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उड़ने की चाह
हिंदी जंगल कहानी: उड़ने की चाह:- चंपक वन में एक तालाब था वहां खूब हरियाली थी उस तालाब के पास कछुए का भी एक परिवार रहता था। कछुआ उस परिवार में सबसे छोटा था। छोटा होने के कारण उसकी हर फरमाइश पूरी की जाती, इसलिए वह जिद्दी हो गया था। (Jungle Stories | Stories)
एक दिन वह तालाब के किनारे घूम रहा था। तभी उसे एक चील आकाश में उड़ती हुई दिखाई पड़ी। कछुआ सोचने लगा काश, उसके पास भी पंख होते और वह भी चील की तरह आकाश में उड़ सकता।
अब तक चील जमीन पर उतर चुकी थी। वह तालाब के किनारे अपने शिकार को बड़े मजे के साथ खा रही थी। कछुआ उसके पास पहुंचा। चील अपने भोजन का आनंद ले रही थी, इसलिए उसका ध्यान कछुए की ओर नहीं गया। कछुए ने अपनी आवाज साफ करते हुए कहा, "क्या तुम मेरे दोस्त बनना चाहोगे?"
चील ने अपनी गर्दन उठाई। कछुए को देखकर बोली, "जरूर मेरा यहां कोई नहीं है। तुम चाहो तो...
चील ने अपनी गर्दन उठाई। कछुए को देखकर बोली, "जरूर मेरा यहां कोई नहीं है। तुम चाहो तो हम दोनों पक्के दोस्त बन सकते हैं"। दोनों दोस्त बन गए। चील कछुए के परिवार की एक सदस्य सी बन गई। एक बार कछुए ने उससे पूछा, "तुम उड़ते कैसे हो?" (Jungle Stories | Stories)
चील ने बताया, "जैसे तुम्हारे चार पैर हैं वैसे ही हमारे ये पंख हैं। इसे जोर-जोर से हिला कर हम आसमान में उड़ते हैं"।
"तुम्हारे कितने मजे हैं दूर-दूर तक उड़ सकते हो और एक मैं हूं, जिसकी किस्मत में सिर्फ इसी तालाब में रहना लिखा है काश मैं भी तुम्हारी तरह उड़ सकता"। उदास होकर कछुआ बोला।
"अरे, दोस्त मायूस न हो। प्रकृति ने हम सब को अलग-अलग बनाया है। तुम चल सकते हो, तैर सकते हो, परन्तु हम तो केवल उड़ना जानते हैं, तुम्हारी तरह तैर थोड़े ही सकते हैं" चील ने उसे दिलासा दिया।
"मैं भी उड़ना चाहता हूं मुझे एक बार तुम आकाश में ले चलो फिर हवा में छोड़ देना। मैं अपने पैरों को खूब जोर से हिलाऊंगा, हो सकता है कि मैं भी तुम्हारी तरह उड़ना सीख जाऊं" बहुत विश्वास के साथ कछुआ बोला। चील परेशान होे गई। उसने कछुए को समझाया, "दोस्त, यदि तुम आसमान से नीचे जमीन पर गिरे तो तुम्हारे टुकड़े हो जाएंगे"। (Jungle Stories | Stories)
"मैं सब समझ गया। तुम्हें इर्षा हो रही है। यदि मैं भी तुम्हारी तरह उड़ने लगा तो तुम्हारा महत्व कम हो जाएगा इसलिए तुम ऐसा कह रहे हो"। आंखे लाल करता हुआ कछुआ बोला। चील ने उसे लाख समझाने की चेष्टा की, परन्तु कछुए पर कोई असर नहीं हुआ। कछुए ने स्पष्ट रूप से कह दिया कि "यदि वह उसे आसमान में न ले गया तो दोनों की दोस्ती टूट जायेगी"।
काफी सोचने के बाद चील ने कहा, "ठीक है, मैं तुम्हें आकाश में ले जा कर छोड़ दूंगा फिर तुम उड़ने की कोशिश करना परन्तु इसके बाद कभी उड़ने का नाम न लेना"। कछुआ मान गया।
तय हुआ कि चील उसे अपने पंजों में जकड़ लेगी और ऊंचाई पर जाकर अपनी पकड़ ढीली कर देगी जिससे कि उसका दोस्त उड़ सके। चील उसे लेकर आसमान में उड़ चली। इतनी ऊंचाई पर पहुंच कर कछुए को डर लग रहा था। उधर चील जानती थी कि यदि उसका दोस्त इतनी ऊंचाई से नीचे गिरा तो उसके टुकड़े हो जाएंगे। इसलिए वह तालाब की ओर उड़ी। अब वह ठीक तालाब के ऊपर उड़ रही थी। कछुए को इशारा कर, उसने अपनी पकड़ ढीली कर दी। (Jungle Stories | Stories)
चील के पंजो से छूटते ही कछुआ अपनी टांगें जोर-जोर से हिलाने लगा जिससे कि वह उड़ सके। परन्तु यह क्या? वह उड़ने की बजाय नीचे गिरता जा रहा था ‘छपाक’ वह सीधा जाकर तालाब में गिरा। कछुआ तैर कर किनारे पहुंचा वहां चील उसका इंतजार कर रही थी।
"क्यों दोस्त उड़ना सीख गए?" चील ने हंसते हुए पूछा.. झेंपते हुए कछुआ बोला, "मुझे माफ कर दो, दोस्त, मेरी जिद के कारण तुम्हे भी परेशानी उठानी पड़ी। तुम्हारे कारण ही इतनी ऊंचाई से गिरने के बाद भी मैं आज जीवित हूँ"। मैं आज के बाद कभी जिद नहीं करूंगा। हम हमेशा अच्छे दोस्त बने रहेंगे। दोनों दोस्त प्यार से गले मिले। उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे। (Jungle Stories | Stories)
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