Moral Story: प्रदीप सुधर गया प्रदीप की मां ने रामू को बाजार से सामान लाने के लिये रूपये और थैला पकड़ा दिया। रामू 15-16 वर्षीय किशोर था और बचपन से ही घर में काम करता था। रामू जब बाजार से खरीदारी करके लौट रहा था। By Lotpot 30 Apr 2024 in Stories Moral Stories New Update प्रदीप सुधर गया Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Moral Story प्रदीप सुधर गया:- प्रदीप की मां ने रामू को बाजार से सामान लाने के लिये रूपये और थैला पकड़ा दिया। रामू 15-16 वर्षीय किशोर था और बचपन से ही घर में काम करता था। रामू जब बाजार से खरीदारी करके लौट रहा था तो अचानक उसकी नजर सिनेमाघर के सामने खड़े प्रदीप पर जा पड़ी। प्रदीप को वहां खड़े देखकर वह हैरान रह गया। प्रदीप स्कूल की ड्रेस में था और उसके कंधे पर बस्ता भी झूल रहा था। प्रदीप के साथ उसके स्कूल के कुछ दोस्त भी थे। (Moral Stories | Stories) रामू सीधा प्रदीप के पास पहुंच गया। आठवीं कक्षा में पढ़ने वाला प्रदीप अचानक रामू को सामने देखकर घबरा गया और हकलाते हुए अपनी सफाई देने लगा, "रामू...मैं...मैं तो आधी छुट्टी में यहां यों ही घुमने चला आया था...सच"। "देखो प्रदीप भैया, अगर मां जी को पता चल गया कि तुम स्कूल से भागकर अपने अवारा दोस्तों के साथ फिल्म देखने आए हो तो वह बहुत नाराज होंगी"। रामू ने उसकी बात को अनसुना करते हुए कहा। प्रदीप उसकी खुशामद करता हुआ बोला "रामू, तुम बहुत अच्छे हो, मेरे सबसे प्यारे दोस्त। मां को कुछ मत बताना। मैं वादा करता हूं कि अब कभी ऐसा काम नहीं करूंगा"। (Moral Stories | Stories) "प्रदीप भैया, मुझे पता है कि तुम स्कूल जाने के बहाने अक्सर अपने आवारा दोस्तों के साथ इधर उधर मटर गश्ती करते हो"। रामू गंभीर स्वर में बोला "किसी न किसी दिन तुम्हारी क़ारस्तानियों की खबर मां जी और पिताजी तक पहुंच ही जाएगी। तब उन्हें कितना दुख होगा तुमने कभी सोचा है"। प्रदीप भय से सहम गया। वह हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगा, "मुझे माफ कर दो रामू। अब कभी अवारा गर्दी नहीं करूंगा"। "ठीक है, तो फिर इन दोस्तों का साथ छोड़ दो नहीं तो अगली बार मैं तुम्हारी कोई बात नहीं सुनूंगा। मां जी को सब कुछ बता दूंगा" कहकर रामू घर की तरफ चल पड़ा। (Moral Stories | Stories) प्रदीप अपने माता-पिता का इकलौता लड़का था। अत: उसकी हर फरमाइश फौरन पूरी कर दी जाती। जेबखर्च भी... प्रदीप अपने माता-पिता का इकलौता लड़का था। अत: उसकी हर फरमाइश फौरन पूरी कर दी जाती। जेबखर्च भी ज्यादा मिलता था। उसके माता पिता दोनों ही नौकरी करते थे। अत: वे बेटे को कम ही समय दे पाते थे। उसकी छोटी-छोटी गलतियों को भी नज़रअंदाज़ कर देते थे। इससे प्रदीप ढीठ और निडर हो गया था। घर से बाहर आवारागर्दी करने लगा था। एक दिन की बात है। पिताजी दफ्तर से लौटे थे और उन्होंने अपना कोट कमरे में खूंटी पर टांग दिया। थोड़ी देर बाद ही कहीं बाहर जाने के लिए उन्होंने फिर से कोट पहन लिया। पर जेब में हाथ डाला तो पाया कि उनका बटुआ गायब था। तुरन्त बेटे को पुकारा "प्रदीप, मेरा बटुआ कहां है?'' (Moral Stories | Stories) "मुझे नहीं मालूम पिताजी"। प्रदीप ने इंकार में सिर हिलाया। "तो फिर किसे मालूम होगा, अभी अभी बटुआ मेरी जेब में था"। पिताजी का ऊंचा स्वर सुनकर मां भी वहां चली आई, "क्या हुआ, क्यों चिल्ला रहे हैं आप?" पिताजी ने पूरी बात बता दी। मां बोली, "आपका बटुआ नहीं मिल रहा, इसमें बेचारे प्रदीप का क्या दोष"। (Moral Stories | Stories) "दोष है तुम्हें नहीं मालूम," पिताजी ने गुस्से, में कहा, "बटुआ कुछ देर पहले तक मेरी जेब में था। इस बीच यहां कोई भी नहीं आया। सिर्फ प्रदीप ही बगल के कमरे में बैठा पढ़ रहा था, तभी मैं इससे पूछ रहा हूं बता दो बटुआ कहां है?" "मुझे नहीं मालूम। मैं कुछ नहीं जानता"। प्रदीप ने सहमे स्वर में कहा। मां ने भी बेटे का पक्ष लेकर कहा, "आप तो ऐसे कह रहे हैं जैसे बटुआ हमारे बेटे ने ही चुराया हो। प्रदीप ऐसा कभी नहीं करेगा"। "तुम चुप रहो"। पिताजी ने मां को डांट दिया। "मैं प्रदीप से पूछ रहा हूं देखो प्रदीप अभी भी समय है सच सच बता दो"। तभी रामू ने कमरे मे प्रवेश किया। उसने एक बार प्रदीप की तरफ देखा, फिर धीरे से सिर झुका कर बोला, "बाबूजी, आपका बटुआ मैंने चुराया है"। (Moral Stories | Stories) "क्या?" मां और पिताजी दोनों हैरान रह गए। प्रदीप बोल पड़ा, "हां पिताजी, बटुआ जरूर रामू ने ही चुराया होगा, आप जब गुसलखाने में गये थे तो मैंने इसे कमरे के बाहर खड़ा देखा था"। "नालायक!" तभी पिताजी का थप्पड़ प्रदीप के गाल पर पड़ा, "एक तो तुमने चोरी की और जब तुम्हें बचाने के लिए रामू ने यह इल्जाम अपने सिर ले लिया तो तुम बजाय शर्मिन्दा होने के उसे ही चोर साबित करने लगे"। प्रदीप जोर-जोर से रोने लगा। मां ने हैरान! परेशान स्वर में कहा, "यह सब क्या हो रहा है। आपको कैसे मालूम कि चोरी प्रदीप ने ही की है"। पिताजी ने बताया, "मैंने खुद अपनी आंखों से प्रदीप को कोट की जेब से बटुआ निकालते देखा था। इसीलिए सबसे पहले बटुए के बारे में इससे पूछताछ की ताकि यह अपनी भूल स्वीकार कर ले। लेकिन इसने साफ झूठ बोला और सीधे-सादे रामू को चोर साबित करने की कोशिश की। अगर मैंने इसे चोरी करते हुए न देख लिया होता तो इसकी बात पर यकीन करके बेचारे रामू को चोर समझ बैठता"। प्रदीप का सिर शर्मिन्दगी के कारण नीचे झुक गया। वह किसी से निगाह नहीं मिला पा रहा था। उसे लगा कि आज उसने-चोरी से भी बड़ा एक और अपराध किया है, सीधे और सच्चे रामू को चोर साबित करने की कोशिश करके, जबकि रामू ने हमेशा उसका भला चाहा था। वह हाथ जोड़कर रामू से बोला, "मुझे माफ कर दो रामू मैं अपने किये पर बहुत शर्मिन्दा हूं। आज मेरी आंखें पूरी तरह खुल गई हैं। अब मैं कभी कोई गलत काम नहीं करूंगा और एक अच्छा बच्चा बनूंगा"। रामू ने खुशी से प्रदीप को गले लगा लिया। यह देखकर मां और पिताजी भी प्रसन्नता से मुस्कुराने लगे। (Moral Stories | Stories) lotpot | lotpot E-Comics | Hindi Bal Kahaniyan | Hindi Bal Kahani | bal kahani | Bal Kahaniyan | Moral Hindi Kahani | Mazedar Hindi Kahani | Hindi kahaniyan | Hindi Kahani | short moral story | kids short stories | kids hindi short stories | short moral stories | short stories | Short Hindi Stories | hindi short Stories | Kids Hindi Moral Stories | kids hindi stories | Kids Moral Stories | Kids Stories | hindi moral stories for kids | hindi stories | Moral Hindi Stories | hindi stories for kids | kids hindi moral story | Moral Stories for Kids | Moral Stories | लोटपोट | लोटपोट ई-कॉमिक्स | बाल कहानियां | हिंदी बाल कहानियाँ | हिंदी बाल कहानी | बाल कहानी | बच्चों की हिंदी कहानियाँ | हिंदी कहानी | हिंदी कहानियाँ | छोटी नैतिक कहानी | छोटी नैतिक कहानियाँ | छोटी कहानी | छोटी कहानियाँ | छोटी हिंदी कहानी | बच्चों की नैतिक कहानी | नैतिक कहानियाँ | हिंदी नैतिक कहानी | बच्चों की नैतिक कहानियाँ यह भी पढ़ें:- Moral Story: राजकुमार और तीन पेड़ Moral Story: विश्वास की जीत Moral Story: विद्वेष की भावना Moral Story: बुरी संगत #Moral Stories for Kids #lotpot E-Comics #छोटी कहानी #छोटी कहानियाँ #Short Hindi Stories #छोटी नैतिक कहानियाँ #Kids Moral Stories #Kids Hindi Moral Stories #हिंदी कहानियाँ #बच्चों की नैतिक कहानी #Bal Kahaniyan #हिंदी नैतिक कहानी #Hindi Bal Kahani #short moral stories #बाल कहानियां #kids hindi short stories #छोटी नैतिक कहानी #बच्चों की नैतिक कहानियाँ #हिंदी कहानी #लोटपोट #बाल कहानी #नैतिक कहानियाँ #hindi stories for kids #हिंदी बाल कहानी #Hindi Kahani #Hindi Bal Kahaniyan #बच्चों की हिंदी कहानियाँ #Moral Stories #hindi stories #kids short stories #hindi moral stories for kids #Kids Stories #हिंदी बाल कहानियाँ #Hindi kahaniyan #लोटपोट ई-कॉमिक्स #hindi short Stories #Moral Hindi Stories #short stories #kids hindi stories #Bal kahani #Moral Hindi Kahani #Mazedar Hindi Kahani #kids hindi moral story #छोटी हिंदी कहानी #short moral story #Lotpot You May Also like Read the Next Article