हिंदी नैतिक कहानी: बड़ों का व्यवहार

अमन एक नासमझ, छोटा बालक था। पढ़ाई में तेज तो शैतानी में भी आगे था। स्कूल से पढ़ाई खत्म होने के बाद वह अक्सर बाहर खेलने-कूदने जाया करता था। अमन का एक बड़ा भाई भी था, जिसका नाम आकाश था।

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बड़ों का व्यवहार

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हिंदी नैतिक कहानी: बड़ों का व्यवहार:- अमन एक नासमझ, छोटा बालक था। पढ़ाई में तेज तो शैतानी में भी आगे था। स्कूल से पढ़ाई खत्म होने के बाद वह अक्सर बाहर खेलने-कूदने जाया करता था। अमन का एक बड़ा भाई भी था, जिसका नाम आकाश था। आकाश, अमन से उम्र में काफी बड़ा था। आकाश, अमन से अक्सर यही कहा करता था कि उसे खेल कूद में अधिक ध्यान न देकर अपनी पढ़ाई में ध्यान देना चाहिए, लेकिन अमन बड़े भाई की बात पर ध्यान न देकर वही करता जो उसे अच्छा लगता था। आकाश नौकरी करता था इसलिए वह रोज अपने काम पर जाता था। अमन इसका नाजायज फायदा उठा कर अपने पिता और बड़े भाई के पीछे खूब उधम-बाजी करता था। (Moral Stories | Stories)

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एक दिन की बात है कि अमन घर के बाहर कहीं खेल रहा था कि तभी बड़ा भाई आकाश काम पर से घर आ गया। आकाश ने जब अमन को बाहर इस तरह खेलते हुए देखा तो थोड़ा गुस्सा भी हुआ, फिर उसने अमन को पढ़ाई करने के लिए भी कहा। अमन उस समय तो ऐसे खड़ा हो गया कि जैसे मानो वह खेल ही न रहा हो। जब आकाश घर के अन्दर चला गया तो अमन उसके पीछे जाने की बजाय फिर से खेलने लगा। थोड़ी देर घर में बैठने के बाद जब आकाश ने देखा कि अमन मेरे कहने के बावजूद भी घर के भीतर नहीं आया तो उसे अच्छा न लगा। वह क्रोधित होकर बाहर गया और उसने अमन को खूब फटकार लगाई और साथ में दो-चार थप्पड़ भी उसके गाल पर लगा दिए। फिर क्या था? अमन तो बुरी तरह सुबकने लगा। थप्पड़ खाकर तो उसके गाल बिल्कुल टमाटर की भांति लाल हो गए। जब आकाश घर के अन्दर चला गया तो अमन भी अन्दर जाकर बजाय पढ़ाई करने के अपने कमरे में जाकर खूब रोने लगा। वह अपने मन ही मन सोच रहा था कि पहले तो भईया मुझे कभी भी नहीं मारते थे बल्कि उल्टा मुझे खूब प्यार करते थे, आज भईया ने मुझे मारा, अब मैं भईया से कभी भी बात नहीं करूंगा। बड़े भाई की बातों को अमन नासमझी द्वारा दिल से लगा बैठा था। रो-रो कर उसने आंखे लाल कर ली थीं। पूरा दिन उसने कुछ खाया-पिया भी नहीं। मां ने उसे खूब समझाया कि आकाश तुम्हारा बड़ा भाई है। यदि उसने तुम्हें आज कुछ डांट-फटकार या मार भी दिया तो तुम्हें इस तरह से दिल छोटा नहीं करना चाहिए, आखिर वह तुम्हें प्यार भी तो करता है। किन्तु अमन अभी नासमझ था इसलिए इन बातों को वह अभी समझ नहीं पा रहा था। बड़े भाई को तो वह बहुत प्यार करता था किन्तु इस समय वह उसकी फटकार और डांट को भूल नहीं पा रहा था।

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आकाश तो इस बात को भूल चुका था किन्तु अमन तो अपने भाई से कुछ ज्यादा ही रूठा-रूठा सा...

आकाश तो इस बात को भूल चुका था किन्तु अमन तो अपने भाई से कुछ ज्यादा ही रूठा-रूठा सा लग रहा था। उसने दो दिन ऐसे ही बिना कुछ खाये-पिये निकाल दिये। अब तो उसके अन्दर कुछ कमजोरी भी आ गई थी। जब मां ने काफी लाड दिखाया तो बड़ी मुश्किल से उसने एक गिलास दूध का पिया किन्तु भाई वाली बात अभी तक उसने अपने दिल से नहीं निकाली। अमन के दिल में अपने बड़े भाई के लिए कोई प्रतिशोध की भावना नहीं थी। बल्कि उसके दिल में यह था कि उसका भाई एक बार तो कम से कम उसे मनाता जरूर। आकाश भी अमन से इसलिए नहीं बोल रहा था ताकि अमन को अपनी गलती का एहसास तो हो सके। एक दिन जब मां ने आकाश को बताया कि अमन तुमसे काफी नाराज़ है तो वह हंसने लगा और बोला, "मां, वह अभी बच्चा है, धीरे-धीरे सब समझ जाएगा"। (Moral Stories | Stories)

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कुछ दिन बाद, जब अमन का जन्मदिन आया तो घर में सभी लोग तो खुश थे ही किन्तु अमन का चेहरा अभी भी उतरा हुआ था। बड़ा भाई आकाश उसके सामने खड़ा था किन्तु अमन उससे नजरें नहीं मिला पा रहा था। आकाश तो सबकुछ जानता था कि अमन क्यों उदास है, लेकिन वह अभी चुप था। जब केक कटा तो सब लोगों ने अमन को जन्मदिन की बधाई दी किन्तु आकाश और अमन दूसरे का मुंह ही देख रहे थे। अमन ने जब देखा कि आकाश अभी भी उससे कुछ नहीं बोला तो वह उदास सा होकर अपने कमरे की तरफ जाने लगा तभी आकाश ने उसे पीछ से आवाज लगाई और बोला, "अमन, मेरे भाई, अपना उपहार तो लेते जाओ"। अमन तो इसी बात की प्रतिक्षा कर रहा था कि कब भईया उससे बोलेंगे। वह एकदम पीछे मुड़ा, उसने देखा कि उपहार के रूप में आकाश के हाथ में एक कीमती कलाई घड़ी है, जिसके लिए अमन काफी दिन से अपने पिता से जिद भी कर रहा था। अमन ने चुपचाप वह घड़ी भाई के हाथों से ले ली और वहीं खड़ा हो गया। तब आकाश बोला, "बड़े भाई की बातों का कोई बुरा मानता है अमन? देखो अमन मैं तुम्हारा बड़ा भाई हूं, मैं यदि तुम्हें प्यार करता हूं तो तुम्हें डांटने-फटकारने का भी अधिकार रखता हूं और आवश्यकता पड़ने पर मार भी सकता हूं। बड़ों का व्यवहार, बच्चों के लिए कभी भी बुरा नहीं होता यदि बड़े भी तरीके से चले तो। यदि बड़े अपने छोटों को किसी काम के लिए मना कर रहे हों तो इसका मतलब यह नहीं होता कि वह छोटों पर अपना रौब दिखा रहे हैं, बड़े यदि किसी काम के लिए छोटों को मना कर रहे हैं तो उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि या तो इस काम के लिए यह समय उचित नहीं हैं या फिर यह काम ही उचित नहीं है"। (Moral Stories | Stories)

अमन बड़े भाई की बातों को नज़रें झुकाए सुन रहा था तभी आकाश ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा, "खेलना-कूदना कोई बुरी बात नही है किन्तु यदि वह भी समय से खेला जाये तो उसका आनन्द ही कुछ और होता है, बच्चों को पढ़ाई के समय में पढ़ाई भी करनी चाहिए क्योंकि पढ़ाई-लिखाई हम सभी लोगों के लिए बहुत ही आवश्यक है। यही पढ़ाई तो, आगे चलकर तुम बच्चों के लिए भी आवश्यक है। यही पढ़ाई तो आगे चलकर तुम बच्चों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी, क्योंकि इसी पढ़ाई के द्वारा ही हमें ज्ञान प्राप्त होता है और इसी ज्ञान से हम सबको रोज़गार मिलता है"।

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आकाश ने देखा कि अमन की आंखों में से आंसू छलकने ही वाले हैं तो वह अमन के कंधे पर हाथ रख कर बोला, "यदि बात प्यार की है तो सभी माता-पिता और बड़े भाई-बहन अपने छोटों को प्यार भी करते हैं, मैं भी तुम्हें बहुत ही प्यार करता हूँ अमन"। ऐसा कहकर आकाश ने अपने छोटे भाई अमन को सीने से लगा लिया। अमन की आंखों में से अब आंसू छलक गए। आकाश को भी अपने छोटे भाई को हृदय से लगाकर काफी राहत मिली। 

अब अमन ने भी अपने भाई व माता-पिता से यह वायदा किया कि अब वह आगे से सभी काम समय से करेगा और पढ़ाई भी करेगा, साथ ही बड़ों का कहना भी मानेगा। आकाश और उसके माता-पिता को अमन के इस बदलते व्यवहार को देखकर अत्यन्त खुशी हुई। (Moral Stories | Stories)

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