हिंदी नैतिक कहानी: योग्य राजा का चुनाव

राजा रामप्रताप अपने तीन पुत्रों में से किसी एक को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे। इस कहानी में दिखाया गया है कि एक सच्चा राजा न केवल वर्तमान को समझता है, बल्कि भविष्य की सोच भी रखता है।

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योग्य राजा का चुनाव

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हिंदी नैतिक कहानी: योग्य राजा का चुनाव:- विजयपुर के राजा रामप्रताप के तीन पुत्र थे। चुंकि राजा अब बूढ़े हो चुके थे इसलिए वह अपने तीन पुत्रों में से एक पुत्र को अपनी राजगद्दी सौंपना चाहते थे। रामप्रताप के सामने समस्या यह थी कि वह राजा बनाने के लिए अपने किस पुत्र को चुनें। उन्होंने अपनी परेशानी अपने मंत्री को बताई।

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मंत्रीजी ने काफी सोच विचार के बाद सलाह देते हुए कहा "महाराज मेरे राय में आप अपने तीनों पुत्रों में से उसी को राजसिंहासन सौंपिए जो सबसे योग्य और सर्वगुण सम्पन हो"।

राजकुमारों की परीक्षा

"यही तो समस्या है मंत्री जी। आखिर मैं कैसे पता लगाऊं कि मेरा कौन सा पुत्र राजा बनने योग्य है?"

"उपाय सरल है महाराज आप उन तीनों की परीक्षा लीजिए। परीक्षा के आधार पर आप उनकी योग्यता का पता आसानी से लगा सकते हैं"।

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रामप्रताप को मंत्रीजी का सुझाव पंसद आया दुसरे दिन रामप्रताप ने अपने तीनों पुत्रों को अपने पास बुलाकर तीनों को एक-एक आम देते हुए कहा- "पुत्रों! मैं चाहता हूं कि तुम तीनों इस आम का उपयोग इस तरह करो ताकि तुम लोगों के अलावा राज्य के ज्यादा से ज्यादा लोग इसे खा सकें"।

तीनों राजकुमार आम लेकर चले गये। सबसे बड़े राजकुमार ने अपने कमरे में जाकर आम के छोटे-छोटे टुकड़े किए और उन्हें राज्य में बंटवा दिया।

छोटे राजकुमार ने उस आम के दो टुकड़े कर, एक टुकड़ा स्वंय खा लिया और बाकि बचे टुकड़े को अपने मित्रों को खिला दिया।

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मंझले राजकुमार की दूरदर्शिता और निर्णय

मंझले राजकुमार ने काफी सोच विचार के बाद पूरे आम को खा लिया। उसके बाद उसने आम की गुठली को बगीचे में जाकर रोप दिया। कुछ दिनों बाद राजा रामप्रताप ने तीनों राजकुमारों को पास बुलाकर आम के बारे में पुछा। सबसे पहले बड़े राजकुमार ने हंसकर कहा पिताजी आपने जो आम दिया था, उसे मैंने कई टुकड़े करके राज्य की जनता में बंटवा दिया बड़े राजकुमार की बात अभी खत्म भी नही हुई थी कि बीच में ही छोटे राजकुमार तपाक से बोल पड़ा- "पिताश्री मैंने उस आम का आधा हिस्सा खाया और शेष हिस्से को अपने मित्रों को दे दिया मंझले राजकुमार को चुप देखकर रामप्रताप बोले- "बेटा तुम चुप क्‍यों हो? तुमने आम का क्‍या उपयोग किया?"

राजा रामप्रताप का निर्णय और परिणाम

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मंझला राजकुमार बोला- "पिताजी मैंने उस पूरे आम को स्वयं खा लिया अगर उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में लोगों को बांटता तो राज्य की जनता हंसती और कहती राजा का लड़का और छोटे-छोटे आम के टुकड़े बांट रहा है। उसके बाद की गुठली को मैंने बगीचे में रोप दिया। भविष्य में उससे भी आम का पेड़ निकलेगा और उसमें भी फल लगेंगे जिसे लोग खा सकेंगे। 

मंझले राजकुमार का उत्तर सुनकर रामप्रताप बहुत प्रभावित हुए। कुछ दिनों बाद उन्होंने मंझले राजकुमार को राज्य का भावी राजा बनाने की घोषणा की।

कहानी से सीख: एक अच्छा निर्णय केवल तात्कालिक लाभ के आधार पर नहीं बल्कि दूरगामी लाभ के आधार पर लिया जाता है।

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