Moral Story: मनोबल से मुकाबला

स्वामी विवेकानन्द उन दिनों बालक ही थे। सत्य की खोज में वे घर से निकलकर नगर-नगर घूम रहे थे घूमते-घूमते वे काशी जा पहुँचे वहाँ मन्दिरों में घूमते हुए वे एक दिन नगर से बहुत दूर निकल गए।

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मनोबल से मुकाबला

Moral Story मनोबल से मुकाबला:- स्वामी विवेकानन्द उन दिनों बालक ही थे। सत्य की खोज में वे घर से निकलकर नगर-नगर घूम रहे थे घूमते-घूमते वे काशी जा पहुँचे वहाँ मन्दिरों में घूमते हुए वे एक दिन नगर से बहुत दूर निकल गए। यह स्थान कुछ निर्जन और सुनसान सा था, इस स्थान में एक ओर तो बड़ा सा तालाब था और दूसरी ओर ऊंची दीवार के साथ-साथ लगे पेड़ों पर बहुत ही बड़ा बन्दर था, वह उछल-कूद करता हुआ उनके पास आया और दांत किटकिटाकर वापस पेड़ पर जा बैठा बालक विवेकानन्द कुछ भयभीत हुए। (Moral Stories | Stories)

उनको डरा हुआ जानकर दूसरे पेड़ से एक और बन्दर नीचे उतरा...

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उनको डरा हुआ जानकर दूसरे पेड़ से एक और बन्दर नीचे उतरा और कूदता- फांदता उनके पास आया विवेकानन्द सहम गए उन्होंने दृष्टि उठाकर देखा तो आस-पास दूर तक कोई मनुष्य दिखाई नहीं दिया फिर उन्होंने पेड़ की ओर दृष्टि घुमाई तो यह देखकर सहम गए कि चारों ओर बन्दर ही बन्दर हैं, और सभी बन्दर उनकी तरफ ही देख रहे हैं। (Moral Stories | Stories)

वे तेज़ कदम उठाते हुए आगे बढ़ने लगे लेकिन बन्दर अब उनके आस-पास आकर उछलने लगे थे धीरे-धीरे बन्दर उनके पास जमा होने लगे कोई उनके शरीर पर चढ़ जाता तो कोई दाँत किटकिटा कर डरा जाता विवेकानन्द डरकर भागने लगे उनको भागता देखकर बन्दर भी भागने लगे अब तो विवेकानन्द बहुत ही भयभीत हो गए उन्होंने तेज़ी से भागना शूरु किया। इस पर बन्दर भी तेज़ भाग कर उन पर उछलने लगे स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई तो विवेकानन्द और तेज रफ्तार से भागने लगे बन्दर भी उसी रफ्तार से तंग करते हुए भागने लगे एकाएक विवेकानन्द ने सुना ‘‘भागो मत मुकाबला करों”। (Moral Stories | Stories)

ये शब्द सुनकर विवेकानन्द ठिठक गए दृष्टि उठा कर देखा तो तालाब से नहाकर आए एक वृद्ध सामने खड़े थे उन्होंने कहा-‘‘हां, डरो मत मुकाबला करो"। (Moral Stories | Stories)

वृद्ध को सामने देखकर विवेकानन्द में कुछ साहस आया वे पलटे और एक बन्दर की तरफ भागे बन्दर पीछे हट गया अब वे दूसरे बन्दर की तरफ लपके तो वह भी पीछे हट गया बन्दरों के पीछे हटने से विवेकानन्द के हौसले बढ़ गए वे धरती पर पड़ी एक सूखी लकड़ी को उठाकर सभी बन्दरों की तरफ लपके बन्दर डरकर पेड़ो पर जा चढ़े। (Moral Stories | Stories)

वृद्ध उनके पास आए और पूछा ‘‘तुम भाग क्यों रहे थे?’’ विवेकानन्द ने कहा ‘मैं डर गया था।’

तुम्हें मुकाबला करना चाहिए था।

‘कैसे करता मुकाबला, हाथ में तो कुछ भी नहीं था’। वृद्ध ने कहा ‘‘अब कैसे किया?’’ (Moral Stories | Stories)

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“आप के आने से हिम्मत बढ़ गई और मुकाबला किया” वृद्ध ने समझाया अगर मैं न आता तो यह बन्दर तुम्हे काट-काट कर घायल कर देते, लेकिन किया तो मैंने कुछ भी नहीं जो कुछ किया तुम ने ही किया तुमने अपना मनोबल एकत्रित करके ही  मुकाबला किया है। याद रखो, भागने से मुक्ति नहीं, बल्कि मनोबल के साथ मुकाबला करने से ही मुक्ति मिलती है। 
विवेकानन्द ने उस सलाह को भविष्य में ध्यान रखने का वादा किया और लौट गये। (Moral Stories | Stories)

सीख:- नन्हे दोस्तों इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है की हमे जीवन में कभी भी मुश्किल परिस्थिति से भागना नहीं चाहिए बल्कि डटकर उस मुश्किल परिस्थिति  का सामना करना चाहिए, क्यूंकि किसी चीज़ से भागना उसका हल नहीं है मुश्किल का सामना करने से मुश्किल हल हो जाती है। (Moral Stories | Stories)

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