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यमराज की नौकरी
Fun Story यमराज की नौकरी:- वर्तमान के समय में नौकरी तो मिली नहीं इसलिए मैंने ‘असिस्टेंट यमराज’ के लिए आवेदन पत्र भर कर पोस्ट कर दिया। भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं है कहावत सच साबित हुई मुझे बिना ‘सोर्स’ के ही नौकरी मिल गई।
एक धनवान व्यक्ति का लड़का था उसके बाप ने काफी रूपया खिलाया पिलाया, यहां तक कि एक कार देने का वचन दिया। लेकिन भगवान की दया समझिये मुझे नौकरी मिल गई। उस धनवान के लड़के को तो असिस्टेंट यमराज के असिस्टेंट की भी नौकरी नहीं मिली। (Fun Stories | Stories)
मुझे चार्ज मिल गया। मुझे एक भैंसा, फटे बोरों की एक गद्दी, रस्सी, पुराना थर्मस और प्राण निकालने वाले शस्त्रों का बाक्स दिया गया।
वैसे वेतन अधिक नहीं था, ये तो सभी जानते हैं कि इस नौकरी में बाहर की आमदनी काफी है। (Fun Stories | Stories)
चार्ज लेकर मैं वहां के ऑफिस में जाकर बैठ गया अपने ऑफिस में फर्नीचर भी टूटा फूटा था, मैं उसे देख ही रहा था कि इतने में चपरासी ने आकर सैल्यूट मारा और बोला- सर आपको बॉस ने बुलाया है। मैं उसी समय यमराज जी के ऑफिस की ओर गया। मेरे ऑफिस से कुछ ही दूरी पर उनका ऑफिस था मैंने दरवाजे पर खड़े होकर पूछा- मे आई कम इन सर?
‘यस’ कम इन। कहकर यमराज जी खड़े हुए और बोले कल एक सेठ के यहां जाना है। भैंसे को चेक कर लेना और हां पूरे आवश्यक कागजात बैग में रख लेना। (Fun Stories | Stories)
मैंने ‘यस सर’ कहा और आज्ञा का पालन करते हुए गैराज में खड़े भैंसे की अच्छी तरह देखभाल की और कागजात बैग में रखे तथा प्राणधातक शस्त्रों को साफ कर बॉक्स में रख लिया। थर्मस तो खाली था ही।
दूसरे दिन शाम को हम लोग ड्यूटी पर चल दिये। मैं भैंसा ड्राइव कर रहा था और यमराज जी पीछे बैठे थे। वे समय काटने के लिए कोई पुराना जासूसी उपन्यास पढ़ रहे थे।
चलते-चलते हम लोग सेठ के घर के सामने पहुँच गये मैंने भैंसे को ब्रेक लगाकर रोका। (Fun Stories | Stories)
यमराज जी ने उपन्यास को भैंसे पर लटके बस्ते में रख दिया और बोले-देखो तुम प्राण निकाल लेना, मैं जरा सेकेंड शो पिक्चर देख आता हूँ।
मैने सिर हिलाकर हां कह दिया। और करता भी क्या उनका? मैं बॉक्स लेकर सेठ के घर में घुसा...
मैने सिर हिलाकर हां कह दिया। और करता भी क्या उनका? मैं बॉक्स लेकर सेठ के घर में घुसा। सेठ जी तिजोरी के पास बैठे हुए थे। मैंने जाते ही बॉक्स खोला प्राण घातक औजार निकाले और बोला- ‘सेठ, मैं यमराज का असिस्टेंट हूँ चलो मेरे साथ।’ (Fun Stories | Stories)
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सेठ कांपने लगे। चिल्लाने की चेष्टा की लेकिन फायदा ही क्या था। वे कपकपाती आवाज़ में बोले, ‘देखो, ये है तिजोरी और ये है चाबी तुम्हें जितना रूपया चाहिए ले लो। लेकिन मुझे मत ले जाओ।’
उनकी बात मैंने कुछ देर सोची लेकिन यमराज जी का ध्यान आ गया। मैंने फौरन बैग में से रजिस्टर निकाला और बेईमानी का लेखा जोखा सामने रख दिया।
अब तो सेठ जी सकपका गए। वे हिम्मत करके पुनः बोले, ‘ब्लैकमनी का सब पैसा तुम ले लो और मेरी सच्ची कमाई भी ले लो। मेरे बदले तुम एक भिखमँगे के प्राण ले जाओ। वह बेचारा प्रति दिन भगवान से यही कहता रहता है, भगवान मुझे अपने पास बुला लो।’’ (Fun Stories | Stories)
मुझे सेठ जी का ‘आइडिया’ बड़ा पसन्द आया। सेठ जी ने मुझे चाबी दी लेकिन मैंने कहा, ‘रूपये बाद में ले जाऊँगा।’
कुछ देर हम लोग बातें करते रहे। सेठ जी ने पूछा ‘क्या आप कॉफ़ी पीयेंगे?’’ ‘‘जी नहीं, धन्यवाद मुझे अभी उस भिखमंगे के प्राण भी लेने हैं। समय कम है बड़े साहब सिनेमा देखकर आते ही होंगे।’’ कह कर मैंने प्राण घातक शस्त्र और थर्मस लिया और चल दिया। भिखमंगा कराह रहा था। मैंने थोड़ी ही देर में सब काम किया और थर्मस में प्राण रखकर मैं प्रतीक्षा करने लगा।
थोड़ी ही देर में साहब आ गये। मुझसे बोले हो गया काम? यस सर, मैंने उत्तर दिया। वे फिर बोले, पिक्चर तो ‘बोर’ थी, चलो चलें। हम लोग भैंसे पर बैठे और वापिस आ गये। दूसरे दिन यमराज जी ने कागजात देखे। फौरन मेरी गलती पकड़ी गई। (Fun Stories | Stories)
ऑफिस में चपरासी ने आकर मुझे एक कार्ड पकड़ा दिया जिस पर लिखा था, ‘‘आपको नौकरी छोड़नी पड़ेगी”। लेकिन अब क्या हो सकता था। चुपचाप अपने घर आ गया।
आँख खुली तो देखा, सुबह हो गई है। सब लोग नौकरी पर जा रहे हैं और मैं पहले जैसा बेकार और सोच रहा हूँ कि अवश्य ही भगवान के ऑफिस में मेरे जैसे अफसर होंगे, वर्ना हमारे समाज का ढांचा इतना बिगड़ा हुआ न होता। (Fun Stories | Stories)
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