़ है।
उनके कंधे पर एक बड़ा भारी भरकम थैला भी रखा हुआ था। (Fun Stories | Stories)
एक लड़के ने चुटकी ली, पेटूनंद जी, थैले में गोला बारूद है क्या?
पेटूनंद जी गंभीर होकर बोले, नहीं भाई, पेट की आग बुझाने का सामान है। (Fun Stories | Stories)
दूसरा बोला, तो क्या वहाँ खाने का सामान नहीं मिलेगा क्या?
‘अरे भाई, जितना यहां खाने को मिलेगा, वो तो मेरे लिए चखने के समान होगा। पेटूनंद जी बड़े भोलेपन से बोले, ‘सबके होठों से कहकहा फूट पड़ा और पेटूनंद जी ने भी सबका साथ दिया’। (Fun Stories | Stories)
पेटूनंद जी की एक खासियत थी कि वे कभी भी अपना मजाक उड़ने पर बुरा नहीं मानते थे, बल्कि स्वयं उसमें शामिल होकर वातावरण को हल्का फुल्का या मधुर बना देते थे।
हमारे एक साथी ने अपनी फुटबाल निकाली और कहा खेलने का कार्यक्रम बना?
अध्यापक जी ने पूछा, ‘क्यों भाई, कप्तान कौन बनेगा? (Fun Stories | Stories)
अपने गोल मटोल शरीर को संभालते हुए पेटूनंद जी उठ खड़े हुए।
सभी छात्रों ने तालियां बजा कर उनका स्वागत किया। पेटूनंद जी ने अपनी टीम भी बनायी। एक लड़का रेफरी बना। दोनों तरफ ईंट रख कर गोल बनाये गये और मैच शुरू हो गया।
हम सभी हैरान रह गये, पेटूनंद जी सबसे अधिक तेजी से खेल रहे हैं। (Fun Stories | Stories)
वे बॉल को लुढ़काते हुए विरोधी गोल की ओर लिए जा रहे थे। बहुत खिलाड़ियों ने रोकने का प्रयास किया परंतु बड़े मजे से टैकल करते हुए ले गये और गोल कर दिया।
सभी छात्र हैरान रह गये, कोई सोच भी नहीं सकता था कि पेटूनंद जी फुटबाल खेल सकते हैं और गोल भी कर सकते हैं।
मैच पूरा हूआ और पेटूनंद जी की टीम 5-0 से जीत गयी जिसमें 3 गोल पेटूनंद जी ने किये थे। (Fun Stories | Stories)
हमने बधाई देते हुए कहा, यार तुम इतना अच्छा कैसे खेले लेते हो?
तो वे मुस्कुराते हुए बोले, ‘करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान’।
तो साथियों, ऐसे थे मेरे सहपाठी पेटूनंद जी। उनके रोचक किस्से तो बहुत हैं परन्तु लेख थोड़ा लंबा जा रहा है, फिर कभी मौका मिला तो सम्राट पेटूनंद के बारे में और भी बताऊंगा। (Fun Stories | Stories)
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