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मुंशी जी गिरे धड़ाम
Fun Story मुंशी जी गिरे धड़ाम:- बहुत पुरानी बात है। हमारे गांव में एक सज्जन रहते थे, नाम था उनका मुंशी सजधज लाल, जैसा नाम था, वैसा ही काम भी था, मुंशी जी घर से बाहर जब भी निकलते, तब रेशमी कुर्ता, साफ सुथरी धोती पहनते, सिर पर चमकीली पगडी बांधते और हाथ में एक बेंत होता था। उस जमाने में यह सब अमीरी के लक्षण थे। मुंशी जी वास्तव में अमीर तो नहीं थे पर अमीरों जैसा दिखावा जरूर करते थे। गांव में उनका अच्छा खासा रौब था, खासकर बच्चों पर तो वे हमेशा अपना रंग जमाते रहते थे, कई बार तो बिना किसी गलती के किसी भी बच्चे का कान मरोड़ देते थे या उससे कान पकड़ कर धूप में खड़े, रहने को कहते थे। यह सब गांव के लोगों को भी अच्छा नहीं लगता था पर उनकी बुजुर्गियत को ध्यान में रखकर कोई कुछ न कहता था। (Fun Stories | Stories)
गांव के सभी बच्चे मुंशी जी से नाराज रहते थे। यह स्वाभाविक भी था, क्योंकि हर बच्चे को वे परेशान करते थे, नाराजगी का नतीजा यह निकला कि...
गांव के सभी बच्चे मुंशी जी से नाराज रहते थे। यह स्वाभाविक भी था, क्योंकि हर बच्चे को वे परेशान करते थे, नाराजगी का नतीजा यह निकला कि बच्चे मुंशी जी को चिढ़ाने लगे, जब भी मुंशीजी घर से बाहर निकलते, बच्चों की भीड़ पीछे लग जाती और तरह तरह मुंशी जी को चिढ़ाना शुरू कर देती। शुरू शुरू में तो मुँशी जी के डांटने पर बच्चे पीछे हट गये और चिढ़ाना बंद कर दिया, पर कुछ दिन बाद तो बच्चे अगर मुंशी जी को चिढ़ाना बंद नहीं करते तब मुंशी जी बच्चों के पीछे दौड़ने लगते। वैसे तो बच्चे पकड़ में नहीं आते थे पर कभी कभार एकाध बच्चा पकड़ में आ जाता तो मुंशी जी कान मरोड़ने के साथ-साथ उससे दस-बीस बैठक लगवा कर ही छोड़ते थे।
इससे बच्चे भी चिढ़ जाते थे और मुंशी जी को और ज्यादा चिढ़ाते थे। मुंशी सजधज लाल का नाम बच्चों ने मुंशी बकझक लाल रख दिया था, क्योंकि इन दिनों वे लाल-पीले हो जाते थे और जो मन में आता वह बकझक करते रहते थे। बच्चे पहले से सतर्क भी हो गए थे, अब वे मुंशी जी को दूर दूर से चिढ़ाते थे तथा उनकी पकड़ से हमेशा बाहर रहते थे। (Fun Stories | Stories)
एक दिन सब बच्चों ने मिलकर मुंशी जी को छकाने की एक योजना बना डाली। योजना के अनुसार गांव के बाहर एक खेत में सब बच्चे छिप कर बैठ गए। जैसे ही मुंशी जी उधर से निकले, सब बच्चे सामने आ गए और मुंशी को चिढ़ाने लगे। मुंशी जी का पारा आसमान पर चढ़ गया, वे तेजी से बच्चों की तरफ बढ़े, बच्चे और आगे बढ़ने लगे। इस तरह बच्चे और मुंशी जी गांव से काफी दूर आ गये। दौड़ भाग में मुंशी जी थक गए थे पर गुस्से के कारण बच्चों के पीछे दौड़ना बंद नहीं कर रहे थे। बुरी तरह हांफते हुए भी वे एक दो बच्चों को पकड़ लेना चाहते थे। बच्चे जोर शोर से चिढ़ा रहे थे और मुंशी जी पीछे भाग रहे थे। भागते भागते मुंशी जी के जूते रास्ते में छूट गए, पगड़ी भी गिर गई पर उन्होंने बच्चों का पीछा करना तब तक न छोड़ा, जब तक कि वे खुद हड़बड़ा कर गिर नहीं गए मुंशी जी के गिरते ही बच्चे रूक गये और कहने लगे- “मुंशी जी गिरे धड़ाम ले लो हम सबका का सलाम।” (Fun Stories | Stories)
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