जंगल की सीख देती कहानी: चीकू बन्दर और गुलाब का फूल सुन्दर वन में रहने वाला चीकू बन्दर अपने शरारती व्यवहार के कारण सभी को परेशान करता है। एक दिन, वह भोलू भालू के सुंदर बगीचे में जाकर फूलों को नुकसान पहुँचाता है। वह फूल को सही जगह वापस ले जाता है और सीखता है कि जीवन का उद्देश्य दूसरों को सुख पहुँचाना है। By Lotpot 10 Aug 2024 in Stories Jungle Stories New Update चीकू बन्दर और गुलाब का फूल Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 जंगल की सीख देती कहानी: चीकू बन्दर और गुलाब का फूल:- सुन्दर वन में बहुत हरियाली थी। वहां चीकू बन्दर अपने मां बाप के साथ रहता था। इकलौती सन्तान होने के कारण बहुत लाड प्यार मिला था उसे, जिसका परिणाम यह हुआ कि वह नकचढा और शरारती हो गया। चीकू बन्दर की शरारतें और शिकायतें सबके घरों में शरारतें करता फिरता। लोग उसके घर शिकायतें लेकर पहुँचते। उसके मां-बाप उसकी हरकतों से तंग आ चुके थे। दूसरे जानवरों की शिकायतें सुनकर वे उसे समझाते बुझाते लेकिन चीकू बन्दर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था। भोलू भालू के बगीचे में चीकू की हरकतें सुन्दर वन में भोलू भालू का बहुत ही सुन्दर बगीचा था। तरह-तरह के फूल, पौधे थे वहां। चीकू चुपके से उसमें जाता और फूलों तथा पौधों को नोचता या उखाड़ फेंकता। भोलू को आता देखता तो वहीं पेड़ों की झुरमुटों में छिप जाता था। एक दिन की बात है, चीकू अमरूद के पेड़ पर चढ़कर अमरूद तोड़ रहा था कि तभी भोलू आ गया और उसे पकड़कर उसके पिताजी के पास ले गया। पिताजी ने उसकी जमकर पिटाई की लेकिन फिर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा उस पर। कुछ ही दिनों बाद एक दिन फिर चीकू भोलू से आंख बचाकर बाग में चला गया। एक गुलाब का फूल तोड़कर भागने लगा। जल्दी में उसने वह फूल पैन्ट की जेब में डालकर दीवार फांदने की कोशिश करने लगा। तभी उस बगीचे से किसी के रोने की आवाज उसे सुनाई दी। वह क्षण भर के लिये ठिठका लेकिन फिर भोलू के डर से दीवार फांद गया। पर अब तो उसे किसी बच्चे के रोने की आवाज सुनाई पड़ने लगी। गुलाब के फूल से चीकू की मुलाकात वह बच्चा रोते हुए कह रहा था- "मुझे मेरी मम्मी के पास पहुँचा दो। मैं उससे अलग नहीं रह सकता"। अब चीकू को समझ में आ गया था कि रोने की आवाज गुलाब के फूल की थी जिसे वह बाग से तोड़ लाया था। चीकू ने पूछा- "तुम क्यों रो रहे हो, तुम्हारा तो काम ही है लोगों के घरों की शोभा बढ़ाना, आदि। तुम्हें मैं नहीं तोड़ता तो कोई और तोड़ ले जाता और अपने गुलदस्ते में लगाता"। फूल की बातों से चीकू को मिली समझ तब गुलाब के फूल ने कहा- "'ये सच है कि हमें तोड़ लिया जाता है। लेकिन अभी तो मैं बच्चा हूं। जब तक मैं छोटा हूं मुझे कोई नहीं तोड़ता कयोंकि इस समय मुझे अपनी मां का प्यार, उसकी ममता चाहिए यदि इस उम्र में तुम्हें तुम्हारे मां बाप से अलग कर दिया जाये तो क्या तुम अकेले रह पाओगे?" चीकू का संकल्प और जीवन की सिख चीकू को गुलाब के फूल की बात समझ में आ गयी। उसे अपनी भूल का एहसास हुआ। उसने कहा- "मुझे माफ करो भाई, मुझे नहीं मालूम था कि तुम लोगों में भी जान होती है, तुम भी हमारी तरह कोमल होते हो"। चीकू उस फूल को गुलाब के पौधे के पास ले गया। उसे देखकर गुलाब के पौधे खुश हो गये, बोले "कभी किसी को तकलीफ नहीं पहुंचानी चाहिए। हमारे जीवन का उद्देश्य है दूसरे को सुख पहुँचाना। हम अपनी सुगन्ध से पूरे संसार को सुगन्धित करते हैं। तुम्हे भी अपने कार्य से दूसरों को सुख पहुँचाना चाहिये"। चीकू को अपनी भूल का एहसास हो गया। उसने वादा किया कि फिर कभी फूलों को नुकसान नहीं पहुँचाएगा। कहानी से सीख:- किसी भी जीव को नुकसान पहुँचाना गलत है। हमें दूसरों की भावनाओं की समझ रखनी चाहिए और अपने कार्यों से दूसरों को सुख पहुँचाने का प्रयास करना चाहिए। यह भी पढ़ें:- शिक्षाप्रद कहानी: वन का सनकी राजा और चीटियों की चतुराई जंगल की मजेदार कहानी: गोलू की चतुराई हिंदी जंगल कहानी: गीदड़ की होशियारी Jungle Story: चतुर खरगोश #जंगल की सीख देती कहानी #बन्दर और भालू की कहानी #बन्दर और गुलाब की कहानी #Hindi story of monkey and rose #hindi story of monkey and bear #kids hindi jungle story You May Also like Read the Next Article