Fun Story: बच्चे बचकर भागे रतन और रोज़ी भाई बहन थे। दोनों अपनी विधवा मां के साथ एक गांव में रहते थे। एकबार पास के ही गांव में मेला लगा हुआ था। रतन और रोज़ी के दोस्त मेला देख आए थे। इन दोनों की भी इच्छा थी कि मेला देखने जाएं। By Lotpot 29 Mar 2024 in Stories Fun Stories New Update बच्चे बचकर भागे Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Fun Story बच्चे बचकर भागे:- रतन और रोज़ी भाई बहन थे। दोनों अपनी विधवा मां के साथ एक गांव में रहते थे। एकबार पास के ही गांव में मेला लगा हुआ था। रतन और रोज़ी के दोस्त मेला देख आए थे। इन दोनों की भी इच्छा थी कि मेला देखने जाएं।एक दिन दोनों ने मां की खुशामद की तो वह बोली "मेले जा कर क्या करोगे? मेरे पास तो पैसे भी नहीं हैंजो तुम दोनों को दूं।" (Fun Stories | Stories) "मां तुम हमें बस जाने की इजाजत दे दो,पैसे हमारे पास हैं।" दोनों ने कहा। कुछ सोचकर दोनों को मेले जाने की इजाजत देकर मां ने समझाया “लेकिन तुम दोनों शाम ढलने से पहले ही घर लौट आना। मां की इजाजत पा कर भाई बहन खुशी से उछल पड़े और मेले जाने की तैयारी करने लगे गांव के और भी बहुत से लड़के मेले जा रहे थे। दोनों भाई बहन उन्हीं के साथ चल पड़े। मेला पहुंचने के बाद रतन और रोज़ी को मेला जैसे एक नई दुनिया लगा। झूले, जादू के खेल, चिड़ियाघर, रंग बिरंगी दुकाने सजी हुई, खिलौने, मिठाइयां आदि देखकर दोनों को बड़ा मजा आया। (Fun Stories | Stories) रोज़ी ने अपने लिए एक खिलौना खरीदा रतन ने एक बांसुरी खरीदी। बांसुरी बजाना उसे अच्छा लगता था। शाम होने लगी तो दोनों को घर लौटने का ध्यान आया। दोनों गांव के लड़कों को खोजने लगे। मगर उनका कहीं पता नहीं चला। वे लोग तो कब के लौट चुके थे। दोनों भाई बहन हाथ में हाथ डाले अपने गांव की तरफ चल दिए। कुछ ही दूर जाने पर अंधेरा छाने लगा तो दोनों का दिल घबराने लगा। घाबराहट में दोनो जल्दी-जल्दी चलने लगे और रास्ता भटक कर जंगल में पहुंच गए। रोज़ी डर के मारे रोने लगी तो रतन ने उसे हिम्मत बंधाते हुए कहा "मै पेड़ पर चढ़कर देखता हूं कि कहीं कोई रोशनी... रोज़ी डर के मारे रोने लगी तो रतन ने उसे हिम्मत बंधाते हुए कहा "मै पेड़ पर चढ़कर देखता हूं कि कहीं कोई रोशनी नजर आती है। जिधर रोशनी नजर आएगी उधर ही अपना गांव होगा।” रतन एक पेड़ पर चढ़कर चारों तरफ देखने लगा। कुछ दूरी पर हल्की सी रोशनी दिखाई दी। दोनों उसी दिशा में चल दिए। कुछ दूर जाने पर उन्हें एक झोपड़ी दिखाई दी उन्होंने अंदर झाँक कर देखा झोपड़ी के अंदर एक बूढ़ा और बुढ़िया बैठे थे। आहट पा कर बुढ़िया ने बूढ़े से कहा, ''जरा बाहर जा कर देखो, मुझे लगता है कोई है।” (Fun Stories | Stories) बूढ़ा रतन और रोज़ी को अंदर ले गया। "कौन हैं ये बुढ़िया गुस्से से बोली। “दादी माँ, हम दोनों भाई बहन रास्ता भटक गए हैं'' रतन ने मीठी आवाज में कहा। “चलो, अच्छा ही हुआ बुढ़िया होठों पर एक कुटिल मुस्कान ला कर बोली, तुम दोनों हमारी सेवा करना। अब मैं तुम दोनों को कहीं नहीं जाने दूँगी।” (Fun Stories | Stories) बुढ़िया के मुँह से ऐसी बातें सुनकर दोनों भाई बहन डर गए। सोचने लगे कि कहां फंस गए। दरअसल बुढ़िया एक दुष्ट औरत थी। वह हमेशा सबसे लड़ती झगड़ती रहती थी। इसलिए गाँव वालों ने उसे मारमार कर जंगल में भगा दिया था। बूढ़ा बेचारा बुढ़िया को अकेला कैसे छोड़ सकता था, सो वह भी उसके साथ जंगल में झोपड़ी बना कर रह रहा था। बूढ़ा बहुत ही दयालु और मिलन सार आदमी था। बूढ़े ने रतन और रोज़ी को प्यार से पुचकारते हुए कहा "बच्चों, तुम लोग चिंता मत करो। मैं तुम दोनों को तुम्हारे गांव जाने का रास्ता बता दूंगा, परंतु सुबह तो होने दो। चलो, तुम दोनों कुछ खा लो।” बूढ़े ने दोनों को खाने के लिए रोटी और आम दिए। मगर इनसे खाना खाया नहीं जा रहा था। किसी तरह एक दो कौर मुंह में डाल कर दोनों ने पानी पिया। बूढ़े ने जमीन पर एक चादर डाल दी और दोनों को सो जाने के लिए कहा। (Fun Stories | Stories) बुढ़िया के डर से दोनों की आंखों से नींद उड़ चुकी थी। दोनों को रह रह कर अपनी मां की याद आ रही थी। “मां कितना परेशान होगी। बेकार ही हम लोग मेला देखने गए।" दोनों सोच रहे थे। दोनों ने आंखों ही आंखों में जागकर सवेरा किया। दोनों वहां से भागने का उपाय सोचने लगे तभी बूढ़ा उनके पास आया और बोला, “बच्चों, चलो मेरे साथ आओ। मैं तुम दोनों को तुम्हारे गांव का रास्ता बताता हूं।" "किंतु आपकी बुढ़िया..." तुम लोग उस दुष्ट कौ फिक्र मत करो। वह अभी सो रही है, बूढ़े ने फुसफुसाते हुए कहा, उसके जागने से पहले तुम लोग यहां से चले जाओ।" (Fun Stories | Stories) बूढ़ा उन दोनों को ले कर जंगल से बाहर आया और एक पगडंडी दिखाकर बोला "इस पगडंडी से कुछ दूर जाने पर तुम्हें एक रास्ता मिलेगा। वही रास्ता तुम्हारे गांव को जाएगा।” “आप बहुत अच्छे हैं दादा जी!" दोनों भाई बहनों ने उनका शुक्रिया अदा किया और तेजी से चल दिए। उधर बुढ़िया सो कर उठी तो बच्चों को खोजने लगी, ''कहां गए दोनों?” वह गुस्से से शोर मचाने लगी। तब तक बूढ़ा वहां पहुंच गया, "क्या हुआ, शोर क्यों मचा रही हो?” उसने अनजान बन कर पूछा। “दोनों बच्चे कहां गए? मैं उन्हें बंधुआ बना कर रखना चाहती थी।" “ओह, बच्चे, उन्हें तो मैंने नदी की तरफ जाते देखा था” बूढ़े ने जानबूझ कर गलत रास्ता बताया ताकि बुढ़िया बच्चों के पीछे जा सके। “मै उन्हें पकडूगी।'' यह कह कर बुढ़िया नदी की तरफ बेतहाशा दौड़ पड़ी। “लेकिन अब तक तो वे बहुत दूर निकल गए होंगे'' बूढे ने पीछे से आवाज दी, “उनके पीछे दौड़ना बेकार है। बुढ़िया क्रोध से दांत पीसती हुई वापस लौट गई। (Fun Stories | Stories) Lotpot | lotpot E-Comics | Hindi Bal Kahaniyan | Hindi Bal Kahani | bal kahani | kids hindi short stories | short stories | Short Hindi Stories | hindi short Stories | kids hindi fun stories | Kids Fun Stories | kids hindi stories | Kids Stories | hindi stories | Fun Stories | Fun Stories for Kids | लोटपोट | लोटपोट ई-कॉमिक्स | बाल कहानियां | हिंदी बाल कहानियाँ | हिंदी बाल कहानी | बाल कहानी | हिंदी कहानियाँ | छोटी कहानी | छोटी कहानियाँ | छोटी हिंदी कहानी | बच्चों की मनोरंजक कहानी यह भी पढ़ें:- Fun Story: योग्यता का लोहा Fun Story: मुंशी जी गिरे धड़ाम Fun Story: आत्मा की आवाज Fun Story: पुण्य का फल #बाल कहानी #लोटपोट #Lotpot #Bal kahani #Hindi Bal Kahani #Kids Stories #Kids Fun Stories #lotpot E-Comics #बच्चों की मनोरंजक कहानी #हिंदी बाल कहानी #छोटी हिंदी कहानी #hindi stories #Fun Stories #hindi short Stories #Short Hindi Stories #short stories #हिंदी कहानियाँ #kids hindi stories #छोटी कहानियाँ #छोटी कहानी #kids hindi fun stories #Fun Stories for Kids #Hindi Bal Kahaniyan #बाल कहानियां #kids hindi short stories #लोटपोट ई-कॉमिक्स #हिंदी बाल कहानियाँ You May Also like Read the Next Article