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ऐसे रंगे रामगुनी
Fun Story ऐसे रंगे रामगुनी:- पंडित रामगुनी को होली के रसरंग से सख्त नफरत थी। वे इसे गंवारों का त्यौहार मानकर इससे कोसों दूर रहते। इस दिन सुबह से ही बैठक के भारी भरकम दरवाजे की कुंडी चढ़ाकर आराम से लेट जाते फिर किसकी औकात जो उन पर रंग के छींटे डाल सके। (Fun Stories | Stories)
हर साल की भांति उस दिन भी उत्साह और उमंग भरा होली का त्यौहार आ गया था। दिन के बारह बजे थे। मोहल्ले की गलियां रंग गुलाल से सराबोर हो रही थीं। चारों ओर हंसी ठिठोली का वातारण चरम पर था। पंडित रामगुनी जी पलंग पर पड़े किसी प्राचीन ग्रंथ का अवलोकन कर रहे थे। तभी किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी। पंड़ित रामगुनी जी हाथ में पकड़ी पुस्तक झटके से एक ओर पटक कर पलंग पर अकड़कर बैठ गये फिर अकड़ कर बोले, ‘कौन है?’ ‘मैं पोस्ट मैन,’ बाहर से आवाज आई।
‘कोई पत्र हो तो किवाड़ों की दराज से अंदर फेंक दो,’ रामगुनी जी वहीं से बैठे-बैठे बोले। (Fun Stories | Stories)
‘आपका मनी आर्डर आया है। झुमरी तलैया से राजन बाबू ने भेजा है...
‘आपका मनी आर्डर आया है। झुमरी तलैया से राजन बाबू ने भेजा है। 2500 रूपये का है,’ डाकिया एक सांस में कह गया। मनीआर्डर का नाम सुनकर पंड़ित जी खुशी से उछल पड़े। वे कुछ बुदबुदाते हुए दरवाजे की ओर लपके परंतु तभी मन में कुछ खतरा भांपकर दो कदम पीछे हट गये, उन्होने फौरन बैठक में पड़ा स्टूल खींचा और उस पर चढ़कर वेंटीलेटर से बाहर झांका। सचमुच खाकी वर्दी धारण किये डाकिया उनका इंतजार कर रहा था। सामने वाला मैदान भी दूर तक खाली पड़ा था। सारे हुडदंगी दूर निकल गये थे। जब रामगुनी जी को किसी भी प्रकार का खतरा न होने का पक्का इतमीनान हो गया तो उन्होंने झट से दरवाजा खोल दिया।
डाकिये ने तुरंत मनीआर्डर फार्म पर रामगुनी जी के दस्तखत लिए और फटाफट खड़खड़ाते हुए पांच-पांच सौ के पांच नोट हाथ में थमा दिये। पंड़ित जी ने एक एक कर नोट दोबारा गिना और संतुष्ट होकर बैठक के अंदर चले गये। (Fun Stories | Stories)
‘अरे, ओ भाग्यवान, देखो छोटू का मनीआर्डर आया है, ऐन होली के दिन, देखा कितना ख्याल रखता है वह अपने बड़े भैया का।’ पंड़ित जी चीखते हुए आंगन की ओर बढे़। तब तक हांफती हुई पंड़िताईन उनके पास आ गई। पंड़ित जी के हाथ में नोट देखकर उसकी आंखे फटी की फटी रह गई। उनका धीरज टूट गया और पंड़ित जी के हाथ से नोट झपट लिए। ‘अरे यह क्या?’
पंड़िताईन अचानक चौंकी। ‘क्यों क्या हुआ’ मैंने परख लिये हैं असली रिजर्व बैंक के हैं।’ पंड़ित जी अपनी चतुराई का सिक्का जमाते हुए बोले! ‘खाक रिजर्व बैंक के हैं, तुम तो सठिया गये हो। तुम्हारा दिमाग भी फिर गया है। डाकिये से नकली नोट ले लिए। हाय! अब क्या होगा? दिन दहाड़े ठग लिया, हाय!’ पंड़िताईन जोर-जोर से रोने लगी। (Fun Stories | Stories)
पंड़ित रामगुनी ने जब नोटों को दोबारा हाथ में लेकर ध्यान से देखा तो उनका शरीर पसीना-पसीना हो गया। नोट नकली थे। दोनों अपना माथा पकड़कर एक ओर बैठ गये। कुछ देर बाद दोनों सामान्य हुए तो उनके विस्मय की सीमा न रही। उनके हाथ व चेहरे सुर्ख लाल हो रहे थे। वे भौचक्के से एक दूसरे को देख रहे थे। उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर यह सब क्या है?
तभी बौखलाये से पंड़ित रामगुनी गुसलखाने की ओर भागे और मल मल कर अपना चेहरा धोने लगे, पर यह क्या पानी पड़ते ही रंग और भी गाढ़ा होकर उनका शरीर रंगने लगा। धीरे धीरे वे पूरे लाल हो गये।
नित्य प्रातः समय से मोहल्ले के कुंए पर ‘रामनाम’ की जाप लगाने वाले पंड़ित रामगुनी जी की बैठक का दरवाजा जब दूसरे दिन आठ बजे तक नहीं खुला तो पड़ोसियों को शंका हुई आनन फानन में लोग मोहल्ले के इकलौते पंड़ित जी की खैरियत जानने उनके दरवाजे पर एकत्र होने लगे। काफी देर शोर शराबा करने के बावजूद जब अंदर से कोई उत्तर नहीं मिला तो हुकमी नाई का शरारती लड़का नीटू भीड़ से बाहर निकलकर आया और किवाड़ों से मुंह लगाकर जोर से चिल्लाया, ‘पंड़ितजी डाकिया आया है... आपका पच्चीस सौ रूपये का मनीआर्डर लाया है।’ (Fun Stories | Stories)
नीटू की आवाज सुनकर घर में छिपे पंड़ित रामगुनी जी अचानक चौंके, उन्होंने अपने मस्तिष्क पर जोर डाला और उन्हें समझते देर न लगी कि यह सब शरारत इस लड़के की है। इसने ही योजनानुसार नोटों पर कैमिकल लगाकर नोट देकर मेरे अच्छे खासे चेहरे की यह दुर्गति की है। वह मन ही मन बड़बडाये, ‘ठहरो, आज मैं इन सबकी खबर लेता हूं।’ कहकर वे एक मोटा सा डंडा हाथ में पकड़कर घर से बाहर निकल आए। लोगों ने रामगुनी जी का लंगूरी हुलिया देखा तो वे अपनी हंसी रोक न सके। लेकिन पंड़ित जी ने सब कुछ अनदेखा करते हुए डंडा हवा में घुमाया और जब तक किसी को अपनी मिसाइल का निशाना बनाते, तब तक लड़के वहां से नौ दो ग्यारह हो चुके थे। (Fun Stories | Stories)
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