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लालच का फल
हिंदी नैतिक कहानी: लालच का फल:- प्राचीन काल में सीतारामपुर नामक एक गांव था। उस गांव में एक वृद्ध दम्पति रहा करते थे। लकड़ियाँ काट कर वे किसी तरह अपना गुजारा करते थे। गरीब होने के बावजूद वे ईमानदार थे। उनके पड़ोस में एक दुष्ट सेठ रहता था। वह बहुत कंजूस था और उसकी उम्र साठ वर्ष से अधिक थी। वह हर समय किसी न किसी को ठगने की सोचता था।
वृद्ध दम्पति हमेशा भगवान के भजन में लीन रहते थे। एक रात भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए और पूछा- "कया चाहते हो भक्त?" वृद्ध ने दीनता से कहा- "भगवान अधिक उम्र होने के कारण अब लकड़ियाँ नहीं काट पाता हूं। मैं शारीरिक कमजोरी की वजह से परेशान हूं"।
भगवान बोले- "यहां से कुछ मील दूरी पर एक बगीचा है। उस बगीचे में रहने से उम्र...
भगवान बोले- "यहां से कुछ मील दूरी पर एक बगीचा है। उस बगीचे में रहने से उम्र बढ़ने लगती है। परन्तु उस बगीचे के बीच में एक ताल है, जिसमें स्नान करने से उम्र घटने लगती है, अर्थात् वह बचपन में लौट आता उन्होंने फिर कहा- "तुम दोनों उस ताल में तीन डुबकी लगाकर तुरन्त भाग आना, नहीं तो असर उल्टा हो जाएगा"।
दूसरे दिन वृद्ध दम्पति उस ताल में तीन डुबकी लगाकर तुरन्त लौट आए। डुबकी लगाने के कारण वृद्ध दम्पति युवा हो गए जब सेठ ने यह देखा कि वे युवा हो गए हैं तो वह मन ही मन जलभुन गया। वह उनके पास गया और युवा होने का रहस्य पूछा। सीधे-साधे वृद्ध ने सेठ को सच-सच बता दिया।
अगले दिन प्रात: ही सेठ उस बगीचे की ओर चल पड़ा। बगीचे में पहुंचकर सेठ ने ताल में डुबकी लगाना शुरू किया। एक डुबकी लगायी तो वह पचास वर्ष का हो गया। दूसरी डुबकी में चालीस वर्ष और तीसरी डुबकी में तीस वर्ष। इस प्रकार सेठ डुबकी लगाता गया और उसकी उम्र घटकर दस वर्ष की हो गई। तब जाकर उसे होश आया। वह ताल से निकलकर भागने लगा पर दस वर्ष की उम्र होने के कारण सेठ लड़खड़ाकर गिर पड़ा।
देर तक बगीचे में रहने के कारण उसकी उम्र बढ़ने लगी। कुछ ही देर बाद सेठ सत्तर वर्ष का हो गया, फिर अस्सी वर्ष का, फिर नब्बे वर्ष का। इसी तरह उसकी उम्र बढ़ती गयी। फिर सेठ के प्राण निकल गए। इस तरह लालची सेठ मौत के मुँह में चला गया।