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संगत का फल
Moral Story संगत का फल:- कौशिकांबा नगर में राजा रवि एक प्रतापी, दयालु न्यायप्रिय व महान धार्मिक स्वभाव के राजा थे। वे प्रतिदिन प्रायः स्नानादि से निवृत होकर पूजापाठ में काफी समय लगाते, जब कहीं राज्य कार्य में जुटते थे। (Moral Stories | Stories)
एक दिन वे नगर भ्रमण के लिए निकले। गज पर सवार राजा की शोभा अति निराली थी। साथ में कुछ घुड़सवार व पैदल सैनिक भी थे। जिस समय उनकी सवारी राज पथ से मुड़ कर एक ओर जा रही थी, तभी उन्हें एक संत का मकान दिखाई पड़ा। जिसके झरोखे में छत से एक पिंजरा टंगा था। उस पिंजरे में एक तोता (सुगा) था। जो राजा को देखकर बड़े ही मधुर स्वर में प्रेमपूर्वक राम राम, कृष्ण कृष्ण का सस्वर पाठ करने लगा। राजा ने प्रत्युत्तर में राम राम, कृष्ण कृष्ण कहा। राजा बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने एक सैनिक को, उस मकान को ध्यान में रखने का संकेत दिया। (Moral Stories | Stories)
धीरे धीरे राजा की सवारी एक ऐसी बस्ती से गुजरी, जो बड़ी गन्दी थी। उस बस्ती में भी...
धीरे धीरे राजा की सवारी एक ऐसी बस्ती से गुजरी, जो बड़ी गन्दी थी। उस बस्ती में भी एक मकान ऐसा ही था। जिसके झरोखे में एक तोते का पिंजरा टंगा था। जो राजा की सवारी की ओर देख रहा था। जैसे ही सवारी निकट से गुजरने लगी, तोते ने अपनी ज़ुबान से गन्दी गालियाँ देनी प्रारंभ कर दी। राजा ने झट से अपने कान बन्द कर लिये तथा उस मकान को भी ध्यान में रखने के लिए उस सैनिक को संकेत दिया। भ्रमण पूर्ण होने के पश्चात सवारी राज महल पहुँच गई।
दूसरे दिन दरबार को आज्ञा दी कि उन दोनों तोतों को दरबार में पेश करें। कुछ समय पश्चात दोनों तोतों को अलग अलग लाया गया। पहला तोता जो लाया, वह अपने स्वभावगत राम व कृष्ण के नाम को रटता रहा। राजा ने उसे एक सुन्दर चारपाई पर बिठवाया। कुछ समय बाद जैसे ही दूसरे तोते को दरबार में लाया गया। तब गन्दी गालियों से दरबार गूँज उठा। राजा को काफी क्रोध आया और तत्काल उस तोते की गर्दन उड़ाने की आज्ञा दे दी। परन्तु पहले लाये गये सात्विक तोते के मालिक की नजर उस दूसरे तोते पर पड़ी। उसने तत्काल राजा से विनती की कि उसे प्राण दान देने की कृपा करें और कहा कि हे राजन इन दोनों के माता पिता एक ही थे। दोनों का बाल्यकाल एक ही वृक्ष पर बीता। हे महाराज, इस तोते का इसमें कोई दोष नहीं है, क्योंकि संगत का फल लगना स्वाभाविक है। (Moral Stories | Stories)
यह एक संत के घर रहा, जहाँ नित प्रतिदिन पूजा पाठ होता था, भगवान के नाम का उच्चारण होता था। सुन्दर सी बातें सीखने को मिलती थीं। वहाँ का वातावरण सात्विक व धार्मिक भावनाओं से भरा था। इसलिए इसमे इस प्रकार के संस्कार आए। तथा दूसरी ओर यह तोता जो इसका भाई है, एक गन्दी बस्ती में पला जहाँ प्रतिदिन गन्दी गालियाँ बोली जाती है। उस गन्दे वातावरण में रहने के कारण इसका स्वभाव इस तरह गन्दा बन गया है। अतः इसके रक्त का दोष नहीं, परन्तु इसके परवरिश का दोष है। इसलिए हे राजन, इसे क्षमा दान देकर एक सुसंस्कार वाले सज्जन के घर भेज दें। जिससे यह भी एक सुसंस्कृत प्राणी बन सके। (Moral Stories | Stories)
राजा इस नीति बद्ध, सत्य वाणी से अत्यन्त प्रसन्न हुए और उस तोते को क्षमा कर दिया।
इस तरह संगत का बड़ा असर होता है। (Moral Stories | Stories)
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