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दयालु भोला हाथी
जंगल की सीख देती कहानी: दयालु भोला हाथी:- भोला हाथी ने जंगली रास्ते पर गिरे हुए पेड़ों को रास्ते से हटाने का काम ले रखा था। बारिश और तेज आंधी की वजह से बहुत से पेड़ रास्ते पर गिर गए थे और उन्होंने रास्ते को बंद कर दिया था। भोला ने गिरे हुए पेड़ों को अपनी मजबूत सूंड से पकड़ कर साइड कर दिया था। अब वह उन्हें एक गट्ठा बनाकर एक बड़े गड्ढे में डालकर अपना काम खत्म करने जा रहा था। भोला हाथी का यह काम देखकर उसके पास ही खड़ा उसका साथी कालू भालू खुशी से बोला- “शाबाश भोला अपना काम खत्म कर ताकि हम जाकर अपनी मजदूरी ले सकें और मजे कर सकें”।
भोला हाथी की दयालुता की शुरुआत
भोला ने एक बड़ा सा गट्ठा उठाया और एक गड्ढ़े तक ले गया लेकिन उसने गट्ठा गड्ढे में नहीं गिराया। उसके साथी कालू भालू ने इशारा किया कि गट्ठा फेंक दे, पर हाथी गट्ठे को अपनी सूंड में थामे खड़ा रहा। कालू गुस्से से चिल्लाया लेकिन भोला खड़ा रहा।
गड्ढे में फंसा हिरण का बच्चा
आखिर परेशान कालू आगे बढ़ा और उसने गड्ढे के भीतर झांका तो उसे भोला हाथी के व्यवहार के कारण का पता लगा। नीचे गड्ढे में एक हिरण का छोटा सा बच्चा मौजूद था वह शायद उस गड्ढे में गिर गया था और निकलने में असमर्थ था।
कालू भालू की सराहना और कहानी का संदेश
भोला हाथी ने तुरंत ही अपनी सूंड में दबे लकड़ी के गट्ठे को एक तरफ रखा और अपनी सूंड हिरण के बच्चे की तरफ बढ़ा दी, सूंड का सहारा पाकर हिरण का बच्चा उस गड्ढे से बाहर निकल आया, कालू भालू भोला की यह दयालुता देखकर उसे सराहे बिना न रह सका।
कहानी से सीख: दयालुता और सहानुभूति का सही समय पर किया गया कार्य किसी की जिंदगी बदल सकता है। हमें अपने आस-पास की समस्याओं को समझने और दूसरों की मदद करने का प्रयास करना चाहिए।