बच्चों की मजेदार हिंदी कहानी: चोरी की खीर
श्रीपुर नामक कस्बे में भोला नाम का एक युवक रहता था। बचपन से ही वह कामचोर एवं काहिल स्वभाव का था। घर परिवार के दैनिक कार्यों से उसका कोई वास्ता न होता था।
श्रीपुर नामक कस्बे में भोला नाम का एक युवक रहता था। बचपन से ही वह कामचोर एवं काहिल स्वभाव का था। घर परिवार के दैनिक कार्यों से उसका कोई वास्ता न होता था।
किसी नगर में एक सेठ रहता था जिसने अपनी मेहनत से खूब धन कमाया और शहर में ही अपने नाम की पांच दुकानें खोलीं, सेठ को इस बात का बहुत घमंड था वह रोज अपने सेठानी से आकर कहता था।
बहुत समय पहले भालू की लंबी एवं चमकदार पूंछ हुआ करती थी। भालू को इस पर बड़ा घमंड था। वह सभी से पूछता था कि आज मेरी पूंछ कैसी लग रही है? अब कोई भालू से पंगा लेता क्या भला?
एक गांव में एक किसान रहता था। उसके पास दो बैल और दो कुत्ते भी थे। एक बार उसे किसी काम से गांव से बाहर जाना था और उसकी समस्या यह थी कि खेत जोतने का भी समय हो गया था।
हल्की बूंदा-बांदी हो रही थी। काली घटाएं पूरी तरह छा गई थीं। मेढ़क आनंद से उछल-कूद रहे थे। प्रयोगशाला में जीवविज्ञान के विद्यार्थियों को मेढ़क के बाहय एवं आंतरिक भाग की ठोस जानकारी देने के लिए अध्यापक ने एक मेढ़क मंगवाया।
बहुत पुरानी बात है, पर है सच्ची। एक बार एक खूंखार डाकू सिकन्दर बादशाह के सम्मुख लाया गया। सिपाहियों ने बड़े प्रयास के पश्चात उसे गिरफ्तार किया था। वह अपना सिर झुकाये खड़ा था। उसके हाथ-पैर रस्सियों से बुरी तरह बंधे थे।
एक राजा था, राजा का नाम था वीरभद्र। राजा वीरभद्र के चार पुत्र थे। चारों राजकुमार बहुत होनहार थे। समय बीतने के साथ-साथ राजा भी वृद्ध हो चला। एक दिन वह मंत्री को बुला कर बोला "महामंत्री, मैं तो अब बूढ़ा हो चला हूं।