Moral Story: विकल्प

एक धनी व्यक्ति का बटुआ बाजार में गिर गया। बटुए में जरूरी कागजों के अलावा कई हज़ार रूपये भी थे। वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि बटुआ मिल जाए तो प्रसाद चढ़ाऊंगा, गरीबों को भोजन कराऊंगा आदि।

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विकल्प

Moral Story विकल्प:- एक धनी व्यक्ति का बटुआ बाजार में गिर गया। बटुए में जरूरी कागजों के अलावा कई हज़ार रूपये भी थे। वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि बटुआ मिल जाए तो प्रसाद चढ़ाऊंगा, गरीबों को भोजन कराऊंगा आदि। संयोग से वो बटुआ एक बेरोजगार युवक को मिल गया। बटुए पर मालिक का नाम लिखा था। युवक ने सेठ के घर पहुँच कर बटुआ उन्हें दे दिया। (Moral Stories | Stories)

Man sitting on stairs thinking about his wallet

सेठ ने तुरंत बटुआ खोलकर देखा। सारा सामान वैसा ही था। सेठ खुश हुआ और उसे बतौर इनाम सौ रूपये देने चाहे। युवक ने मना कर दिया। सेठ ने उसे अगले दिन घर पर भोजन के लिए बुलाया। और उसे भोजन करा दिया। युवक के जाने के बाद सेठ भूल गया कि उसने मंदिर में भी कुछ वचन दिए थे। (Moral Stories | Stories)

सेठ ने अपनी पत्नी को कहा कि देखो वह युवक कितना मूर्ख निकला। हज़ारों का माल बिना कुछ लिए...

सेठ ने अपनी पत्नी को कहा कि देखो वह युवक कितना मूर्ख निकला। हज़ारों का माल बिना कुछ लिए ही दे गया। इस पर सेठानी ने कहा कि तुम गलत सोच रहे हो। वह युवक ईमानदार था। उसके पास तुम्हारा बटुआ लौटा देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। वह चाहता तो सब कुछ रख लेता। ईश्वर ने दोनों की परीक्षा ली। वो पास हो गया, आप फेल। अवसर स्वयं तुम्हारे पास आया था, तुमने लालचवश उसे लौटा दिया। मेरी मानो तो उसे खोजिए। उसके पास ईमानदारी की पूँजी है। उसे काम पर रख लो। (Moral Stories | Stories)

सेठ ने खोजा भी, पर वह नहीं दिखा। एक दिन वह युवक किसी और सेठ के यहां काम करता हुआ मिला। सेठ ने युवक की प्रशंसा की और बटुए वाली घटना सुनाई। उस सेठ ने बताया कि उस दिन इसने मेरे सामने ही बटुआ उठाया था। मैं तभी उसके पीछे गया। देखा कि यह आपके घर की ओर जा रहा है। वहां मैंने सब देखा व सुना। मैंने इसकी ईमानदारी से प्रभावित होकर इसे अपने यहां मुनीम रख लिया। अब मैं पूरी तरह निश्चिन्त हूँ। सेठ खाली हाथ लौट आया। (Moral Stories | Stories)

Shop scene

सेठ के पास कई विकल्प थे, पर उसने निर्णय लेने में देर कर दी और एक विश्वासपात्र खो दिया। युवक के पास नैतिक बल था। उसने बटुआ खोलने के विकल्प का प्रयोग ही नहीं किया। युवक को ईमानदारी का पुरस्कार मिल गया। दूसरे सेठ के पास निर्णय लेने की क्षमता थी। उसे एक उत्साही, सुयोग्य और ईमानदार मुनीम मिल गया। (Moral Stories | Stories)

विकल्पों पर विचार करना गलत नहीं है, लेकिन विचार करते रहना गलत है। विकल्पों में उलझकर निर्णय पर पहुंचने में देर लगाने से लक्ष्य की प्राप्ति कठिन हो जाती है। (Moral Stories | Stories)

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