Moral Story: व्यर्थ का घमण्ड विश्व विजयी सिकन्दर अपनी विशाल सेना के साथ ईरान देश को जीत कर बड़े अभिमान से जा रहा था। सड़क के दोनों ओर हज़ारों आदमी सिर झुकाये हुए उसकी दया दृष्टि के लिये लालायित खड़े हुए थे। By Lotpot 21 Dec 2023 in Stories Moral Stories New Update व्यर्थ का घमण्ड Moral Story व्यर्थ का घमण्ड:- विश्व विजयी सिकन्दर अपनी विशाल सेना के साथ ईरान देश को जीत कर बड़े अभिमान से जा रहा था। सड़क के दोनों ओर हज़ारों आदमी सिर झुकाये हुए उसकी दया दृष्टि के लिये लालायित खड़े हुए थे। सिकन्दर, सिंह की तरह इधर-उधर गर्दन घुमाकर सबको तुच्छ दृष्टि से देखता हुआ आगे बढ़ रहा था। (Moral Stories | Stories) जिस समय सिकन्दर मानियों के मान को मिट्टी में मिलाता हुआ विजयोन्मंत्त जा रहा था, उसी समय दूसरी ओर संतों की एक टोली आ रही थी। सिकन्दर को विश्वास था कि सन्त लोग भी अन्य लोगों की तरह झुक-झुक कर उसका अभिवादन करेंगे। लेकिन उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उनमें से किसी संत ने उसकी ओर देखा तक नहीं। सिकन्दर ने इसे अपना अपमान समझा। (Moral Stories | Stories) उसने तुरंत उन सन्तों को पकड़वाकर बुलवाया और पूछा- ‘तुम लोग इस तरह घमण्ड से अकड़कर क्यों जा रहे हो? क्या तुम्हें पता नहीं है कि तुम्हारा सामना विश्वविजयेता सिकन्दर से हुआ था? तुमने उसका तिरस्कार करने की हिम्मत कैसे की?’ (Moral Stories | Stories) एक वृद्ध सन्त ने निडरता के साथ उत्तर दिया- ‘सिकन्दर, तू किस बात पर इतना... एक वृद्ध सन्त ने निडरता के साथ उत्तर दिया- ‘सिकन्दर, तू किस बात पर इतना आभिमान कर रहा है? इस मिथ्या वैभव के भरोसे तू धोखे में है। अहंकारवश तू अपने को चाहे जो मान ले, लेकिन हम लोगों की दृष्टि में तू एक बहुत छोटा आदमी है।’ (Moral Stories | Stories) सिकन्दर का चेहरा क्रोध से तमतमा उठा। उसे ऐसा लगा मानो उसके सिर पर कोई लात मार रहा हो। उधर वृद्ध सन्त का चेहरा स्वाभिमान से और भी ज्यादा दमक उठा। सिकन्दर के कुछ कहने या करने से पहले ही उसने दृढ़ता पूर्वक फिर कहा- सिकन्दर तू व्यर्थ ही हमारे जैसे फकीरों को अपनी शान दिखाता है। तू तो उस तृष्णा के वश में होकर इधर-उधर मारा-मारा घूमता है, जिसे हम लोग तृण की तरह त्याग चुके हैं। जो तृष्णा तेरे सिर पर सवार है, वह हमारे चरणों की दासी है। ऐसी दशा में तू तो हमारी दासी का दास है। फिर हमारे साथ बराबरी या बड़प्पन का दावा क्यों करता है?’ (Moral Stories | Stories) इस कड़वे सत्य से सिकन्दर का घमण्ड चूर-चूर हो गया। उसे अपनी तुच्छता का अहसास हो गया। उसने अपनी भूल स्वीकार कर ली। उसका मिथ्या वैभव फीका पड़ गया। चुपचाप उन सन्तों को मुक्त करके उसने आगे का रास्ता लिया। (Moral Stories | Stories) lotpot-e-comics | hindi-bal-kahania | bal kahani | kids-hindi-moral-stories | hindi-stories | hindi-kids-stories | लोटपोट | lottpott-i-konmiks | hindii-baal-khaanii | baal-khaanii | hindii-naitik-khaanii | chottii-hindii-khaanii यह भी पढ़ें:- Moral Story: गुरूकर्म Moral Story: विकल्प Moral Story: जीवन की भागम-भाग Moral Story: जादुई कछुआ #बाल कहानी #लोटपोट #Lotpot #Bal kahani #Hindi Kids Stories #Hindi Bal kahania #Kids Stories #लोटपोट इ-कॉमिक्स #lotpot E-Comics #हिंदी बाल कहानी #हिंदी नैतिक कहानी #छोटी हिंदी कहानी #hindi stories #Kids Hindi Moral Stories You May Also like Read the Next Article