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क्रोध
Moral Story क्रोध:- एक संत भिक्षा में मिले अन्न से अपना जीवन चला रहे थे एक दिन वे गांव के बड़े सेठ के यहां भिक्षा मांगने पहुंचे सेठ ने संत को थोड़ा अनाज दिया और बोला कि गुरुजी मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ। (Moral Stories | Stories)
संत ने कहा “ठीक है पूछो!”
सेठ ने बोला “मैं ये जानना चाहता हूँ कि लोग लड़ाई झगड़ा क्यों करते हैं?” (Moral Stories | Stories)
जवाब देने के स्थान पर संत कुछ देर चुप रहे और फिर बोले “मैं यहां भिक्षा लेने आया हूँ, तुम्हारे मूर्खतापूर्ण सवालों के जवाब देने नहीं आया”।
ये बात सुनते ही सेठ एकदम क्रोधित हो गया उसने खुद से नियंत्रण खो दिया और...
ये बात सुनते ही सेठ एकदम क्रोधित हो गया उसने खुद से नियंत्रण खो दिया और बोला, “तू कैसा संत है, मैंने दान दिया और तू मुझे ऐसा बोल रहा है” सेठ ने गुस्से में संत को खूब बातें सुनाई। (Moral Stories | Stories)
कुछ देर बाद जब सेठ का गुस्सा शांत हो गया, तब संत ने उससे कहा:
“भाई जैसे ही मैंने तुम्हें कुछ बुरी बातें बोलीं, तुम्हें गुस्सा आ गया। गुस्से में तुम मुझ पर चिल्लाने लगे अगर इसी समय पर मैं भी क्रोधित हो जाता तो हमारे बीच बड़ा झगड़ा हो जाता, इसका मतलब समझे?”
“क्रोध ही हर झगड़े का मूल कारण है!” सेठ ने संत का मंतव्य समझते हुए मुस्कुराकर जवाब दिया और संत को भिक्षा के साथ बहुत से उपहार देकर विदा किया। (Moral Stories | Stories)
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