Moral Story: नासमझ चुन्नू चुन्नू एक छोटा सा बालक था। वह बहुत ही प्यारा भी था। चुन्नू अपने मम्मी पापा का इकलौता बेटा था। घर में उन तीनों के अलावा और कोई न था, सिवाय उनके घर में काम करने वाली बाई कान्ता के। By Lotpot 03 May 2024 in Stories Moral Stories New Update नासमझ चुन्नू Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Moral Story नासमझ चुन्नू:- चुन्नू एक छोटा सा बालक था। वह बहुत ही प्यारा भी था। चुन्नू अपने मम्मी पापा का इकलौता बेटा था। घर में उन तीनों के अलावा और कोई न था, सिवाय उनके घर में काम करने वाली बाई कान्ता के। चुन्नू अपने मम्मी-पापा को बहुत प्यार करता था। घर में सभी लोग खुश थे। (Moral Stories | Stories) आज चुन्नू बहुत खुश दिखाई दे रहा था क्योंकि घर के शेड के एक कोने में एक चिड़िया ने अपना घोंसला बना रखा था और उसमें अंडे भी दिए थे। चुन्नू सोच रहा था कि जब अंडों में से बच्चे निकलेंगे तो वह एक बच्चे को अपने पास अवश्य रखेगा और हुआ भी ऐसा ही, जब उन अंडों में से बच्चे निकले तो चुन्नू चुपचाप मचान पर चढ़ा और घोंसले में से एक बच्चे को उसने बड़े प्यार से निकाल कर अपने पास रख लिया। अब तो चुन्नू की खुशी का कोई ठिकाना ही न था। चुन्नू उस चिड़िया के बच्चे को हाथ में उठाए-उठाए फिर रहा था और उसे खूब खिला-पिला व प्यार भी कर रहा था। चुन्नू का यह व्यवहार उसकी समझ से चिड़िया के बच्चे के प्रति बुरा नहीं था क्योंकि वह तो उस बच्चे को खूब प्यार कर रहा था किन्तु वास्तव में यह व्यवहार चिड़िया के उस मासूम बच्चे के लिए ठीक नहीं था। चुन्नू के मम्मी-पापा ने जब चुन्नू का यह व्यवहार देखा तो उन्हें अच्छा न लगा और वे चुन्नू से बोले, "देखो चुन्नू, तुमने जो यह चिड़िया के बच्चों को घोंसले में से उठाया है, वो तुमने अच्छा नहीं किया। बेचारे इसके माता-पिता इसके बगैर बहुत चिंतित हो रहे होंगे। यह अभी छोटा है, इसे तुमसे अधिक अपने माता-पिता की आवश्यकता है। यह उनके बगैर बेचैन हो रहा होगा। इसे अपने माता-पिता की याद आती होगी, माता-पिता भी इसके बगैर बेचैन हो रहे होंगे। इसे वापस इसके घोंसले में रख दो"। लेकिन चुन्नू पर इन बातों का कोई भी असर नहीं पड़ा और वह बड़ी मासूमियत से बोला, "मैं कुछ नहीं जानता, मुझे... लेकिन चुन्नू पर इन बातों का कोई भी असर नहीं पड़ा और वह बड़ी मासूमियत से बोला, "मैं कुछ नहीं जानता, मुझे चिड़िया के बच्चे बहुत अच्छे लगते हैं इसलिए मैं इसे अपने पास ही रखूँगा। मम्मी-पापा, चुन्नू का किसी प्रकार से दिल तोड़ना नहीं चाहते थे, इसलिए वे चुन्नू की ज़िद के आगे हार गए और फिर उन्होंने चुन्नू से उस विषय में कोई बात नहीं की। चुन्नू का व्यवहार अभी बदला नहीं था और वह चिड़िया के बच्चे को उसी तरह से प्यार कर रहा था व खिला-पिला रहा था किन्तु बेचारा वह चिड़िया का छोटा बच्चा भला अपने माता-पिता के बिना कैसे खाता-पीता? अब तो चुन्नू प्यार से उसे चींचीं के नाम से बुलाने लगा। (Moral Stories | Stories) चुन्नू चीचीं के आगे खूब दाना-पानी रखता मगर चींचीं उससे मुंह फेर कर बैठ जाता। चींचीं अपनी माता-पिता की याद में खूब रो रहा था किन्तु चुन्नू की नासमझी की दृष्टि उसे देख नहीं पा रही थी। यह सब देखकर चुन्नू के माता-पिता बहुत दुखी हो रहे थे किन्तु चुन्नू को कुछ कह नहीं पा रहे थे। जब उनके दुख की सीमा समाप्त हो गई तब उन्होंने यह फैसला किया कि अब तो किसी भी हाल में चुन्नू को सुधारना ही है। एक दिन जब चुन्नू स्कूल से घर लौटा तो उसे घर में कान्ता के अलावा कोई भी न मिला। जब चुन्नू ने कान्ता से पूछा कि मम्मी कहां गई हैं तो कान्ता बोली, "साहब और मेमसाहब को किसी काम से बाहर जाना पड़ गया है और वे अब कल ही लौटेंगे, उन्होंने मुझसे कहा था कि तुम चुन्नू के पास ही रहना और समय पर खाना दे देना"। यह सुनकर तो चुन्नू का मुंह ही उतर गया क्योंकि वह मम्मी-पापा के बगैर एक पल भी नहीं रह पाता, तो भला अब वह उनके बगैर एक दिन कैसे रह पाएगा? कान्ता ने चुन्नू को जब खाने के लिए पूछा तो चुन्नू ने मना कर दिया और बोला, "मुझे कुछ भी नहीं खाना"। जब शाम हुई तब भी चुन्नू ने कुछ नहीं खाया, बस वह चुपचाप उदास बैठा रहा क्योंकि उसे अपने मम्मी-पापा की याद सताने लगी। अब तो वह चींचीं को भी भूल गया था। जब किसी तरह रात हुई तो चुन्नू चुप-चाप बिस्तर पर लेट गया किन्तु मम्मी के बगैर उसे नीद नहीं आ रही थी और रात उसकी इसी तरह जागते हुए कटी। जब सुबह हुई तो चुन्नू ने यह फैसला किया कि आज वह स्कूल नहीं जाएगा और अपने मम्मी-पापा का इन्तजार करेगा क्योंकि मम्मी-पापा आज आएंगे। जब सुबह कान्ता ने चुन्नू से खाने के लिए पूछा तो उसने कहा, "मम्मी-पापा आएंगे, मैं तब खाना खाऊँगा"। ऐसा सुन कर कान्ता तो चुप-चाप वापस चली गई किन्तु चुन्नू उदास सा दरवाजे की चौखट पर बैठा रहा। चुन्नू की नजर सामने आने-जाने वालों पर थी और वह सोच रहा था कि बस अब मम्मी-पापा आने ही वाले हैं। चुन्नू को बैठे-बैठे इसी तरह शाम हो गई किन्तु मम्मी-पापा अभी भी घर नहीं आए। (Moral Stories | Stories) अब तो चुन्नू रोने लगा। जब कान्ता ने चुन्नू को बहलाने का प्रयत्न किया तो वह रोते हुए बोला, "मुझे कुछ भी नहीं चाहिए, बस मुझे मेरे पापा चाहिए, मुझे मम्मी-पापा की याद आ रही है"।कान्ता तो घर के भीतर चली गई किन्तु चुन्नू चौखट पर ही बैठा रहा। चुन्नू अपने घुटनों के ऊपर सिर रख कर रोता रहा, चूंकि वह रात का जगा हुआ था इसलिए उसे ऐसे ही बैठे-बैठे नींद आ गई। चुन्नू सो रहा था कि अचानक किसी ने उसके सिर पर हाथ रखा तो वह एक दम गड़बड़ा कर उठ खड़ा हुआ। चुन्नू ने देखा कि उसके सामने मम्मी-पापा खड़े हैं। वह उनको देखकर सुबकने लगा और फिर बोला, "मम्मी-पापा, आप लोग मुझे छोड़ कर कहां चले गए थे? मुझे आप की बहुत याद आ रही थी"। ऐसा कह कर चुन्नू की आंखों में से आंसू छलक गए और वह रोने लगा, तब मम्मी उससे बोलीं, "अरे चुन्नू, हम लोग एक दो दिन के लिए कहीं बाहर चले गए तो तुमने अपनी यह हालत कर ली"। तब चुन्नू बचपने अंदाज से बोला, "मम्मी, आप तो जानती ही हो कि मैं आपको कितना प्यार करता हूं और आपके बगैर एक पल भी नहीं रह सकता"। तब पापा ने चुन्नू की ओर बड़े ध्यान से देखा और फिर बोले, "चुन्नू हम दो दिन के लिए तुमसे अलग हुए तो तुम्हारी यह हालत हो गई, तुम पर जो बीती वह सिर्फ तुम जी जान पाए। हमने तो स्वयं ही तुमको अपने आप से दो दिन के लिए जुदा किया किन्तु तुमने तो एक छोटे से बच्चे को उसके मां-बाप से अपनी नासमझी के द्वारा बिल्कुल अलग कर दिया"। (Moral Stories | Stories) चुन्नू आश्चर्य से अपने मम्मी-पापा की ओर देखने लगा और बोला, "आप किसके बारे में बात कर रहे हो पापा?" तो मम्मी बोल पड़ीं, "हम लोग बात कर रहे हैं उस मासूम चींचीं की जिसे तुमने उसके मां-बाप से जुदा करके अपने पास रख लिया, सोचो उस बच्चे की, क्या हालत हुई होगी? उस मासूम छोटे से चिड़िया के बच्चे को भी तो अपने मां-बाप की याद आ रही होगी"।ऐसा सुनकर तो ,चुन्नू की आंखों में और भी आंसू आ गए। वह भागा-भागा गया और चींचीं को उठा कर ले आया और बड़ी मासूमियत से चींचीं से कहने लगा, "चींचीं, मेरे दोस्त, मुझे माफ कर देना, मैंने तुम्हें तुम्हारे मम्मी-पापा से अलग किया, अब आगे से मैं ऐसा कभी भी नहीं करूंगा"। ऐसा कहकर चुन्नू ने उस चिड़िया के बच्चे चींचीं को वापस उसके घोंसले में रख दिया और फिर आकर अपनी मम्मी-पापा की गोद में बैठ गया। चुन्नू को बदलता हुआ देखकर मम्मी-पापा बहुत खुश हुए। मम्मी चुन्नू को प्यार करने लगीं और पापा भी प्यार से उसके सिर पर हाथ फेर रहे थे। चुन्नू को भी काफी राहत मिली और अब वह बहुत खुश था। (Moral Stories | Stories) lotpot | lotpot E-Comics | Best Hindi Bal kahani | Hindi Bal Kahaniyan | Hindi Bal Kahani | bal kahani | Moral Hindi Kahani | Mazedar Hindi Kahani | Hindi kahaniyan | Hindi Kahani | short moral story | kids short stories | kids hindi short stories | short moral stories | short stories | Short Hindi Stories | hindi short Stories | Kids Hindi Moral Stories | kids hindi stories | Kids Moral Stories | kids moral stories in hindi | hindi moral stories for kids | Hindi Moral Stories | hindi stories | moral story in hindi | Moral Stories for Kids | kids moral stories in hindi | Moral Stories | लोटपोट | लोटपोट ई-कॉमिक्स | बाल कहानी | बाल कहानियां | हिंदी बाल कहानियाँ | हिंदी बाल कहानी | बच्चों की हिंदी कहानियाँ | हिंदी नैतिक कहानी | नैतिक कहानियाँ | छोटी नैतिक कहानी | नैतिक कहानी | बच्चों की नैतिक कहानी | छोटी नैतिक कहानियाँ | बच्चों की नैतिक कहानियाँ यह भी पढ़ें:- Moral Story: प्रदीप सुधर गया Moral Story: प्रायश्चित Moral Story: नन्हा चित्रकार Moral Story: घमंडी राजकुमारी #Hindi Kahani #बाल कहानी #लोटपोट #Lotpot #Bal kahani #Hindi kahaniyan #Hindi Moral Stories #Kids Moral Stories #Mazedar Hindi Kahani #Moral Hindi Kahani #Moral Stories #Hindi Bal Kahani #Moral Stories for Kids #बच्चों की नैतिक कहानियाँ #lotpot E-Comics #हिंदी बाल कहानी #हिंदी नैतिक कहानी #hindi stories #Kids Hindi Moral Stories #hindi short Stories #Short Hindi Stories #short stories #kids hindi stories #short moral stories #Hindi Bal Kahaniyan #Best Hindi Bal kahani #बाल कहानियां #kids hindi short stories #लोटपोट ई-कॉमिक्स #हिंदी बाल कहानियाँ #hindi moral stories for kids #kids short stories #छोटी नैतिक कहानियाँ #नैतिक कहानियाँ #बच्चों की हिंदी कहानियाँ #short moral story #moral story in hindi #छोटी नैतिक कहानी #बच्चों की नैतिक कहानी #नैतिक कहानी #kids moral stories in hindi You May Also like Read the Next Article